Reality Of Plastic Ban in Rajasthan: पर्यावरण बचाने की सोच के साथ केंद्र सरकार ने एक जुलाई से पूरे देश में पॉलीथिन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया था, लेकिन भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक बैन नाकाम रहा है. सरकारी रोक के बावजूद बाजारों में धड़ल्ले से प्लास्टिक बैग्स का उपयोग होता दिख रहा है. ग्राउंड लेवल पर आदेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ रही है. इस आदेश से आमजन और व्यापारियों को परेशानियां भी हो रही है.
डिस्पोजल आइटम्स की कालाबाजारी बढ़ी
सिंगल यूज प्लास्टिक बैन होने के बावजूद बाजार में बिक्री जारी है. अधिकांश दुकानों पर व्यापारी चोरी-छुपे माल बेच रहे हैं. बाजार में कालाबाजारी बढ़ गई है. शादी समारोह या अन्य आयोजन में काम आने वाले डिस्पोजल आइटम्स पहले कम कीमत पर मिल जाते थे. अब व्यापारी मनमाने तरीके से दोगुनी से भी ज्यादा कीमतें वसूल रहे हैं. प्लास्टिक कैरीबैग पर रोक होने के बावजूद बाजार में घूमते ग्राहकों के हाथों में दिख रही है.
बाजार में ठप हो गया व्यापार
डिस्पोजल आइटम्स का व्यापार करने वाले व्यापारी महेंद्र सलेमाबादी ने कहा कि सभी व्यापारी सरकार के समर्थन में है, लेकिन नाजायज परेशान करना गलत है. ऐसे फैसलों से तो व्यापार ठप हो जाएगा और व्यापारी सड़क पर आ जाएंगे. कई व्यापारी अपना परिवार पालने के लिए कालाबाजारी कर रहे हैं. आज हालत यह हो गई है कि ईमानदारी से कारोबार करने वाले व्यापारी शोरूम लगाकर बैठै हैं और उसमें माल नहीं है, न रख पा रहे हैं और न बेच पा रहे हैं. प्लास्टिक बैन को लेकर सरकार की गाइडलाइन प्रॉपर नहीं है. छोटे व्यापारी परेशान हो रहे हैं. सरकार को मैन्युफेक्चरर के वहां जाकर प्रोडक्शन रूकवाना चाहिए. यदि माल मार्केट में आएगा ही नहीं, तो बिकेगा नहीं और ब्लैक मार्केटिंग नहीं होगी.
कागज में कैसे दें गीली सब्जियां?
सब्जी विक्रेता पार्वती ने बताया, "सरकार ने बिना सोचे पॉलीथिन थैलियों पर बैन लगा दिया. अब अधिकारी और कर्मचारी आकर परेशान करते हैं. फुटकर विक्रेताओं और हाथ ठेला चलाने वाले गरीबों के चालान बना देते हैं. हमें मजबूरी में प्लास्टिक थैलियां रखनी पड़ती है. ग्राहक बाजार में बिना थैला लिए आते हैं. गीली सब्जी कागज की थैलियों में नहीं दे सकते. अगर उन्हें थैली देने से मना करें तो हमारी सब्जी नहीं खरीदेंगे. ग्राहकी नहीं होगी तो शाम को घर का चूल्हा कैसे चलेगा?" कुछ इसी तरह के विचार फूल माला बेचने वाले मुकेश ने भी बताए. उनका कहना था कि गीले फूलों को कागज में लपेटकर नहीं दे सकते.
8 में बिकने लगी 5 रुपए की चाय
प्लास्टिक बैन होने के बाद बाजार में डिस्पोजल गिलास की बिक्री पर भी रोक लगा दी है. अधिकारियों का मानना है कि गिलास पर प्लास्टिक की परत चढ़ी होती है. ऐसे में चाय बेचने वालों ने अब डिस्पोजल गिलास की जगह मिट्टी के कुल्हड़ का उपयोग करना शुरू कर दिया है. इससे चाय की कीमत बढ़ गई है. गली-मोहल्लों या बाजार में थड़ी पर बिकने वाली 5 रुपए की चाय अब 8 रुपए और 10 रुपए में बिक रही है. इसे लेकर चाय के शौकिनों में नाराजगी है.
बिना सोचे फैसले लेती है सरकार
बाजार में खरीददारी के लिए पहुंची ऋतु अग्रवाल ने कहा कहा कि सरकार के आदेश का मार्केट में कोई नहीं मान रहा. जो प्लास्टिक प्रॉपर बैन होनी चाहिए वो बैन नहीं हुई और जो नहीं करनी चाहिए वो बैन कर दिया है. सरकार को कोई भी फैसला लेने से पहले उसके परिणाम के बारे में सोचना चाहिए. बिना सोचे लिए फैसले कभी सफल नहीं होते. सिंगल यूज प्लास्टिक बैन कर देना किसी चीज का सोल्यूशन नहीं है.
भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक के आंकड़े
आंकड़ों के अनुसार, देश में 1.5 लाख मीट्रिक टन कचरा रोज निकलता है, जिसमें 9589 मीट्रिक टन प्लास्टिक वेस्ट होता है. इसमें केवल 30 फीसदी प्लास्टिक ऐसा होता है जो रिसाइकल हो पाता है लेकिन 70 फीसदी ट्रीट नहीं कर सकते.
कितने देशों ने प्लास्टिक के सिंगल यूज पर बैन कर रखा है?
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 80 देशों में प्लास्टिक के सिंगल यूज पर पूरी तरह या आंशिक तौर पर प्रतिबंध लगा रखा है. अफ्रीका के 30 देशों में तो ये पूरी तरह लागू है वहीं यूरोप में प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल पर अलग से टैक्स लगा दिया गया है या चार्ज लिया जाता है. वहीं विकासशील देशों में प्लास्टिक बैग्स के कुछ आइटम्स पर बैन लगाकर प्लास्टिक वेस्ट के प्रबंधन की कोशिश कर रहे हैं. प्लास्टिक का सबसे असरदार बैन अफ्रीकी देशों में ही लगा है. शायद इसकी वजह ये भी है कि वहां प्लास्टिक निर्माताओं की दमदार लॉबी है. हालांकि अलग-अलग देशों में अलग तरह के प्लास्टिक यूज पर बैन लगा है. केवल कुछ जगह ही ऐसी हैं जहां हर तरह के प्लास्टिक बैग पर बैन है. कई जगहों पर इसे सीमित करने के लिए ग्राहकों से अलग से पैसे लिया जाता है.
ये भी पढ़ें