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Gehlot Vs Pilot: सरकार बनने के बाद कब-कब आमने-सामने आए गहलोत और पायलट, 10 प्वाइंट्स में जानें पूरा किस्सा

Rajasthan Politics: गहलोत बनाम पायलट की लड़ाई हाल ही की नहीं है, बल्कि इसके पीछे सालों की कड़वाहट और राजनीति का इतिहास है. 10 प्वाइंट्स में जानें दो दिग्गज नेताओं के बीच यह लड़ाई कैसे शुरू हुई.

Gehlot Vs Pilot Politics: राजस्थान में विधानसभा चुनाव अब ज्यादा दूर नहीं हैं. इसी बीच सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस में फिर उथल-पुथल दिखने लगी है. राज्य में 2018 से कांग्रेस सत्ता में काबिज है, लेकिन 'सचिन पायलट वर्सेज अशोक गहलोत' अंतर्कलह को अभी तक सही नहीं कर पाई. चुनाव से पहले कांग्रेस अपनी छवि बरकरार रखने के लिए यह दावा कर रही है कि पार्टी में एकजुटता है, लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट अंदरूनी लड़ाई के सबूत सामने लाते रहते हैं.

हाल ही का मामला है, 1 नवंबर को प्रधानमंत्री ने राजस्थान सीएम अशोक गहलोत की तारीफ की थी और उन्हें एक वरिष्ठ नेता बताया था. वहीं, अशोक गहलोत ने भी पीएम मोदी के सम्मान में कुछ शब्द कहे. इस बात पर सचिन पायलट ने बिना समय गंवाए अशोक गहलोत पर फिर हमला किया. पायलट ने कहा कि पीएम मोदी ने कुछ समय पहले गुलाम नबी आजाद की तारीफ में भी कुछ बातें कही थीं, आज की स्थिति सबके सामने है. अब इसपर अशोक गहलोत कहां शांत बैठने वाले थे. उन्होंने भी पायलट को जवाब दिया. उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस के नेताओं के एक दूसरे पर बयानबाजी करने का समय नहीं है, बल्कि एकजुट होकर केंद्र पर दबाव बनाने का समय है. ऐसी बयानबाजी से बचा जाना चाहिए.

Rajasthan Politics: 'गहलोत बनाम पायलट' की जंग में किसकी होगी जीत? जानें क्या कहते हैं कांग्रेस नेताओं के सितारे

राजस्थान के दोनों दिग्गज नेताओं के बीच की यह लड़ाई नई नहीं है. साल 2018 में जबसे कांग्रेस सरकार का गठन हुआ है, तभी से दोनों के बीच पावर की लड़ाई देखी गई है. आइए कुछ प्वाइंट्स में जानते हैं कैसे शुरू हुई यह लड़ाई-

1. साल 2018 में कांग्रेस सरकार का गठन हुआ था. उस समय सीएम चेहरे के लिए गहलोत और पायलट दोनों का नाम आगे चल रहा था. लंबे समय तक विचार-विमर्श के बाद और गहलोत की वरिष्ठता को देखते हुए कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें मुख्यमंत्री चुना और पायलट उप मुख्यमंत्री बनाए गए. उस दौरान दोनों नेताओं ने एक दूसरे के खिलाफ काफी कुछ भला-बुरा कहा और जुबानी जंग तेज हो गई. उस समय गहलोत ने पायलट को निकम्मा तक कह दिया था.

2.  कांग्रेस ने पायलट को भरोसा दिलाया था कि सीएम पद उन्हें ही मिलेगा, लेकिन ऐसा करना संभव नहीं था. वजह यह थी कि 108 विधायकों में से करीब 90 विधायक गहलोत के समर्थन में थे और उन्हें पायलट के फेवर में मनाना कोई आसान बात नहीं थी. सचिन अगर सीएम बनते, तो राजस्थान में कांग्रेस सरकार गिरनी तय थी.

