Rajasthan News: राजस्थान पुलिस, झूठे केस दर्ज करवा पुलिस और कोर्ट का कीमती समय और संसाधन खराब करने वाले व्यक्तियों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध कोर्ट में अभियोग पेश कर सजा दिलवाने की कार्रवाई करेगी. इसके लिए पुलिस मुख्यालय द्वारा पूर्व में भी समय-समय पर सभी एसपी व डीसीपी को निर्देश दिये गये हैं. अब इस इसे अभियान के रूप में लिया जाएगा.


अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस अपराध डॉ रवि प्रकाश मेंहरडा ने बताया कि प्रारंभिक तौर में झुंझुनू जिले के 2 थानों में किये गए प्रयोग में पुलिस को अभूतपूर्व सफलता मिली. चिन्हित किये गये 52 झूंठे प्रकरणों में से 50 में कोर्ट द्वारा आरोपियों को आर्थिक दंड की सजा सुनाई गई है. अब इस अभियान को पूरे प्रदेश में लागू कराया जाएगा. इसके लिए सभी पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस उपायुक्त को विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे.


2019 के बाद हर फरियादी की एफआईआर दर्ज करने का आदेश


डॉ मेंहरडा ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा साल 2019 से स्वतंत्र निर्बाध पंजीकरण की व्यवस्था की गई है. इसे पॉलिसी के रूप में संपूर्ण राज्य में लागू किया गया है. इस पॉलिसी के अंतर्गत जो भी व्यक्ति अपनी फरियाद लेकर थाने में जाता है, उसकी एफआईआर थाना अधिकारी को दर्ज करनी ही होती है. एफआईआर दर्ज नहीं करने पर थानाधिकारी के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाती है. 


उन्होंने बताया कि झूठे प्रकृति के बहुत से केस पुलिस के पास आने लगे हैं. जांच में आईपीसी ऑफेंस में औसत 31 प्रतिशत और महिला अत्याचार के 46% तक मामले जांच में झूठे पाए गए हैं. सही प्रकरणों की तफ्तीश में जो समय जाना चाहिए, उसका 30 से 40% समय झूठे मुकदमों की तफ्तीश करने और इस नतीजे पर पहुंचने में निकल जाता है.


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झूठे मुकदमे दर्ज कराने वालों पर ऐसे होती है कार्रवाई


एडीजी डॉ मेंहरडा ने बताया की कानून में 182 और 211 आईपीसी का प्रावधान है. झूठी एफआईआर दर्ज कराने वालों के विरुद्ध इस्तगासे के रूप में प्रकरण कोर्ट में दर्ज किया जा सकता है. झूठे मामले में पुलिस द्वारा पेश एफआईआर को कोर्ट में स्वीकृत कराने के बाद ही 182 व 211 आईपीसी की कार्रवाई के लिए कोर्ट में पेश किया जा सकता है. झुंझुनू जिले में पुलिस द्वारा  पिछले 3 साल के 52 प्रकरणों को चिन्हित कर कोर्ट में इस्तगासा पेश किया गया था.  कोर्ट ने आरोपियों को आर्थिक दंड से दंडित किया है.


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