Notra Ritual: पूरा गांव मिलकर उठाता है गरीब परिवार की शादी का खर्चा, जानिए क्या है आदिवासी समाज की नोतरा प्रथा?
उदयपुर के प्रतापगढ़ जिले में आदिवासी समाज में नोतरा प्रथा का चलन है. इस प्रथा में शादी का खर्चा पूरा गांव मिलकर उठाता है. शादियों के अलावा प्राकृतिक आपदा में भी नोतरा प्रथा से लोगों की मदद की जाती है.
Notra Ritual In Aadivasi Community: अभी शादियों की हर तरफ धूम मची हुई है, शादी होती है तो उसमें हजारों, लाखों रुपए का खर्चा भी होता है. लेकिन कई ऐसे गरीब परिवार है जो खर्चा नहीं कर पाते हैं लेकिन शादी तो जरूरी होती है. ऐसे में पिता उधारी लेता है और कर्ज में डूब जाता है. लेकिन उदयपुर संभाग के प्रतापगढ़ जिले में आदिवासी समाज में एक प्रथा है जिस प्रथा में शादी का खर्चा पूरा गांव मिलकर उठाता है ताकि गरीब के घर में भी धूम-धाम से आयोजन हो सके.
इस प्रथा का नाम है नोतरा प्रथा, जो प्रतापगढ़ जिले के आदिवासी समाज मे दशकों से चली आ रही है. नोतरा प्रथा का मतलब है एक-दूसरे को आर्थिक मदद देना. जैसे किसी परिवार में शादी है लेकिन वह सक्षम नहीं कि वह गांव के खाने सहित अन्य खर्च उठा सके. तो ऐसे में फिर नोतरा बैठता है.
पंचों के बीच सज-धजकर बैठता है दूल्हा
लड़के की शादी होती है तो बारात रवाना होने से पहले नोतरे की रस्म होती है. इसमें दूल्हा सज-धजकर गांवों के पंचों के बीच बैठ जाता हैं. ढोल की आवाज के साथ नोतरा शुरू हो जाता हैं. नोतरा प्रथा के दौरान महिलाएं विवाह गीत गाती रहती हैं. इस प्रथा में सभी गांव के लोगों को आमंत्रित किया जाता है. सभी आमंत्रित रिश्तेदार और गांव के लोग आते हैं.
रजिस्टर में लिखी जाती है नोतरा की रकम
दूल्हे के सामने एक टेबल पर थाली रखी होती है और दूल्हे के पास एक व्यक्ति रजिस्टर लेकर बैठता है. ग्रामवासी आते हैं और अपनी इच्छानुसार उस थाली में रुपए रखते हैं. कौन कितने रुपए रख रहा है वह रजिस्टर में नोट किया जाता है. रजिस्टर में लिखा जाता है कि जैसे राम लाल ने श्यामलाल के घर नोतरे में 100 रुपए रखे, तो जब रामलाल के घर में शादी होगी तो श्याम लाल को भी 100 रुपए रखने होंगे. ऐसे में कहीं पर हजारों तो कही लाखों रुपए एकत्रित हो जाते हैं.
प्राकृतिक आपदा में भी नोतरा से की जाती है मदद
बड़ी बात यह है कि यह नोतरा सिर्फ शादी के लिए ही नहीं बैठता है. प्राकृतिक आपदा में किसी व्यक्ति को बड़ा नुकसान हो जाता है तो भी उसकी मदद के लिए ऐसे ही नोतरा बुलाया जाता है. सभी रुपए जमा करते हैं और व्यक्ति की मदद हो जाती है. ऐसे ही सभी मिल जुलकर साथ रहते हैं. आदिवासी बताते हैं कि हमारे आदिवासी समाज के अंदर सदियों से नोतरा परंपरा चली आ रही हैं. इस परंपरा में पूरा गांव मदद करता हैं. नोतरा से 2 से 3 लाख और 5 लाख तक राशि जमा हो जाती है.
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