Rajasthan: गौशाला में गोबर से बनेगी CNG, रोजाना 6000 किलो गैस का होगा प्रोडक्शन, लाखों में होगी कमाई
Jaipur News: राजस्थान (Rajasthan) के जयपुर में हिंगोनिया गौशाला में सीएनजी (CNG) बनाने के लिए प्लांट तैयार हो चुका हैं. पेट्रोलियम मंत्रालय से इसकी स्वीकृति मिलते ही शुरुआत कर दी जाएगी.
Rajasthan CNG Will Be Made From Cow Dung: राजस्थान (Rajasthan) के जयपुर (Jaipur) की हिंगोनिया गौशाला (Hingonia Gaushala) में प्रदेश का सबसे बड़ा कंप्रेस्ड नेचुरल गैस सीएनजी का ऑटोमेटिक प्लांट बनकर तैयार हो चुका है. आपने और हमने गौशाला में अब तक गायों का दूध निकालते देखा होगा या इससे ज्यादा दूध से बनने वाले अन्य प्रोडक्ट बनाते देखे होंगे. लेकिन, राजस्थान के जयपुर में पहली बार हिंगोनिया गौशाला में सीएनजी (CNG) बनाने के लिए प्लांट तैयार हो चुका हैं. पेट्रोलियम मंत्रालय (Ministry of Petroleum) से इसकी स्वीकृति मिलते ही शुरुआत कर दी जाएगी.
ऑटोमैटिक होगा पूरा प्रोसेस
दरअसल, राजस्थान के जयपुर में इंडियन ऑयल ने कंप्रेस्ड नेच्युरल गैस सीएनजी प्लांट लगाया है. दावा किया जा रहा है की ये राजस्थान का सबसे बड़ा प्लांट होगा. इस प्लांट में रोजाना गाय के गोबर से 6 हजार किलोग्राम तक सीएनजी का प्रोडक्शन किया जा सकेगा. प्लांट जयपुर के हिंगोनिया गौ पुनर्वास केन्द्र की जमीन पर बना है. इस पर करीब 31.78 करोड़ रुपए खर्च आया है. इस प्लांट की खास बात ये है कि पूरा ऑटोमैटिक प्रोसेस होगा. इसमें एक बार गोबर को डालने के बाद आगे की सारा प्रोसेस ऑटोमैटिक होगा. सीएनजी बनने से लेकर उसे स्टोर करने तक के काम के लिए मैन पावर की जरूरत नहीं पड़ेगी.
100 टन गोबर से करीब 6000 किलो सीएनजी का होगा उत्पादन
हिंगोनिया गौशाला के रघुपति दास ने एबीपी न्यूज से खास बातचीत में बताया कि गोबर से सीएनजी बनाने का प्लांट 5 एकड़ जमीन पर बना हुआ है. इस प्लांट में प्रतिदिन 100 टन गोबर से करीब 6000 किलो सीएनजी का उत्पादन होगा. सीएनजी उत्पादन के बाद 20 टन जैविक खाद मिलेगी, इस कार्य से आने वाले समय में गौशाला आत्मनिर्भर हो पाएगी और 25 से 30 लाख रुपए प्रति महीना गौशाला की आमदनी शुरू हो जाएगी. इस प्लांट को चलाने के लिए मात्र 23 लोगों की जरूरत रहेगी. ये प्लांट भारत का पहला प्लांट है जहां पर गोबर से गाड़ियों में घूमने लायक सीएनजी गैस का उत्पादन किया जाएगा.
गैस बैलून में करेंगे स्टोरेज
इस पूरे प्लांट में छोटे-बड़े 8 टैंक और 2 गैस बैलून लगे हैं. इसमें लगे 2 प्री-डाइजेस्टर में प्लांट गोबर और पानी मिलाकर डाला जाता है. इसके बाद आगे का सारा प्रोसेसे ऑटोमैटिक होता है. यहां लगे 2 गैस बैलून टैंक में बनने वाली सीएनजी को स्टोर किया जाएगा. इन्ही टैंक में गैस के प्यूरीफिकेशन और कम्प्रेशन का काम होगा.
2020 में शुरू हुआ था काम
इंडियन ऑयल कंपनी ने सीएसआर फण्ड के तहत इस प्लांट को लगाने का काम 2 साल पहले साल 2020 में शुरू किया था. इस प्लांट में मिक्सिंग पिट में निर्धारित अनुपात में गोबर और पानी डाला जाएगा. इस सॉल्यूशन को प्री-डाइजेस्टर टैंक में ले जाकर वहां बैक्टीरिया के जरिए सीएनजी बनने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी. यहां से सीएनजी को सिलेंडर में भरकर मार्केट में डिस्ट्रीब्यूट किया जाएगा.
ये भी पढ़ें:
Black Tuesday: राजस्थान में हादसों भरा रहा मंगलवार का दिन , 3 सड़क दुर्घटनाओं में 9 लोगों की हुई मौत