NIT IIT Addmission: देश की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई-मेन के माध्यम से एनआईटी (NIT)-ट्रिपलआईटी (IIIT) और गवर्नमेंट फंडेड टेक्निकल इंस्टिट्यूट (GFTI) में प्रवेश की बोर्ड पात्रता का संशोधित आदेश हजारों विद्यार्थियों के साथ छलावा है. एक्सपर्ट नितिन विजय ने बताया कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से 10 जनवरी को जारी सूचना के बाद अब 12वीं बोर्ड में टॉप-20 पर्सेन्टाइल में शामिल विद्यार्थी भी सेंट्रल सीट एलोकेशन बोर्ड (सीएसएबी) काउंसलिंग के तहत एनआईटी, ट्रिपल-आईटी और गवर्नमेंट फंडेड टेक्निकल इंस्टिट्यूट (जीएफटीआई) के बीटेक इंटीग्रेटेड-एमटेक पाठ्यक्रमों में एडमिशन ले सकेंगे.
संशोधित आदेश के अनुसार 12वीं बोर्ड की पात्रता शर्तों में 75 प्रतिशत-क्राइटेरिया के साथ ही टॉप 20-परसेंटाइल क्राइटेरिया को भी सम्मिलित कर दिया गया है. एजेंसी का यह संशोधित नोटिफिकेशन खुशियां मनाने का मौका नहीं बल्कि विद्यार्थियों के साथ छलावा है. इसमें कोई नई बात नहीं है. यह क्राइटेरिया तो पहले भी था.इससे भी केवल 5-7 फीसदी विद्यार्थियों को ही फायदा होगा. इसमें भी बड़ा पेच यह है कि ज्यादातर बोर्ड ने टॉप-20 पर्सेन्टाइल में शामिल विद्यार्थियों की सूची जारी ही नहीं की है.इसका फायदा तभी मिल सकेगा जब यह सूची जल्दी से जल्दी जारी की जाए.
हजारों विद्यार्थियों के साथ अब भी हो रहा अन्याय
नितिन विजय ने बताया कि ऐसे विद्यार्थी जिन्होंने 2021 और 2022 में 12वीं की परीक्षा दी थी और ड्रॉप करके साल भर तैयारी की. उन हजारों विद्यार्थियों के साथ अब भी अन्याय हो रहा है और वो अब भी पहले वाली ही मानसिक व्यथा से गुजर रहे हैं.कोविड-19 के दौरान ये विद्यार्थी और उनके अभिभावक बड़े बुरे दौर से गुजरे हैं. ऐसे में किन विषम परिस्थितियों में विद्यार्थियों ने बोर्ड परीक्षा दी होगी. इसे आंका नहीं जा सकता.ऐसी स्थिति में बोर्ड परीक्षा के अंक और टॉप 20-परसेंटाइल औचित्यहीन हैं.
जिम्मेदार एजेंसियां मामले में टालमटोल का रवैया अपना रही
उन्होंने बताया कि एजेंसी को चाहिए कि वर्ष-2021 तथा वर्ष-2022 में बोर्ड-परीक्षाओं में सम्मिलित हुए विद्यार्थियों को 75 प्रतिशत- और टॉप 20-परसेंटाइल क्राइटेरिया से मुक्त रखा जाए. इनके मामले में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी-एनटीए द्वारा जोसा-काउंसलिंग के तहत एनआईटी, ट्रिपल-आईटी और गवर्नमेंट फंडेड टेक्निकल इंस्टिट्यूट-जीएफटीआई के बीटेक और इंटीग्रेटेड-एमटेक पाठ्यक्रमों में प्रवेश को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट आदेश जारी नहीं किए गए हैं. जिम्मेदार एजेंसियां इस मामले में टालमटोल का रवैया अपना रही है.
डिजिटल सत्याग्रह के तहत आए करीब 17 हजार विद्यार्थियों के फीडबैक के आधार पर हमने एनटीए को यह समस्या भेजी थी. उसका जवाब आया है कि वो केवल परीक्षा आयोजित करता है. इस मामले में हम कुछ नहीं कर सकते. इसको लेकर हमारा डिजिटल सत्याग्रह जारी रहेगा.उन्होंने बताया कि मुंबई हाई कोर्ट में भी हमारी टीम केस लड़ रही है.
स्पष्ट आदेश की आवश्यकता
उपरोक्त संस्थानों की अधिकतम इंजीनियरिंग सीटों पर प्रवेश जोसा-काउंसलिंग के तहत ही दिया जाता है. सीएसएबी के तहत काउंसलिंग के पश्चात आवंटित नहीं की जा सकी शेष कुछ सीटों पर ही प्रवेश दिया जाता है. एजेंसी को शीघ्र ही जोसा-काउंसलिंग की पात्रता-शर्तों को लेकर स्पष्ट आदेश जारी किए जाने की आवश्यकता है.
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