Rajasthan News: प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल और पेपर लीक मामलों की वजह से देशभर में बदनाम हो चुके राजस्थान में पेपर लीक और नकल से बचने के लिए नया प्रयोग किया जा रहा है. प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने टीबीटी यानी 'टेबलेट बेस्ड टेस्ट' की मॉक ड्रिल आयोजित की है. दो दिन सोमवार और मंगलवार को होने वाले इस मॉक टेस्ट के लिए देश की कानपुर और मद्रास आईआईटी, बिट्स पिलानी और दिल्ली से देश के टॉप क्लास हैकर्स की 4 टीम बुलाई गई हैं, लेकिन ये तमाम लोग पेपर लीक कर पाने में असफल साबित रहे.
टीबीटी का मॉक टेस्ट कराया गया
कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष आलोक राज ने कहा कि इस मॉक टेस्ट को ऑपरेशन गोडावण का नाम दिया गया है. उन्होंने बताया कि टीबीटी प्रक्रिया को बेहतर तरीके से समझने के लिए ये मॉक टेस्ट कराया जा रहा है. इसके तहत पहले दिन करीब 100 प्रतियोगी छात्र दो पारियों में परीक्षा में शामिल हुए. दुर्गापुर के सरकारी स्कूल में ये मॉक टेस्ट बुधवार को भी दो पारियों में आयोजित की जाएगी.
क्या तरीका है टीबीटी का?
टीबीटी एक कंप्यूटर टेस्ट की तर्ज पर होता है जिसे टैबलेट बेस्ड टेस्ट कहते हैं. परीक्षा शुरू होने से 5 मिनट पहले सर्वर के जरिए पेपर सभी केंद्र पर पहुंचता है और फिर पेपर टैबलट में अपलोड होता है. इस पूरे काम में कम से कम 5 से 6 मिनट का समय लगता है. मॉक परीक्षा के दौरान हैकर्स की चारों टीमों ने पेपर लीक या सिस्टम हैक करने की पूरी कोशिश की लेकिन वो इस काम में सफल न हो सके. इन हैकर्स और एक्सपर्ट को बुधवार को फिर से बुलाया गया है.
टीबीटी के फायदे
- टीबीटी का सबसे बड़ा फायदा कागज की बचत है.
- पेपर सेंटर से लेकर प्रिंटिंग प्रेस तक किसी भी स्तर पर पेपर लीक की संभावना खत्म हो जाएगी. इसी तरह पेपर को परीक्षा केंद्र तक पहुंचने के दौरान भी पेपर लीक का खतरा खत्म.
टीबीटी करवाने में दिक्कत
- बड़ी संख्या में टेबलेट की आवश्यकता.
- इंटरनेट की अनिवार्यता.
- सर्वर डाउन तो पेपर की समय अवधि की समस्या.
- टेस्ट प्रक्रिया पूरी होने के बाद एमएनआईटी, जयपुर की टीम प्रक्रिया का परीक्षण कर उसकी रिपोर्ट बनाएगी.
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