Rajasthan Police Issues SOP: राजस्थान पुलिस शादी-शुदा या लिव-इन में रहने वालों के लिए एक बेहद ही खास पहल की है. प्रदेश की पुलिस ने एक नई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की है, जिसका मकसद विवाहित जोड़ों और लिव-इन में रहने वाले लोगों को सुरक्षा प्रदान करना है.


यह कदम राजस्थान हाई कोर्ट के 2 अगस्त के निर्देश के बाद उठाया गया है, जिसमें राज्य को ऐसे जोड़ों की सुरक्षा के लिए एक तंत्र स्थापित करने का आदेश दिया गया था. राजस्थान पुलिस ने सुरक्षा मांगने वाले विवाहित जोड़ों और क्लोज रिलेशनशिप में रह रहे जोड़ों के आवेदनों पर एक्शन के लिए मानक संचालक प्रक्रिया (एसओपी) तय की है.


राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस की पहल


पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि इस संबंध में पुलिस मुख्यालय से अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस (सिविल राइट्स) भूपेंद्र साहू की ओर से आदेश जारी किए गए हैं. एडीजी साहू ने बताया कि राजस्थान हाई कोर्ट जयपुर के दो अगस्त 2024 को दिए गए आदेश की पालना में यह एसओपी निर्धारित की गई है.


इसके मुताबिक राजस्थान के विवाहित जोड़े और 'क्लोज रिलेशनशिप' में रह रहे कपल्स, किसी प्रतिनिधि अथवा वकील के जरिए प्रार्थना पत्र दे सकते है. अगर उन्हें किसी से भी खतरा हो तो वे इस संबंध में नामित नोडल अधिकारी को सुरक्षा के लिए आवेदन देंगे. 


हेल्पलाइन नंबर पर कर सकेंगे शिकायत


एसओपी के मुताबिक ऐसे कपल सुगम रिपोर्टिंग के लिए डायल 112, महिला हेल्पलाइन नंबर 1090, राज्य स्तरीय व्हाट्सएप हेल्पलाइन 8764871150, जिला स्तरीय व्हाट्सएप हेल्पलाइन एवं पुलिस नियंत्रण कक्ष के नंबर, जिला स्तर पर संचालित नियंत्रण कक्ष की ईमेल आईडी पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं।तय एसओपी के अनुसार नोडल अधिकारी शिकायत पर तुरंत पीड़ित युगल को अंतरिम राहत प्रदान करेंगे.


आवेदक के बयानों की होगी ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग


सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में आवेदक के बयानों की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी. अगर ऐसे जोड़े को किसी प्रकार का खतरा है तो पुलिस सुरक्षा उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करेगी. यदि सुरक्षा उपलब्ध कराने के पर्याप्त आधार नहीं है तो साफ कारण बताएं जाएंगे. ऐसे मामलों में संबंधित अधिकारी चाहे तो कपल्स के परिजनों को बुलाकर आपसी समझाइश का प्रयास करेंगे.


अगर संबंधित को आश्रय की जरुरत हो तो सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा संचालित ‘सेफ हाउस’ (सुरक्षित आश्रय) में उनके रहने की व्यवस्था कराएंगे. साहू ने बताया कि संबंधित युगल नोडल अधिकारी या जिला पुलिस अधीक्षक (SP) और पुलिस डिप्टी कमिश्नर भी संतुष्ट नहीं है तो जिला एवं राज्य स्तर पर संचालित पुलिस जवाबदेही समिति को अपना आवेदन भेज सकते हैं.


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