Rajasthan News: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थान में बढ़ रहे कोरोना वायरस की बीमारियों की रोकथाम के लिए लगातार मंत्री व अधिकारियों से फीडबैक ले रहे हैं आम जनता को चिरंजीवी योजना के तहत लाभ नहीं दिए जाने को लेकर कई बार शिकायतें मिलने के बाद अब स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा एक्शन में दिखे.


स्वास्थ्य भवन में वीसी के माध्यम से मौसमी बीमारियों की रोकथाम, कोविड, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन तथा मुख्यमंत्री निशुल्क निरोगी राजस्थान योजना की प्रगति की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक में जरूरी निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि आशा, एएनएम और अन्य फील्ड स्टॉफ घर-घर जाकर सैंपलिंग करें और ब्लड सैंपल लेकर सही रिपोर्ट करें. उन्होंने कहा कि किसी भी पॉजिटिव रिपोर्ट को छुपाए नहीं. चिकित्सा विभाग हर बीमारी से लड़ने के लिए और प्रदेशवासियों को स्वस्थ रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. 


एडवांस लेने वालों पर होगी कार्रवाई 
मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना पूरी तरह कैशलेस योजना है, लेकिन कुछ अस्पतालों द्वारा मरीजों से इलाज से पहले एडवांस राशि जमा करवाने की शिकायते मिल रही हैं. उन्होंने मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरूणा राजोरिया को निर्देश दिए कि योजना में आमजन को इलाज पूरी तर मुफ्त देने का प्रावधान है अगर कोई अस्पताल एडवांस राशि लेता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. 


'मिड-डे-मील की नियमित सैंपलिंग करें'
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मौसम को ध्यान में रखते हुए व्यापक स्तर पर खाद्य पदार्थों की सैंपलिंग की जाए ताकि फूड पॉइजनिंग जैसी घटनाएं नहीं हों. उन्होंने सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रत्येक ब्लॉक में संचालित स्कूलों में दिए जाने वाले मिड-डे-मील के खाद्यान्न और मसालों सहित अन्य पदार्थों की माह में एक बार आवश्यक रूप से सैंपलिंग करवाकर उसकी जांच करवाएं. 


'पैसे लेने वालों पर होगी कार्रवाई'
फ्री जांच और दवा के लिए मरीज की जेब से पैसा लगा तो परिणाम संबंधित भुगतेगा उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बजट घोषणा क्रियान्विति में सभी प्रदेशवासियों के लिए सभी प्रकार की जांच, दवा और इलाज पूरी तरह फ्री है. अगर किसी प्रदेशवासी को जांच और दवा के लिए जेब से पैसा खर्च करना पड़ा तो संबंधित चिकित्सा संस्थान के प्रभारी/दोषी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी. 


'24 घंटें खुलें दवा केंद्र'
मंत्री परसादी लाल मीणा ने इस बात पर नाराजगी जताई कि कई स्थानों पर दोपहर 2 बजे बाद दवा वितरण केन्द्र बंद हो जाते हैं और मरीज को बाहर से दवा खरीदनी पड़ती है. उन्होंने सख्त हिदायत देते हुए कहा कि सभी दवा वितरण केंद्र 24X7 घंटे संचालित होने चाहिए. उन्होंने कहा कि जब चिकित्सा संस्थानों के लिए व्यापक स्टाफ के प्रबंध हैं तो इस तरह की गंभीर लापरवाही बर्दाश्त करने योग्य नहीं है.


'नहीं काटने पड़ें चक्कर'
शासन सचिव चिकित्सा शिक्षा वैभव गालरिया ने कहा कि अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में सभी दवाइयां उपलब्ध हैं. उनका भंडारण एक स्थान पर होना चाहिए. मरीज या उसके परिजनों को दवा के लिए अलग-अलग काउंटरों पर चक्कर नहीं काटने पड़े, इसको सुनिश्चित किया जाए. उन्होंने सभी मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल और चिकित्सा संस्थानों के प्रभारियों को दवा वितरण व्यवस्था की समीक्षा कर मरीजों को एक ही स्थान पर दवा उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए. 


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