Jodhpur News: तमिलनाडु के तटीय कन्याकुमारी जिले में 2017 में चक्रवात के दौरान फंसे एक प्रवासी गिद्ध को गुरुवार को जोधपुर लाया गया, जहां वह सर्दियों में अपने मूल स्थानों पर आने वाले गिद्धों के झुंड के संपर्क में आ जाएगा. कन्याकुमारी में पांच साल विशेषज्ञों की देखरेख में रहने के बाद नर गिद्ध को अनुकूल वातावरण और विशेषज्ञों द्वारा देखभाल के लिए हवाई मार्ग से जोधपुर लाया गया है.


अधिकारियों के अनुसार गुरुवार की शाम यहां पहुंचे सिनेरियस नस्ल के गिद्ध को विशेषज्ञों की निगरानी में यहां के माचिया सफारी पार्क में रखा जाएगा. बाद में उसी नस्ल के गिद्धों के साथ रखने की कोशिश की जाएगी.


कुछ समय के लिए किया आइसोलेट
जोधपुर के उपवन संरक्षक (वन्यजीव) संदीप छलानी ने बताया, "हम प्रोटोकॉल के रूप में इस गिद्ध को कुछ समय के लिए आइसोलेशन में रखेंगे. हम उसके स्वास्थ्य पर नजर रखेंगे और अगर वह स्वस्थ रहता है और उड़ान भरने में सक्षम होता है तो हम उसे सर्दियों में अपने मूल स्थानों से यहां आने वाले उसकी प्रजाति के पक्षियों के झुंड के पास ले जाएंगे."


सर्दियों में गिद्ध आते हैं राजस्थान
माचिया सफारी पार्क, जोधपुर के पशुचिकित्सक ज्ञान प्रकाश ने कहा कि यूरेशिया और कजाकिस्तान के गिद्ध सर्दियों में पश्चिमी राजस्थान और गुजरात के आसपास के इलाकों में आ जाते हैं. प्रकाश ने बताया कि वे जोधपुर के केरू और बीकानेर के जोहड़बीड़ में अपने सर्दियों के प्रवास के लिए झुंड में पहुंचते हैं. एक बार सिनेरियस गिद्धों के यहां आने पर हम इसे उनके झुंड में छोड़ेंगे और अगर वह झुंड में शामिल हो जाता है तो हम उसे छोड़ देंगे ताकि वह अपने मूल स्थान लौट जाएगा.


नागरिक उड्डयन मंत्रालय से ली इजाजत
क्योंकि जोधपुर का माचिया बायोलॉजिकल पार्क कन्याकुमारी से लगभग 2,600 किमी दूर है और सड़क/रेल मार्ग से गिद्ध को यहां लाने में कम से कम 4-5 दिन लगते. इसलिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय से आवश्यक अनुमति प्राप्त कर गिद्ध को विमान से यहां लाया गया.


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