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Rajasthan: उदयपुर के भुपाल हॉस्पिटल में पहली बार हुआ ब्रेन डेड शख्स का अंगदान, ग्रीन कॉरिडोर बनाकर जयपुर भेज गए किडनी-लिवर
Udaipur News: महाराणा भुपाल हॉस्पिटल में ब्रेन डेड मरीज का अंगदान हुआ, जिसके बाद ग्रीन कॉरिडोर बनाकर फ्लाइट से अंगों को जयपुर के SMS हॉस्पिटल भिजवाया गया, जहां दूसरे मरीजों का ट्रांसप्लांट किया गया.
Rajasthan News: राजस्थान के उदयपुर (Udaipur) के राजकीय रविंद्रनाथ टैगोर (RNT) मेडिकल कॉलेज के अधीन उदयपुर संभाग के सबसे बड़े महाराणा भुपाल हॉस्पिटल ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल के बाद उदयपुर का यह दूसरा हॉस्पिटल है, जहां ब्रेन डेड मरीज का अंगदान हुआ है. साथ ही ग्रीन कॉरिडोर बनाकर फ्लाइट से अंगों को जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल भिजवाया गया, जहां दूसरे मरीजों का ट्रांसप्लांट हुआ. अंगदान करने वाले मध्य प्रदेश के नीमच के रहने वाले हैं, जिनके परिवार ने अंगदान की सहमति दी.
आरएनटी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विपिन माथुर ने बताया कि खुशी की बात है कि हॉस्पिटल ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. पहली बार यहां ब्रेन डेड मरीज के ऑर्गन डोनेशन की प्रक्रिया पूरी हुई है. यह हॉस्पिटल राजस्थान का दूसरा राजकीय कॉलेज बन गया है, जिसने यह उपलब्धि हासिल की है. नीमच निवासी 56 साल के मरीज माणिकलाल हॉस्पिटल की सुपर स्पेशलिटी विंग में 15 दिन से भर्ती थे. ब्रेन हेमरेज होने की वजह से उनका ब्रेन डेड हो गया था. जयपुर एसएमएस और हैदराबाद के आईएमएस से डॉक्टरों की टीम आई, उन्होंने ऑपरेशन में सिर्फ लिवर और किडनी उपयुक्त पाई. इसके बाद फिर ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया और ऑर्गन जयपुर पहुंचा.
लिवर और किडनी ही पाए गए उपयुक्त
हॉस्पिटल में यूरोलॉजी विभाग के हेड डॉ सुनील गोखरू ने बताया कि डॉक्टर मरीज के परिजनों को लगातार मरीज की स्थिति बता रहे थे. यह भी बताया कि मरीज का ब्रेन डेड हो चुका है, जिसके रिकवर होने की संभावना नहीं है. इसके बाद परिजनों से अंगदान के बारे में बात की तो बाद में परिजन भी तैयार हो गए. इसके बाद प्रक्रिया शुरू की गई, जिसमें डॉक्टर की टीम द्वारा ब्रेन डेड और इसकी रिकवरी के चांस, अंगदान एजेंसी से बात सहित अन्य पहलू पर बात की गई. जब डॉक्टर की टीम ने कन्फर्म किया कि रिकवरी की संभावना नहीं है, तो हमने स्टेट लेवल पर ऑर्गन लेने वाले मरीजों का पता लगाया, लेकिन कोई नहीं मिला. इसके बाद फिर रीजनल सेंटर चंडीगढ़ में सूचना पहुंचाई गई.
हॉस्पिटल में यूरोलॉजी विभाग के हेड डॉ सुनील गोखरू ने बताया कि डॉक्टर मरीज के परिजनों को लगातार मरीज की स्थिति बता रहे थे. यह भी बताया कि मरीज का ब्रेन डेड हो चुका है, जिसके रिकवर होने की संभावना नहीं है. इसके बाद परिजनों से अंगदान के बारे में बात की तो बाद में परिजन भी तैयार हो गए. इसके बाद प्रक्रिया शुरू की गई, जिसमें डॉक्टर की टीम द्वारा ब्रेन डेड और इसकी रिकवरी के चांस, अंगदान एजेंसी से बात सहित अन्य पहलू पर बात की गई. जब डॉक्टर की टीम ने कन्फर्म किया कि रिकवरी की संभावना नहीं है, तो हमने स्टेट लेवल पर ऑर्गन लेने वाले मरीजों का पता लगाया, लेकिन कोई नहीं मिला. इसके बाद फिर रीजनल सेंटर चंडीगढ़ में सूचना पहुंचाई गई.
मरीज के परिजनों ने क्या कहा?
दिल्ली और एनसीआर में भी कोई रिसिपेंट नहीं मिला. नेशनल लेवल पर गए तो हार्ट के लिए कोई नहीं मिला, लंग्स के लिए हैदराबाद में कोई मरीज मिला. इसके बाद अलग-अलग जगह से डॉक्टर की टीमें उदयपुर आईं और दोपहर में ऑपरेशन शुरू किया, लेकिन लिवर और किडनी ही उपयुक्त पाए गए. अंगों को लेकर जयपुर पहुंचे, जहां जरूरतमंदों को ट्रांसप्लांट हुआ. वहीं मरीज के परिजनों ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि शरीर किसी काम नहीं आता, लेकिन अंगदान करके किसी की जिंदगी बचा रहे हैं, तो इससे बड़ा दान क्या होगा. यह पल दुख का है, लेकिन गर्व हो रहा है.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
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