मुकदमा, मुल्जिम, इल्जाम, इत्तिला, चश्मदीद समेत कई ऐसे शब्द राजस्थान की पुलिस की डिक्शनरी से गायब हो सकते हैं. राजस्थान की मौजूदा सरकार ने इन्हें हिंदी के शब्दों से बदलने का निर्देश दिया है. गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेधाम की ओर से चिट्ठी मिलने के बाद पुलिस मुख्यालय ने इस पर काम शुरू कर दिया है. ऐसे शब्दों और उनके हिंदी विकल्प को लेकर मंत्री ने जानकारी मांगी थी. 


चिट्ठी मिलने के बाद पुलिस प्रमुख यू आर साहू ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (प्रशिक्षण) से उर्दू शब्दों का भी ब्यौरा मांगा और उनके हिंदी विकल्प का पता लगाने के लिए कहा है. बताया जा रहा है कि बाकी शब्दों के साथ जेब तराशी और फर्द बरामदगी भी शब्दकोष से हटाए जाएंगे. इन शब्दों का इस्तेमाल राजस्थान पुलिस लंबे समय से कर रही है. 


नए शब्दों की तलाश में जुटी राजस्थान पुलिस


मंत्री ने अपनी चिट्ठी में अधिकारी को निर्देश दिए हैं कि वे ट्रेनिंग मटीरियल से उर्दू शब्द हटाएं और सभी ट्रेनी को उर्दू की जगह रिप्लेस किए गए नए हिंदी शब्दों से अवगत कराएं. इस बीच 11 नवंबर को डीजीपी ने इस चिट्ठी का जिक्र करते हुए आगे दूसरे अधिकारियों को जानकारी दी. जिसके बाद एडीजी (क्राइम) ने भी इसी चिट्ठी के संदर्भ में 10 दिसंबर को सभी पुलिस रेंज महानिरीक्षकों को पत्र लिखा और इसके साथ ही राज्य के सभी एसपी को एक चिट्ठी भेज दी गई है. 


कांग्रेस ने इस कदम का किया कड़ा विरोध


एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर राज्य के सभी एसपी को हिंदी शब्द के इस्तेमाल के बारे में जानकारी जुटाने के लिए कहा गया है.  उधर, कांग्रेस ने भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाले सरकार के इस कदम आलोचना की और इसे गैरजरूरी बताया है. राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो रही है लेकिन राज्य सरकार को इसकी कोई परवाह नहीं है. कांग्रेस ने कहा कि लंबे समय से चलन में रहे शब्दों को बदलने की जगह सरकार को अपराध को नियंत्रित करने पर काम करना चाहिए.


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