(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Rajasthan News: शहरी रोजगार गारंटी योजना में लोग नहीं दिखा रहे रुचि, आवेदन देने के बाद भी नहीं मांग रहे काम
Urban Employment Guarantee Scheme: राजस्थान में रोजगार देने के लिए शहरी रोजगार गारंटी योजना लागू कर दी गई लेकिन शहर में इस योजना में युवा और अन्य बेरोजगार रुचि नहीं दिखा रहे हैं.
Rajasthan Government: राजस्थान में मनरेगा की तर्ज पर सरकार ने शहरों में भी रोजगार देने के लिए शहरी रोजगार गारंटी योजना लागू कर दी लेकिन शहर में इस योजना में युवा और अन्य बेरोजगार रुचि नहीं दिखा रहे हैं. हालांकि इस योजना में लोग जॉब कार्ड तो बनवा रहे हैं लेकिन काम मांगने नहीं जा रहे हैं. गांव में पंचायत से मनरेगा के लिए जॉब कार्ड बनता है जबकि इस योजना में स्थानीय निकाय में जॉब कार्ड बनाने के लिए आवेदन करना होता है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट घोषणा में इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी स्कीम लागू करने की घोषणा की थी.
इस योजना के माध्यम से शहरी क्षेत्रों में मनरेगा के तर्ज पर मांगे जाने वाले काम पर 100 दिन का रोजगार प्रदान किया जाएगा. 15 मई तक सरकार ने सारी तैयारी पूरी कर योजना को शुरू कर दिया था. पूरे राजस्थान के निकायों में जॉब कार्ड भी बन रहे हैं लेकिन काम कब से दिया जाएगा इस बारे में अभी तक राजस्थान स्वायत शासन विभाग द्वारा कोई निर्देश किसी को भी प्राप्त नहीं हुए हैं. बूंदी शहर की बात करें तो अकेले बूंदी नगर परिषद में अब तक 2131 लोगों के जॉब कार्ड बन चुके हैं और वह लगातार बना भी रहे हैं. इस योजना में काम मांगने के लिए आवेदन ना के बराबर आ रहे हैं. 2131 लोगों में से अब तक केवल 50 लोगों ने ही काम मांगने के लिए आवेदन किया है.
कितने जॉब कार्ड बने और कितनों ने मांगा काम
नगर परिषद आयुक्त महावीर सिंह सिसौदिया के मुताबिक बूंदी नगर परिषद में 2131 जॉब कार्ड बने हैं जिनमें से अब तक सिर्फ 50 लोगों ने ही काम के लिए आवेदन किया है. जिले के नैनवा नगर पालिका में 250 जॉब कार्ड बने हैं जिसमें एक महिला ने काम मांगने के लिए आवेदन किया है. इसी तरह इंद्रगढ़ नगर पालिका में 200 जॉब कार्ड बने हैं जिसमें 20 लोगों ने काम मांगने के लिए आवेदन किया है. केशोरायपाटन नगर पालिका में 1250 जॉब कार्ड बने हैं यहां 250 लोगों ने काम मांगने के लिए आवेदन किया है. लाखेरी नगरपालिका में 600 लोगों के जॉब कार्ड बने हैं पर काम मांगने के लिए 200 लोगों ने ही अभी तक आवेदन किया है. अधिकारी यह खुद मानते हैं कि जॉब कार्ड तेजी से बन रहे हैं लेकिन काम मांगने के लिए आवेदन बहुत कम आ रहे हैं.
योजना में धीमी होने का यह हैं प्रमुख कारण
शहरी क्षेत्र में सरकार द्वारा शुरू की गई रोजगार गारंटी योजना में रुचि कम दिखाने के कई प्रमुख कारण सामने आए हैं. शहरी लोग मजदूरी की बजाय संविदा पर दफ्तर में कुर्सी पर बैठने वाला काम या ठेला रेहड़ी लगाने वाले काम चाहते हैं. जबकि योजना में शमशान कब्रिस्तान, नाले नालियों में, बावरियों की सफाई, डोर टू डोर कचरा कलेक्शन, ठोस कचरा प्रबंधन जैसे काम नहीं करना चाहते. दूसरी सबसे खास यह भी है कि काम कब शुरू होगा इस बारे में अब तक कोई भी निर्देश स्थानीय निकायों को नहीं मिले हैं. जॉब कार्ड धारी निकायों में काम मांगने पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें कब काम दिया जाएगा अधिकारी को पता नहीं.
शहरों में इस योजना के तहत करवाने हैं यह काम
शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत शहरों में नरेगा योजना की तरह विभिन्न प्रकार के काम करवाए जाएंगे. जिसमें पर्यावरण, जल संरक्षण, स्वच्छता सैनिटेशन, हेरिटेज सरक्षण, प्लांटेशन, बगीचों की देखभाल, फुटपाथ, डिवाइडर के पौधों में पानी देखभाल, निकायों और उद्यानिकी, कृषि विभाग की नर्सरियों में पौधे तैयार करना, श्मशान-कब्रिस्तान में सफाई का काम कराया जाएगा. इसके अलावा पौधारोपण उद्यानिकी वानकी के काम, तालाब, कुएं, बावड़ी, जोहर की सफाई और मेंटेनेंस रेन वाटर हार्वेस्टिंग, स्ट्रक्चर बनाने मरम्मत और सफाई, डोर टू डोर कचरा कलेक्शन, जलस्रोत जीर्णोद्धार, टॉस कचरा प्रबंधन जैसे काम करवाए जाने हैं.
योजना के तहत हाजिरी कार्य मांप पर ऑनलाइन मिलेगी. मजदूरी स्कीम में लेबर मटेरियल का अनुपात 75% रहेगा. स्कीम में कुशल, अर्ध कुशल, कुशल श्रमिकों को श्रम विभाग द्वारा तय की गई मजदूरी मिलेगी. सरकार द्वारा जारी किए गए नए दिशा-निर्देशों के अनुसार स्थानीय निकाय क्षेत्र में निवास कर रहे 18 वर्ष से 60 वर्ष के नागरिक इस योजना के अंतर्गत अपने जन आधार कार्ड के आधार पर पंजीकरण करवा सकते हैं.
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