3. कुछ समय बाद ही पायलट सब्र खो बैठे और उनपर 'बागी' होने का टैग लग गया और सीएम गहलोत ने जुलाई 2020 में उन्हें डिप्टी सीएम के पद से हटा दिया. इस दौरान गहलोत ने फिर कहा कि बीजेपी में जा मिलने के मकसद से ही पायलट बागी हुए हैं और 'आ बैल मुझे मार' का रवैया अपना रहे हैं. उन्होंने कहा था कि पायलट ने अमित शाह से मुलाकात की और कांग्रेस में दरार डालने की कोशिश कर रहे हैं.

4. मल्लिकार्जुन खरगे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद, सितंबर 2022 में कुछ ऐसा हुआ, जो कांग्रेस के इतिहास में कभी नहीं हुआ था. पर्यवेक्षक से मुलाकात और बातचीत के लिए 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी. लेकिन, अशोक गहलोत के गुट वाले विधायकों ने कांग्रस अध्यक्ष खरगे और अजय माकन की किरकिरी कर दी थी. बैठक में पहुंचने के बजाय करीब 100 विधायक कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर पहुंच गए थे और अलग बैठक की थी. इसके बाद स्पीकर सीपी जोशी को अपने अपने इस्तीफे सौंप दिए थे. 

5. विधायकों का ऐसा रुख कांग्रेस आलाकमान को चुनौती देना माना गया. इसके बाद सीएम अशोक गहलोत सोनिया गांधी से माफी मांगने पहुंचे. इस दौरान भी माफीनामे के साथ अशोक गहलोत सचिन पायलट के खिलाफ शिकायतों की लिस्ट भी साथ ले गए थे. इससे यह तो तय था कि दोनों पार्टी में साथ रहे तो आगामी चुनाव में मुश्किल खड़ी हो सकती है.

6. अशोक गहलोत ने बीजेपी पर कांग्रेस के विधायक खरीदने का आरोप लगाया था. इसी बीच उन्होंने पायलट पर भी निशाना साधते हुए कहा था कि सचिन पायलट ने अमित शाह से मुलाकात की है और अब. 

7. अक्टूबर 2022 में गहलोत और पायलट गुट की लड़ाई हाई कोर्ट तक पहुंच गई. कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की गई कि सियासी संकट के समय पायलट गुट के 19 विधायकों को अयोग्य करने का जो नोटिस भेजा गया था, उसपर जल्द सुनवाई हो. वहीं, पायलट के समर्थकों ने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में निलंबित है, इसलिए इसपर सुनवाई नहीं हो सकती.

8. दोनों नेताओं के साथ उनके समर्थकों में भी विवाद बढ़ गया था. कुछ समय पहले पायलट कैंप के विधायक रामनिवास गावड़िया ने सीएम अशोक गहलोत के करीबी धर्मेंद्र राठौड़ को दलाल बता दिया था और एक नई लड़ाई को जन्म दिया था. गावड़िया ने कहा था कि सीएम गहलोत ने जूते-चप्पल उठाने वाले को आरटीडीसी का चेयरमैन बना दिया. हालांकि उन्होंने डायरेक्ट राठौड़ का नाम नहीं लिया था, लेकिन निशाना उनकी ही तरफ था. 

9. मानगढ़ में जब पीएम मोदी ने गहलोत की तारीफ की तो पायलट ने तुरंत प्रतिक्रिया दी. कुछ साल पहले अशोक गहलोत सचिन पायलट पर बीजेपी से मिलने का इल्जाम लगाते थे. इस बार सिक्का पलटा औऱ पायलट ने यही इल्जाम गहलोत पर  लगाया. पायलट ने कहा कि अशोक गहलोत अब दूसरे गुलाम नबी आजाद बनते दिख रहे हैं. बता दें, गुलाम नबी के संसद में आखिरी दिन पर पीएम मोदी ने उनकी खूब तारीफ की थी और कांग्रेस में अंतर युद्ध की वजह भी बनी थी. गुलाम नबी ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था.

10. इसके बाद सचिन पायलट ने यह भी कहा था कि सितंबर में सीएलपी बैठक में शामिल न होने वाले विधायकों को नोटिस भेजा गया है और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

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