Rajasthan One State One Election: राजस्थान में 'वन स्टेट वन इलेक्शन' की शुरुआत होगी. बुधवार (10 जुलाई) को पेश किए गए बजट में इसकी घोषणा कर दी गई है. अब इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं, क्योंकि, राजस्थान में लगातार चुनावों की वजह से आचार संहिता का माहौल रहा है. आचार संहिता लगने की वजह से प्रदेश में कई विकास कार्यों के साथ अन्य काम रुक जाते हैं.


अब इसी पर सरकार काम करने जा रही है. पिछली बार नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव में बड़ा उलटफेर हुआ था. नगरीय निकाय में कांग्रेस मजबूत स्थिति में थी और बीजेपी ने पंचायत चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया था.


स्थानीय चुनाव के परिसीमन की मांग 
इसलिए अब इसका असर अन्य चुनावों पर न पड़े, दोनों एक साथ कराए जाने की तैयारी चल रही है. कई बार पंचायत और नगरीय निकाय के परिसीमन को लेकर मांग उठ चुकी है. इसके लिए अब सभी निकायों के पुनर्गठन के लिए समिति बनेगी और उस रिपोर्ट के आधार पर उनकी स्थिति साफ हो पाएंगी.


'प्रदेश में संसाधनों की बचत होगी'
राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार जगदीश शर्मा का कहना है कि इस प्रयास से प्रदेश के संसाधनों की बचत होगी. यह एक बेहतर शुरूआत है. बहुत पहले राजस्थान में ऐसा होता रहा है. उन्होंने कहा, " 60 के दशक में चीजें इसी मोड़ पर थी. एक चुनाव में प्रदेश की पूरी मशीनरी लगी होती है. जिससे विकास के काम प्रभावित हो जाते हैं. अब इससे राहत मिलेगी."


अगर लागू होता है तो क्या होगा?
राजस्थान में अगर 'वन स्टेट वन इलेक्शन' लागू होता है तो इसके क्या परिणाम होंगे? बार-बार इलेक्शन के नाम पर सरकार को उस दबाव में नहीं जाना पड़ेगा. इससे बचने के लिए यह एक आदर्श व्यवस्था मानी जा रही है. जिसे लेकर सरकार भी उत्साहित है. यह सारी प्रक्रिया मुख्यमंत्री की निगरानी में होने जा रहा है. बार-बार टिकट वितरण को लेकर जो माहौल बनता है, उससे भी बचा जाएगा. साल 2025 में नगरीय निकाय के चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में यह एक बड़ी चुनौती होगी. 


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