Peepal Puja Vidhi: एक लोटे जल से ग्रह दोष होंगे दूर और पितृ होंगे प्रसन्न, जानें- कैसे करें अनुष्ठान
आगामी 16 मई को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को पीपल पूर्णिमा मनाई जाएगी. इस दिन पीपल के वृक्ष की विशेष पूजा करने से परिवार में मंगल, उन्नति, विकास और समृद्धि बनी रहती है.
Peepal Puja Vidhi: वैसे तो हर पेड़ किसी न किसी कारण से उपयोगी है, लेकिन पीपल का पेड़ हर मायने में शुभ गुणवत्ता से परिपूर्ण है. पंडित सुरेश श्रीमाली से बता रहे हैं कि ग्रह दोष दूर करना को पितरों को प्रसन्न करने के लिए क्या करना चाहिए. पीपल से जहां जीवन रक्षक औषधि मिलती है, वहीं इसमें भगवान का वास भी है. पीपल की जड़ में विष्णु, तने में कृष्ण, शाखाओं में नारायण, पत्तों में भगवान हरि और फल में सब देवताओं से युक्त अच्युत निवास करते हैं. इसकी उपयोगिता व महत्व वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों कारणों से है.
आगामी 16 मई को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को पीपल पूर्णिमा मनाई जाएगी. इस दिन पीपल के वृक्ष की विशेष पूजा करने से परिवार में मंगल, उन्नति, विकास और समृद्धि बनी रहती है. सूर्य उदय के बाद पीपल वृक्ष में मां लक्ष्मी का वास होता है. इसी वजह से सूर्योदय के पहले इसकी पूजा नहीं करनी चाहिए. इसे काटना या नष्ट करना तो ब्रह्म हत्या के समान है. वहीं वैज्ञानिक तरीके से देखें तो पीपल अधिक ऑक्सीजन देने वाला है. हमेशा पीपल के वृक्ष में पानी डालने के बाद इसकी परिक्रमा करनी चाहिए. क्योंकि पानी डालने के तुरंत बाद पीपल अधिक आक्सीजन देता है, साथ ही कुएं के पास पीपल का उगना आज भी शुभ माना जाता है.
पीपल में जल डालने के बाद जरूर करें परिक्रमा
पीपल पूर्णिमा का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि इस दिन पीपल की पूजा करने से ग्रह और पितृ दोष का निवारण होता है. सूर्य उदय के बाद एक लोटा जल पीपल के वृक्ष मे अर्पित कर इसकी तीन परिक्रमा करें. जिससे शनि, गुरु ग्रह शुभ फल देंगे. दरिद्रता, दु:ख और दुर्भाग्य का दूर होगा और इसके दर्शन और पूजन से दीर्घायु तथा समृद्धि प्राप्त होगी. इस दिन अगर आप पीपल के पौधे लगाएं तो कई प्रकार के दोष दूर होते हैं और देवगुरु बृहस्पति की कृपा प्राप्त बनी रहेगी.
इस दिन आप सभी प्रकार शुभ मांगलिक कार्य कर सकते हैं. अगर किसी कन्या की कुंडली में विधवा योग हो तो पहले पीपल वृक्ष या घड़े के साथ शुभ लग्न में उसकी शादी कराने के बाद उसका विवाह लंबी आयु वाले वर से कराने में लड़की का वैधव्य योग समाप्त हो जाता है. ग्रहों के अनिष्टकारी प्रभाव भगवान विष्णु ग्रहण कर लेते हैं और कन्या का सौभाग्य बना रहता है.
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