(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Bharatpur News: केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पानी की किल्लत, दूसरी जगह जाने को मजबूर हुए पक्षी
पानी की किल्लत को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा लोगों को पीने के लिए जो चंबल के पानी की सप्लाई की जाती है, उसे रोक कर केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की झीलों में चंबल का पानी पहुंचाया जाएगा.
Keoladeo National Park: राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पानी की किल्लत हमेशा बनी रहती है. यहां पानी की स्थाई व्यवस्था के इंतजाम आज तक नहीं किए गए हैं. राजस्थान में प्री -मानसून की बरसात को देखते हुये पेटेंड स्टॉर्क केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पहुंचे, लेकिन वहां की झीलों में पानी नहीं होने के कारण पानी की तलाश में अन्य जगह कूच कर रहे हैं. अगर जल्दी ही पानी का समाधान नहीं किया गया तो इसका प्रभाव विदेशी पर्यटकों व पक्षी प्रेमियों की संख्या पर भी देखने को मिलेगा.
पानी नहीं होने से दूसरी जगह जा रहे पक्षी
भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को 550 एमसीएफटी पानी की जरुरत होती है, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में झीलों के आठ ब्लॉक हैं, जिन्हें पानी से भरा जाता है. यहां प्रवासी पक्षी पेटेंड स्टॉर्क प्रजनन करने के लिये डेरा डालते हैं और झीलों के पानी से मछली ,वनस्पति को खाते हैं और अपने नवजात शिशुओं को खिलाते हैं. झीलों के सुखी होने से पक्षियों को खाने को कुछ नहीं मिल रहा है इस लिए पक्षी अन्य जगह जा रहे हैं.
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पानी का कोई भी स्थाई समाधान नहीं है. बरसात के सहारे ही पानी मिलता है. पहले बारिश में भरतपुर के अजान बांध में गंभीर नदी और बाढ़ गंगा नदी द्वारा पानी आता था और अजान बांध से राष्ट्रीय उद्यान को पानी की आपूर्ति की जाती थी, लेकिन करौली में पांचना बांध बनाए जाने के बाद गंभीर नदी और बाढ़ गंगा नदी में पानी की आवक कम होती है, जिससे अजान बांध में भी पानी की किल्लत रहती है. जब पांचना बांध में खतरे के निशान से ऊपर जलभराव होता है, तभी वहां से पानी गंभीर नदी में छोड़ा जाता है और गंभीर नदी से अजान बांध में पानी के आने बाद उद्यान को आपूर्ति की जाती है.
चंबल के पानी से होगी आपूर्ति
अब केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पानी की किल्लत को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा लोगों को पीने के लिए जो चंबल के पानी की सप्लाई की जाती है, उसे रोक कर केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की झीलों में चंबल का पानी पहुंचाया जाएगा, जिससे प्रवासी पक्षी पेटेंड स्टॉर्क केवलादेव उद्यान में अपना डेरा डाल सकें.
चंबल के पानी से भरेंगे उद्यान की झीलें
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पानी की कमी को देखते हुए जिला प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है. प्री मानसून को देखते हुए केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पक्षी आना शुरू हो गए हैं. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पानी नहीं होने के कारण वह आसपास के इलाकों में जहां पानी भरा हुआ है वहां पर डेरा डाले हुए हैं। जिसको देखते हुए कुछ दिनों के लिए आमजन को चंबल पानी की सप्लाई को बंद कर घना पक्षी विहार में पानी छोड़ा जाएगा.
जिला कलेक्टर का क्या है कहना
घना पक्षी विहार प्रशासन, जिला प्रशासन, जलदाय विभाग की बैठक हुई. बैठक के बाद कलेक्टर आलोक रंजन ने बताया कि प्री मानसून को देखते कुछ पक्षी केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में आ गए हैं, लेकिन अभी केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पानी नहीं है. इसलिए चंबल परियोजना के अधिकारियों के साथ बैठक की गई है. अगर इस समय पानी राष्ट्रीय उद्यान में पहुंच जाता है तो पक्षी नेस्टिंग कर लेंगे. नेस्टिंग के बाद पक्षी काफी समय तक केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में रहते हैं, जिन्हें देखने के लिए काफी पर्यटकआते हैं जिससे अर्थव्यवस्था चलती है. इसलिए चंबल परियोजना से आने वाले पानी को केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को पानी दिया जाएगा.
इस साल अभी तक चंबल का केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में नहीं दिया गया है. आज घना पक्षी विहार को पानी दिया जाएगा. आज आमजन के लिए चंबल के पानी की सप्लाई बंद रहेगी. 26 और 27 तारीख को फिर से आमजन के लिए पानी उपलब्ध करवाया जाएगा. जिसके बाद फिर से 28 तारीख को चंबल का पानी केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को दिया जाएगा.
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