Udaipur: जेंडर रिस्पॉन्सिव गवनेंस पर उदयपुर में शुरू हुई कार्यशाला, देशभर से महिला विधायक हुईं शामिल
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि कार्यशाला महिलाओं को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने, नेतृत्व क्षमता को बढ़ाने, पब्लिक स्पीकिंग और अन्य क्षमताओं में आगे लाने का एक प्रयास है.
Udaipur News: झीलों की नगरी उदयपुर में विशेष कार्यशाला शुरू हो गई है. इसमें तेलंगाना और पुडुचेरी के राज्यपाल तमिलिसाई सुंदर राजन के साथ देश भर से महिला विधायकों ने भाग लिया. कार्यशाला की शुरुआत शनल जेंडर एंड चाइल्ड सेंटर, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी और राष्ट्रीय महिला आयोग के सचिव से शुरू हुई है. कार्यशाला में राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, उड़ीसा की महिला विधायकों और राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने भी भाग लिया. कार्यशाला में इन 6 राज्यों की 30 महिला विधायक शामिल हुई.
राज्यपाल तमिलिसाई सुंदर ने महिला विधायकों को किया संबोधित
राजन ने कहा कि महिलाओं के लिए राजनीति में आना आसान नहीं है.चुनौतियों से पार पाकर इसमें कदम रखने वाली महिलाओं पर भी जिम्मेदारियां अधिक होती हैं.उन्हें समाज के स्तर को ऊपर उठाने और उसे सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए हर संभव प्रयास करते रहना चाहिए.महिला अपने हौसले और जज्बे से राजनीतिक क्षेत्र में भी झंडे गाड़ रही है.उन्होंने यह भी कहा कि अपनी खुशियों से समझौता न करें.वही करे जिससे खुशी मिलती है.नई ऊंचाइयों को छूने की कोशिश कीजिए, यह दुनिया आपकी है.
उन्होंने आगे कहा कि आज हम महिलाएं चाहे विधायक हों या किसी अन्य पद पर,यह सोचती हैं कि हमने बहुत कुछ हासिल किया है, लेकिन यह काफी नहीं है.महिलाओं के रूप में हमें खुद को आत्मविश्वासी, सक्षम और लोक सेवक बनाना होगा. हर दिन खुद को सुधारना होगा,भले ही वहटेक्नोलॉजी क्षेत्र ही क्यों न हो.हर चुनौती का सामना पूरे आत्मविश्वास के साथ करना होता है.इस कार्यशाला में पहले खुद सीखें और फिर जनसेवा में इसका इस्तेमाल करें.
इसलिए हो रही कार्यशाला
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि यह कार्यशाला महिलाओं के बीच क्षमता बढ़ाने, उन्हें डिजिटल रूप से सशक्त बनाने, उनकी नेतृत्व क्षमता को बढ़ाने, पब्लिक स्पीकिंग में आगे लाने और अन्य क्षमताओं में आगे लाने का एक प्रयास है.इसमें पूरे देश की महिला जनप्रतिनिधियों को जोड़कर उनका आत्मविश्वास बढ़ाने के साथ-साथ उनकी कार्य क्षमता को भी बढ़ाना है.कार्यशाला का यह तीसरा चरण है, इससे पहले उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में दो चरण हो चुके हैं.
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