Rajasthan Phad Painting in Republic Day 2022: राजस्थान (Rajasthan) में कई प्राचीन कलाएं और संस्कृतियां मौजूद हैं. लोगों ने कई क्रांतिकारियों की कहानियां सुनी होंगी लेकिन इस 26 जनवरी को 700 साल पुरानी फड़कला (Phad Painting) और मेवाड़ के क्रांतिकारियों की कहानी पूरा देश देखेगा. भीलवाड़ा (Bhilwara) की फड़कला का प्रदर्शन राजपथ (Rajpath) के मुख्य मंच पर होने वाला है. 120 फीट लंबी और 6 फीट चौड़ी फड़ का 15 दिन तक प्रदर्शन किया जाएग.


10 कलाकारों ने किया तैयार 
फड़ चित्रकला को पहचान दिलाने वाले भीलवाड़ा के कल्याण जोशी ने बताया कि राष्ट्रपति के मुख्य मंच के आमने-सामने की दीवार पर जो 2 किलोमीटर की चित्रकला को लगाया जाएगा उसमें स्वतंत्र संग्राम में भूमिका निभाने वाले क्रांतिकारियों की चित्रकारी दिखाने की भरपूर कोशिश की गई है. कल्याण जोशी ने बताया कि फड़ को भीलवाड़ा के 10 कलाकारों ने चंडीगढ़ में 10 दिनों में तैयार किया है. फड़ में किसान आंदोलन के नायक विजय सिंह पथिक, केसर सिंह बराड़ की कहानी को दर्शाया गया है. 26 जनवरी को राजपथ पर मेवाड़ के क्रांतिकारियों की कहानी को पूरा देश निहारेगा. ये पहला मौका है जब इस चित्र कलाकारी से सभी रूबरू होंगे. 




स्वतंत्रता सेनानियों का किया गया चित्रण
फड़ चित्रकार कल्याण जोशी कैनवास पर भी चित्र भी उकेर रहे हैं. इसमें भीलवाड़ा (शाहपुरा) के महान स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर केसरी सिंह और उनके भाई ठाकुर जोरावर सिंह के साथ क्रान्तिकारी विजय सिंह पथिक (बिजौलियां) की जीवनी को चित्रात्मक रूप से प्रस्तुत किया जा रहा है. ठाकुर केसरी सिंह द्वारा लिखे गए "चेतावनी रा चूंगटिया" और ठाकुर जोरदार सिंह द्वारा अंग्रेजो पर बम फेंकने के दृश्य को प्रमुखता से चित्रित किया गया है. 




अनूठा होगा प्रदर्शन
कल्याण जोशी ने बताया कि गणतंत्र के मौके पर देश भर में चल रहे अमृत महोत्सव के तहत इस बार दिल्ली के राजपथ पर ये प्रदर्शन अनूठा होगा. आधुनिक चित्रकला के साथ पारंपरिक कला का मिश्रण एक नवीन प्रयोग पहली बार एक साथ देखने को मिलेगा, जो विश्व भर के लिए आकर्षण का केंद्र होगा. विश्व प्रसिद्ध फड़ शैली में बन रही इस पेन्टिंग में भीलवाड़ा के चित्रकार ओम प्रकाश सालवी, छीतर जोशी, राहुल पाठक, महेश विश्नोई, राहुल सिंह, और राम प्रसाद स्वामी इसे बेहतर बनाने में जी जान से जुटे हैं. देश के कई वरिष्ठ कलाकार कला कुंभ में भाग लेने वाले सभी कलाकारों को मार्गदर्शन दे रहे हैं. 




इन्होंने बनाई थी पहली बार फड़ पेंटिंग
बता दें कि, लोक देवता देवनारायण के भक्त चोचू भाट ने सबसे पहले उनकी फड़ पेंटिंग बनाई. इससे प्रसन्न होकर देवनारायण ने जोशी जाति के लोगों को फड़ चित्रकला बनाने के लिए अधिकृत किया. तभी से जोशी परिवार फड़ चित्रकला बना रहा है. जोशी परिवार जो 16वीं शताब्दी तक भीलवाड़ा के आसपास रहता था, बाद में शाहपुरा पलायन कर गया और 19वीं शताब्दी में फिर भीलवाड़ा आ बसा. यहां बड़े स्तर पर ये कला सीखी और सिखाई जाती है. 1969 में राजस्थान के भीलवाड़ा में जन्मे कल्याण जोशी 13वीं शताब्दी के फड़ चित्रकारों के वंश से आते हैं. इनके पिता पद्मश्री लाल जोशी के मार्गदर्शन में वो 8 वर्ष की उम्र से पेंटिंग कर रहे हैं. 


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