Sheetala Saptami 2023: लोक-संस्कृति के प्रदेश राजस्थान में शीतला सप्तमी पर्व बुधवार को श्रद्धापूर्वक मनाया. अजमेर, ब्यावर, भीलवाड़ा, नागौर व अन्य शहरों में भक्तों ने शीतला माता की पूजा-अर्चना की. देवी के मंदिरों में सुबह से ही महिलाओं की कतारें लगी दिखाई दी. इस पर्व के मौके पर मंदिरों को आकर्षक रोशनी व कृत्रिम फूलों से सजाया. शीतला सप्तमी के पूरे दिन घरों में ठंडा भोजन किया. कई घरों में चूल्हे तक नहीं जलाए गए.
रोग होते हैं दूर शीतलता प्रदान करती हैं शीतला माता
भीलवाड़ा निवासी पार्वती ओझा ने बताया कि शीतला सप्तमी के दिन भक्त मां शीतला की पूजा-अर्चना और व्रत करते हैं, ताकि उन्हें किसी भी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल सके. ब्यावर निवासी प्रिया शर्मा ने बताया कि शीतला माता ग्रीष्मकाल में शीतलता प्रदान करती हैं. मान्यता है कि मां शीतला का व्रत करने से शरीर निरोगी होता है और गर्मी में होने वाले चेचक जैसे अन्य संक्रामक रोग से मां भक्तों की रक्षा करती हैं. शीतला माता की पूजा करने से चेचक, नेत्र विकार आदि रोग दूर होते हैं.
यह व्रत रोगों से मुक्ति दिलाता है और आरोग्य प्रदान करता है. अजमेर निवासी सुनीता दाधीच ने बताया कि गर्मी के दिनों में होने वाली बीमारियों को अधिकांश लोग माता शीतला का प्रकोप मानते हैं, इसलिए माता शीतला को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा करने के बाद ठंडा भोजन करते हैं. यह भी कहा जाता है कि माता शीतला संतानहीन महिलाओं को संतान की प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैं.
महिलाओं ने खरीदी मिट्टी की मूर्तियां
ब्यावर में सूरजपोल गेट स्थित शीतला माता मंदिर में मेले का आयोजन किया. यहां अलसुबह से ही महिलाओं की लंबी कतारें लगी रहीं. महिलाओं ने मंदिर पहुंचकर माता की पूजा की और कहानी सुनीं. देवी को ठंडे व्यंजनों का भोग लगाया. मेले में पारंपरिक खिलौनों की कई दुकानें लगी. मिट्टी के खिलौनों की दुकानों पर अधिकांश महिलाएं ईसर-गणगौर की मूर्तियां खरीदती दिखाई दीं.
बुजुर्गों से लिया आशीर्वाद
शीतला सप्तमी से पहले मंगलवार को घरों में तरह-तरह के पकवान और व्यंजन बनाए गए. सप्तमी को सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत का संकल्प लिया और शीतला माता के मंदिर जाकर पूजा की. माता को ठंडे भोजन का भोग लगाया. मुख्य रूप से दही, राबड़ी, चावल, हलवा, पुरी आदि पकवानों का भोग लगाया. इसके बाद जहां होलिका दहन हुआ था, वहां पहुंचकर पूजा की. घर में बड़े-बुजुर्गों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया.
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