Rajasthan News: कोटा पुलिस बेड़े में शामिल डॉग स्कॉच (बेल्जियम शेपर्ड) ने कमाल कर दिया है. नेशनल पुलिस ड्यूटी मीट में ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा जमाया है. राजस्थान पुलिस को 14 साल बाद नेशनल इवेंट में पदक मिला है. 66वीं अखिल भारतीय पुलिस ड्यूटी मीट 2023 प्रतियोगिता मध्यप्रदेश के भोपाल में 13 से 17 फरवरी तक आयोजित की गई थी. फोर्स के लिए सबसे बड़ी मानी जानेवाली प्रतियोगिता में 19 राज्यों- केरल, तेलंगाना, पंजाब, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, छत्तीसगढ़, हरियाणा, गुजरात, आरपीएफ, बीएसएफ, एसएसबी, आईटीबीपी से पुलिस और इंटेलिजेंस की टीमें शामिल हुई थीं.


राजस्थान पुलिस को 14 साल बाद मिला पदक
पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी ने बताया कि प्रतियोगिता के तीन इवेंट (ट्रैकर, नारकोटिक्स और एक्सप्लोसिव) में राजस्थान पुलिस की तरफ से दो डॉग ने भाग लिया था. सीआईडी सीबी कोटा पुलिस का डॉग 'स्कॉच' और झुंझुनू पुलिस का डॉग (बेल्जियम शेफर्ड) ने प्रतियोगिता में शिरकत की. डॉग स्कॉच ने मादक पदार्थ एक्सप्लोसिव इवेंट में बीएसएफ, आर्मी इंटेलिजेंस और अन्य राज्य की पुलिस के इंटेलिजेंट डॉग को कड़ी टक्कर दी और तीसरा स्थान हासिल कर राजस्थान को 14 साल बाद पदक दिलाया.


डॉग हैंडलर अमित कमल ने बताया कि स्कॉच 7 साल का है. साल 2016 में लाकर 5 माह की उम्र से ट्रेनिंग दे रहे हैं. बेल्जियम शेफर्ड प्रजाति के डॉग काफी एक्टिव होते हैं. प्रतियोगिता में डॉग स्कॉच ने मादक पदार्थ सर्चिंग, ह्यूमन बॉडी सर्चिंग, व्हीकल सर्च, ग्राउंड सर्चिंग, बिल्डिंग सर्चिंग और लगेज सर्चिंग में 19 राज्यों की टीमों को कड़ी टक्कर दी. 


बेल्जियम शेफर्ड अमेरिका के वाइट हाउस में भी तैनात
अमित कमल ने कहा कि बेल्जियम शेफर्ड प्रजाति के डॉग काफी इंटेलिजेंट और एक्टिव रहते हैं. बेल्जियम शेफर्ड अमेरिका के वाइट हाउस में भी पोस्टेड है. ओसामा बिन लादेन को पकड़वाने में भी इन डॉग्स का काफी महत्वपूर्ण योगदान रहा. कोटा का स्कॉच मादक पदार्थ तस्करी, मर्डर, चोरी डकैती के खुलासे कर चुका है. करीब साढ़े तीन साल पहले 16 करोड़ के मादक पदार्थों पकड़ने और सर्चिंग करने में स्कॉच की अहम भूमिका रही थी.


अंतराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक दिया जाता है भोजन
स्कॉच की खासियत है कि कमांड देने पर आर्टिकल ढूंढना शुरू कर देता है. काफी दूर होते हुए भी किसी डिवाइस से अनाउंस करने पर पूरी बात मानता है. उसकी नजर हैंडलर पर रहती है. उसे रोज सुबह शाम 4-4 घंटे वर्क आउट कराते हैं. अंतर्राष्ट्रीय मानकों का भोजन दिया जाता है.
 
मोबाइल पर भी सुन लेता है हैंडलर का कमांड
अमित कमल ने बताया कि स्कॉच मोबाइल पर भी हैंडलर का कमांड सुन कर टारगेट को अचीव कर लेता है. हैंडलर के अलावा किसी का भी कमांड नहीं मानता है. उसकी नियमित प्रैक्टिस कराई जाती है. स्पेशल डाइट और डॉक्टरों की देखरेख में खाना दिया जाता है ताकी सोचने, सूंघने की क्षमता बरकरार रहे. 


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