Rajasthan News: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पहुंचे अपने स्कूल, फेवरेट टीचर ने बताया बचपन का रोचक किस्सा
Chhittorgarh News: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल से साल 1962 से 1967 तक अपनी शिक्षा प्राप्त की थी. वहीं मंगलवार को उन्होंने यहां का दौरा किया.
Vice President Jagdeep Dhankhar Visit Rajasthan: उपराष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार जगदीप धनखड़ अपने चित्तौड़गढ़ स्थित सैनिक स्कूल पहुंचे. यहां उन्होंने साल 1962 से 1967 तक अपनी शिक्षा यहीं से प्राप्त की थी. हेलीकॉप्टर से चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल पहुंचे, जहां उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया, जिसके बाद उन्होंने विद्यालय परिसर में पौधारोपण किया. यहां से उपराष्ट्रपति पहले शहर के शास्त्रीनगर में अपने स्कूल टीचर हरपाल सिंह राठी के घर पहुंचे. राठी उन्हें सैनिक स्कूल में केमिस्ट्री पढ़ाते थे. अपने प्रिय शिक्षक से लंबे समय बाद मिलने पर उपराष्ट्रपति भाव विभोर हो गए. उन्होंने अपने गुरु के चरण छूकर आशीर्वाद लिया. उनके फेवरेट शिक्षक ने बताया स्कूल में धनखड़ कैसे थे.
स्कूल में पहुंचकर की याद ताजा
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ सैनिक स्कूल पहुंचे जहां शंकर मेनन सभागार में आयोजित कार्यक्रम को उन्होंने सम्बोधित किया. उन्होंने भारत द्वारा नित रचे जा रहे कीर्तिमानों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है. आज हम अपने औपनिवेशिक शासकों को पीछे छोड़ पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए हैं. उन्होंने छात्रों से आह्वान किया आप 2047 के सिपाही हैं. आप हर प्रयास करें ताकि भारत आजादी की शताब्दी मनाते समय विश्व में शिखर पर पहुंचे.
कानून को सर्वापरि रखने पर बल देते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि कुछ लोग समझते हैं कि वे कानून से ऊपर हैं और जब कानून का शिकंजा उन पर कसता है तो वे सड़कों पर विरोध प्रदर्शन का रास्ता अपनाते हैं. धनखड़ ने यह भी कहा किसी को भी राष्ट्र और हमारे संस्थाओं की छवि धूमिल करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
फेवरेट टीचर ने बताया स्कूल में कैसे थे धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के फेवरेट टीचर हरपाल सिंह राठी हैं. शिक्षक राठी ने सैनिक स्कूल में वर्ष 1962 से पढ़ाना शुरू किया था और 1996 में सेवानिवृत्त हुए. उत्कृष्ट सेवा के लिए उन्हें 1994 में राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. वे स्कूल के सांगा हाउस के हाउस मास्टर भी थे जहां जगदीप धनखड़ रहा करते थे. इसी कारण दोनों के बीच अत्यंत आत्मीय संबंध थे. उन दिनों को याद करते हुए हरपाल ने कहा कुछ छात्र ऐसे होते हैं जो पहली ही नजर में आपके दिल और दिमाग में बैठ जाते हैं, जगदीप धनखड़ ऐसे ही छात्र थे. हर क्षेत्र में विलक्षण और अग्रणी, उतने ही विनम्र भी.
हॉकी और फुटबॉल के अच्छे खिलाड़ियो में से थे एक
हरपाल राठी ने बताया कि उनकी अंग्रेजी पर बहुत अच्छी पकड़ थी, जब वें छठी क्लास में स्कूल आए थे तो साथ में पांच डिक्शनरी लेकर आए थे. ऐसी लगन मैंने किसी और छात्र में नहीं देखी. वो स्कूल के हॉकी और फुटबॉल के सबसे अच्छे खिलाड़ियों में से एक थे. उन्होंने कहा कि मुझे स्पष्ट याद है, जगदीप की परफॉर्मेंस की बदौलत ही सांगा हाउस ने 1967 में ओवरऑल चैंपियनशिप जीती थी. हरपाल ने आगे बताया कि जगदीप की हैंडराइटिंग बहुत अच्छी थी और वें स्कूल की मैगजीन में नियमित लिखते थे. उनकी अंग्रेजी हैंडराइटिंग अभी भी स्कूल के रिकार्ड्स में सुरक्षित रखी है.
बताया रोचक किस्सा
एक रोचक घटना का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने बताया कि उनके बड़े भाई कुलदीप धनखड़ भी सैनिक स्कूल में पढ़ते थे और उन्हें एक बार स्कूल से सजा मिली. साथ ही एक लैटर उनके पिता को भेजा गया जिसमें अंग्रेजी में लिखा था, "तुम्हारे बच्चे को ऊंट की सवारी के लिए सजा दी गई है." चूंकि गांव में अंग्रेजी किसी को आती नहीं थी इसलिए उन लोगों ने समझ लिया कि कुलदीप को स्कूल से अवार्ड मिला है.
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