Rajasthan News: राजस्थान कांग्रेस में सियासी हलचल, सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद क्या बोले गोविंद सिंह डोटासरा?
Rajasthan News: राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष प्रदीप सिंह डोटासरा उन मंत्रियों में शामिल थे, जिन्होंने पार्टी संगठन में काम करने के लिए सबसे पहले मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष प्रदीप सिंह डोटासरा ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की है. राजस्थान में रविवार को हुए सियासी उठापटक के बाद डोटासरा की सोनिया गांधी के साथ हुई मुलाकात को लेकर चर्चा है. डोटासरा उन तीन मंत्रियों में शामिल थे, जिन्होंने मंत्री पद के ऊपर संगठन में काम करने को तरजीह दी थी. पार्टी हाईकमान ने सचिन पायलट को बर्खास्त कर प्रदीप डोटासरा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था. 'एक व्यक्ति, एक पद' के फार्मूले की वजह से प्रदीप डोटासरा ने शिक्षा मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था.
महंगाई पर नरेंद्र मोदी सरकार को घेरेगी कांग्रेस
सोनिया गांधी से हुई मुलाकात के बाद प्रदीप डोटासरा ने कहा, '' हमने कई राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की. लेकिन चर्चा का मुख्य मुद्दा महंगाई था, जिस पर सरकार नियंत्रण नहीं कर पा रही है. हम महंगाई के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर हमला बोलेंगे.''
दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी जी से मुलाकात के बाद कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष @GovindDotasra जी
— Rajasthan PCC (@INCRajasthan) November 23, 2021
"आज कांग्रेस अध्यक्षा से शिष्टाचार भेंट कर प्रदेश में पार्टी गतिविधियों पर चर्चा की। देश में महंगाई बड़ा मुद्दा है जिसको लेकर हम केंद्र सरकार को घेरने का काम करेंगे"
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राजस्थान की अशोक गहलोत में रविवार को फेरबदल किया गया था. राजभवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस के 15 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी. इनमें से 11 विधायकों को कैबिनेट मंत्री और 4 विधायकों को राज्यमंत्री के रूप में पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई गई थी. इसके साथ ही 6 विधायकों को मुख्यमंत्री का सलाहकार नियुक्त किया गया था. मुख्यमंत्री के सलाहकार बनाए गए बाबू लाल नागर और संयम लोढ़ा निर्दलीय विधायक हैं. वहीं डॉक्टर जितेंद्र सिंह, राजकुमार शर्मा, दानिश अबरार और रामकेश मीणा कांग्रेसी विधायक हैं. राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार का 3 साल का कार्यकाल दिसंबर में पूरा होगा. गहलोत मंत्रिमंडल का यह पहला फेरबदल था.
कांग्रेस हाई कमान ने इस विस्तार में सचिन पायलट के समर्थकों का तो ध्यान रखा. लेकिन अभी यह तय नहीं है कि सचिन पायलट की क्या भूमिका होगी. अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत से पहले सचिन पायलट काफी मजबूत स्थिति में थे. उनके पास कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री पद की कुर्सी थी. लेकिन बगावत के बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था. विस्तार के बाद ऐसी खबरें हैं कि पायलट को दिल्ली में कोई जिम्मेदारी दी जा सकती है. लेकिन वह क्या होगी, अभी यह तय नहीं है.