Rajasthan NIA Raid in Jodhpur: जोधपुर (Jodhpur) के राधा वाला पुलिस थाना क्षेत्र में शनवार सुबह 5:00 बजे एनआईए (NIA) की टीम भारी पुलिस बले साथ एक घर में पहुंची. 5 घंटे तक पूछताछ चली, इस दौरान भारी संख्या में पुलिसकर्मियों को देखकर लोग कयास लगाने लगे कि कोई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल तो नहीं है. पूछताछ करने के बाद एनआईए की टीम लौट गई तो पता चला कि, रातानाडा पुलिस थाना क्षेत्र में रहने वाले बरकत खान मेहर (Barkat Khan Meher) पत्रकारों और सुरक्षा एजेंसियों के लिए मुखबिर का काम करते हैं. इस बीच बरकत खान मेहर ने बताया कि आतंकवादी संगठन (Terrorist Organization) की तरफ से उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही थी साथ ही आतंकी लोकेशन की भी तलाश में हैं, इसी को लेकर पूछताछ की गई. 


सक्रिय है पीएफआई का संगठन
बरकत ने बताया कि राजस्थान में पीएफआई का संगठन सक्रिय है जो कि अंडरग्राउंड रहकर काम कर रहा है. इसकी सूचना उन्होंने अधिकारियों को दी थी लेकिन सुरक्षा एजेंसियों में किसी भी तरह का कोऑर्डिनेशन नहीं है. एनआईए के अधिकारी ने मीडिया से कुछ भी बोलने से इनकार किया वहीं जाते समय बरकत खान मेहर को ऑफिस बुलाया गया है.




खोले हैं कई मामले 
पत्रकारों और सुरक्षा एजेंसियों के लिए काम करने वाले बरकत मेहर मुखबरी का काम लंबे समय से करते आ रहे हैं और उनका दावा है कि उन्होंने कई ऐसे मामले खोले हैं. अभी व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए 250 भारतीय नागरिकों को जोड़कर उनको बरगलाया जा रहा था, इसकी भी सूचनादी गई थी कि राजस्थान में पीएफआई संगठन काफी सक्रिय है अभी कोटा में उनकी मीटिंग हुई थी और जोधपुर में भी इससे जुड़े लोग मौजूद हैं.


अनसुलझे रह गए कई सवाल
बरकत से एनआईए की पूछताछ के बाद कई सवाल अनसुलझे ही रह गए. एनआईए की कार्यप्रणाली बेहद मजबूत मानी जाती है. बगैर ठोस आधार के एनआईए किसी के यहां दबिश नहीं देती. एनआईए अमूमन देश विरोधी आतंकी गतिविधियों और जासूसी से जुड़े मामलों की ही जांच करती है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि एनआईए को जोधपुर में कुछ हाथ नहीं लगा या फिर उसने फिलहाल कुछ जानकारी एकत्र की. हालांकि, जिससे पूछताछ की गई वो स्वयं को बेदाग बता रहा है. लेकिन सवाल उठ रहे है कि आखिरकार दिल्ली से जोधपुर आकर पूरी टीम को भारी पुलिस बल के साथ एक मकान में दबिश देने की नौबत क्यों आई, इसका जवाब देने के बजाय एनआईए ने मामले पर चुपी साध रखी है. 




कुछ भी साफ नहीं 
माना जा रहा है कि एनआईए की टीम जिस उद्देश्य से यहां आई थी वो पूरा नहीं हो पाया. ये भी बताया जा रहा है कि जानकारी एकत्र करनेके बाद टीम निकल गई. एनआईए की सफलता की दर 95 फीसदी है, अभी तक एंजेसी के द्वारा पकड़े गए 95 फीसदी आरोपियों को दोषी साबित किया जा चुका है. ऐसे में एनआईए की जोधपुर में दबिश गलत साबित हुई या फिर टीम एक बार फिर लौटेगी. अभी तक कुछ स्पष्ट नहीं हो पाया है.


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