SOP Issued in Rajasthan: राजस्थान में अस्पतालों में इलाज के दौरान चिकित्सकों पर होने वाले हमले और लापरवाही के मामले में दर्ज होने वाली एफआईआर को लेकर राजस्थान गृह विभाग ने रविवार को नई SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) जारी की  है. इस नई गाइडलाइन के तहत इस प्रकार के मामलों में बिना जांच के चिकित्सा कर्मियों पर केस दर्ज नहीं किया जाएगा. चिकित्साकर्मियों की गिरफ्तारी से पहले एसएचओ को संबंधित पुलिस अधीक्षक या उपायुक्त से मंजूरी लेनी होगी. 

 


गृह विभाग की ओर से जारी एसओपी में दिए गए हैं ये निर्देश

गृह विभाग की ओर से जारी एसओपी में राजस्थान चिकित्सा परिचर्या सेवाकर्मी और चिकित्सा परिचर्या सेवा संस्था अधिनियम, 2008 की कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों से कहा गया है कि उनके कार्य की प्रकृति और जनसाधारण के जीवन की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, उनसे ये अपेक्षा की जाती है कि वे किसी भी अप्रिय घटना होने पर या अपनी किसी मांग को मनवाने के लिए अपने कार्य का दुरूपयोग नहीं करेंगे.

 

डॉक्टर अर्चना शर्मा सुसाइड केस के बाद जारी किए गए नए दिशा-निर्देश

बता दें कि कुछ दिनों पहले दोसा के लालसोट में महिला डॉक्टर अर्चना शर्मा के सुसाइड मामले के बाद राजस्थान सरकार ने ऐसे प्रकरणों को लेकर नए दिशा निर्देश जारी किए हैं.  राज्य सरकार के गृह विभाग ने गाइडलाइन करते हुए कहा है कि वर्तमान में इंटरनेट से आधी-अधूरी जानकारी लेकर रोगी के परिजन डॉक्टर और चिकित्साकर्मियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करवा देते हैं. ऐसी स्थिति में चिकित्सककर्मियों को मानसिक रूप से प्रताड़ित होना पड़ता है इसलिए नई SOP में कई प्रावधान किए गए हैं. 

 

नई एसओपी में ये दिए गए हैं निर्देश

डॉक्टर और चिकित्सा कर्मियों की लापरवाही सामने आने पर थानाधिकारी बिना पुलिस अधीक्षक और पुलिस कमिश्नर की मंजूरी के डॉक्टर की गिरफ्तारी नहीं कर पाएंगे.  एसपी भी डॉक्टर चिकित्साकर्मी को गिरफ्तार करने के आदेश तब ही दे सकते हैं जब थानाअधिकारी की जांच में सहयोग नहीं कर रहे हों.  सबूत इकट्ठा करने के लिए डॉक्टर-चिकित्सकर्मी की जरूरत हो या अभियोजन से बचने के लिए खुद को छिपा रहे हों. 


राजस्थान चिकित्सा परिचर्या सेवाकर्मी और चिकित्सा परिचर्या सेवा संस्था (हिंसा और सम्पत्ति के नुकसान का निवारण) अधिनियम, 2008 के आधार पर नई एसओपी जारी की गई है. इसमें इलाज या ऑपरेशन के दौरान चिकित्सकीय लापरवाही की सूचना या परिवाद पर थानाधिकारी रोजनामचे में मामला दर्ज करेंगे. यदि सूचना /परिवाद चिकित्सकीय उपेक्षा के कारण मृत्यु से सम्बन्धित है, तो IPC की धारा 74 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा. इस स्थिति में पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी आवश्यक रूप से करवाई जाएगी.

 

डॉक्टर की लापरवाही से मौत मामले में मेडिकल बोर्ड का गठन अनिवार्य

चिकित्सकिय की उपेक्षा की शिकायत पर संबंधित थाने के एसएचओ की ओर से इस पाठ में जांच की जाएगी. जांच के दौरान उन्हें मामले के संबंध में मेडिकल बोर्ड से स्वतंत्र और निष्पक्ष राय लेनी होगी. थानाधिकारी को मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल सीएमएचओ से 3 दिन में मेडिकल बोर्ड गठित करवाना होगा. डॉक्टर की लापरवाही से मौत होने के मामले में विशेषज्ञ डॉक्टर के साथ मेडिकल बोर्ड का गठन अनिवार्य होगा. इसके साथ ही मेडिकल बोर्ड को 15 दिन में अपनी राय पुलिस को देनी होगी जिसकी समय अवधि बढ़ाई भी जा सकती है. एसओपी के अनुसार चिकित्सकीय लापरवाही की मेडिकल बोर्ड से राय मिलने पर ही थानाधिकारी की ओर से एफआईआर दर्ज की जा सकेगी. जांच के बाद कोर्ट में चालान पेश करने से पहले आईपीसी की श्रेणी में आने वाले सभी मामलों में अभियोजन स्वीकृति ली जाएगी.

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