Rajasthan Chittorgarh Marriage: मकर सक्रांति बीत जाने के बाद शादियों की शुरुआत हो चुकी है. कोरोना काल में शादियां के तौर तरीके भी बदल गए हैं. कई शादियों में हमने दूल्हे की अलग तरीके से एंट्री देखी है लेकिन चित्तौड़गढ़ (Chittorgarh) जिले में पीहर और ससुराल पक्ष ने मिलकर दुल्हन (Bride) की एंट्री की प्लानिंग की. इसमें लोगों को मैसेज भी दिया कि बेटियां बोझ नहीं होती हैं, वो भी परिवार का बोझ संभालकर चलती है. गादोला गांव में किसान रामप्रसाद गायरी की बेटी आरती स्कूटी पर दूल्हे को पीछे बैठाकर मंडप में पहुंची तो उसकी ये एंट्री देख सब चौंक गए.


पूरे परिवार की थी प्लानिंग 
रामप्रसाद गायरी ने अपनी बेटी आरती को स्कूटी गिफ्ट दी और पति को पीछे बैठाकर स्टेज तक जाने को कहा. ये प्लानिंग सिर्फ रामप्रसाद की ही नहीं, पत्नी संतोषी और बेटे विनोद और अर्जुन की भी थी. सभी ने मिलकर अलग एंट्री के बारे में सोचा और ससुराल पक्ष ने भी इसमें साथ दिया. 




बेटियां बोझ नहीं हैं
रामप्रसाद गायरी ने बताया कि हम डिजिटल जमाने में हैं, इसलिए कुछ नया होना जरूरी है. घोड़ी और बग्गी में दुल्हन की एंट्री काफी पुरानी हो चुकी है. देखते आए हैं कि बेटियों को लोग कोख में ही मार देते है, इसलिए बेटी को शान से विदा करना था. इससे लोगों को ये ना लगे कि बेटियां बोझ हैं. 




दूल्हे के पिता ने भी रखा मान
पूर्व सरपंच प्रवीण टांक ने बताया कि बारात मध्यप्रदेश से आई थी. दूल्हे के पिता ने भी इस बात का मान रखा और दूल्हा ललित स्कूटी पर बैठा. आरती अभी बीएससी सेकंड ईयर में पढ़ाई कर रही है.


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