(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Rajasthan News: CPS पद्धति से होगी अफीम की खेती, तस्करी की संभावना कम, NCB जारी करेगा लाइसेंस
Opium Cultivation: नारकोटिक्स विभाग विदेशों की तर्ज पर सीपीएस पद्धति से अफीम की खेती के लिए अधिक किसानों को पट्टे जारी करेगा. इस पद्धति से जहां तस्करी की संभावना कम रहती है.
Opium Cultivation News: नारकोटिक्स विभाग (NCB) विदेशों की तर्ज पर सीपीएस (CPS) पद्धति से अफीम की खेती के लिए अधिक किसानों को पट्टे जारी करेगा. इस पद्धति से जहां तस्करी की संभावना कम रहती है वहीं अफीम उत्पादन का सही तरीका भी है. नारकोटिक्स विभाग इसके लिए अगले माह नीति जारी करेगा. विभाग ने 500 टन अफीम की प्रोसेसिंग के लिए एक निजी कंपनी से करार किया है. यह कम्पनी अफीम प्रोसेस कर अल्कलॉयड निकालेगी. अल्कलॉयड कई तरह की दवा तैयार करने में काम आता है. पिछले साल विभाग ने प्रदेश में करीब डेढ़ हजार से ज्यादा किसानों को सीपीएस पद्धति से खेती के लिए लाइसेंस दिए थे.
यदि अफीम की खेती में सीपीएस का प्रयोग सफल रहा तो भविष्य में इसी पद्धति से अफीम की खेती की जाएगी. नारकोटिक्स विभाग ने पिछले साल अक्टूबर में 3.7 से 4.2 किलोग्राम मार्फिन प्रति हैक्टेयर की उपज देने वाले कई किसानों को सीपीएस पद्धति से खेती के लिए 6 आरी का लाइसेंस जारी किया था. पूरे देश में करीब साढ़े 9 हजार किसानों को लाइसेंस मिले थे, जबकि राजस्थान में यह आंकड़ा 1500 से ज्यादा था.
डोडा चूरा बंद, तस्करी में आ रहा काम
सीपीएस पद्धति से अफीम की खेती से तस्करी पर अंकुश लगेगा. डोडा चूरा की तस्करी पर भी रोक लगेगी. वर्ष 2015 के बाद राज्य सरकार ने डोडा चूरा की खरीद बंद कर दी. अब किसानों को डोडा चूरा नष्ट करना पड़ता है. तस्कर इसे किसानों से खरीद लेते हैं.
वर्ष 21-22 में प्रदेश में जारी पट्टे
कोटा- 2975 - -
झालावाड़- 1761 -
चित्तौड़गढ़- 15755 535
प्रतापगढ़- 7646 850
भीलवाड़ा- 5639 48
यह है पद्धति, सीधे डोडे से निकालते हैं दूध
सीपीएस पद्धति में सीधे डोडे से अफीम निकालते हैं. इस प्रक्रिया से अफीम में मार्फिन, कोडिन फास्टेट और अन्य रसायन की गुणवत्ता बहुत अच्छी रहती है. आस्ट्रेलिया समेत कई देशों में सीपीएस पद्धति से अफीम की खेती की जा रही है. कई देशों की दवा कंपनियां आस्ट्रेलिया से अफीम और उससे निकलने वाले रसायन मंगवा रही है. जबकि भारत में परम्परागत खेती के तहत डोडे में चीरा लगाकर उसका दूध बर्तन में इकठ्ठा किया जाता है. यह दूध अफीम बनने के बाद नारकोटिक्स विभाग को दिया जाता है.
विदेशों में अफीम खेती के लिए पट्टे तो मिलते हैं लेकिन किसान अफीम नहीं ले पाते. फसल में जब डोडे और अफीम आने लगती है तो सरकार पौधे के अधिकांश भाग को काट लेती है. मशीनों से डोडे के अंदर से अफीम निकाली जाती है. इसमें अफीम करीब 40 फीसदी ही निकलती है. इससे अफीम की चोरी, तस्करी जैसे अपराधों पर अंकुश लग सकता है.
वित्त मंत्री से मिले अफीम किसान
भारतीय किसान संघ से जुड़े अफीम उत्पादक जिले के किसान हाल ही में नई दिल्ली में केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिले. उन्होंने अफीम उत्पादन से जुड़ी कई समस्याओं के बारे में वित्त मंत्री को ज्ञापन दिया. किसानों का कहना था कि देश में अफीम की फसल का रकबा बढ़ाया जाय. पिछले कई सालों में जिन किसानों के लाइसेंस रद्द हुए हैं केन्द्र सरकार को उन्हें सीपीएस पद्दति से अफीम की खेती का लाइसेंस देना चाहिए. सरकार को अफीम नीति इस माह के अंत जारी कर देनी चाहिए.