Rajasthan: बजट सत्र से पहले सचिन पायलट के इन पांच जिलों में जाने के क्या हैं सियासी मायने? पढ़ें
राजस्थान के कांग्रेस नेता सचिन पायलट राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले जनसंपर्क अभियान में जुटे हैं. सियासी गलियारों में इसे विरोधियों व कांग्रेस आलाकमान को अपनी ताकत दिखाना माना जा रहा है.
Rajasthan Politics: राजस्थान की सियासत में बवंडर मचाने वाले कांग्रेस नेता सचिन पायलट (Sachin Pilot) अब प्रदेश के पांच जिलों का दौरा करेंगे. भारत जोड़ो यात्रा के बाद और राज्य के बजट से ठीक पहले पायलट की नई उड़ान को लेकर सूबे के सियासी गलियारों में बहुत चर्चा है. पायलट राजस्थान के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री भी रहे हैं. कांग्रेस (Congress) सरकार के मौजूदा कार्यकाल में सीएम की कुर्सी पर काबिज होने के लिए पार्टी से बगावत करने के बाद इन्हें दोनों महत्वपूर्ण पदों से हटा दिया गया था. अब आगामी विधानसभा चुनाव (Assembly Election) से पहले पायलट की सूबे में सक्रियता लगातार बढ़ रही है. ऐसे में इनके सियासी दौरे विरोधियों की धड़कन और बैचेनी बढ़ा रहे हैं.
पायलट पार्टी दिग्गजों को दिखा रहे दम
राजस्थान से गुजरी भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) में सचिन पायलट की सक्रियता रही थी. दौसा में पायलट ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को अपना दम भी दिखाया था. वहां उमड़ी पायलट समर्थकों की संख्या पूरे देश में सुर्खियों में रही थी. अब एक बार फिर पायलट जनसभाओं के जरिए शक्ति प्रदर्शन करेंगे. राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके पीछे पायलट की सोच और संदेश स्पष्ट है. वे पार्टी को दिखा रहे हैं कि उन्हें सूबे की जनता का व्यापक समर्थन हासिल है. उनके पास हर क्षेत्र में सभी जाति समुदाय का मजबूत वोट बैंक है. उनके बिना सूबे की सत्ता में पार्टी की वापसी संभव नहीं होगी. उनकी अनदेखी करना पार्टी की उम्मीदों के परिणामों पर पानी फेर सकता है.
कांग्रेस में आंतरिक कलह और विरोधाभास
राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार और ब्लॉगर एस.पी. मित्तल (SP Mittal) ने एबीपी न्यूज से बातचीत में बताया कि सचिन पायलट का यह सियासी दौरा कई मायनों में महत्वपूर्ण है. यह सीधा-सीधा सचिन का शक्ति प्रदर्शन है. साथ ही यह भी है कि पार्टी हाईकमान मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई फैसला नहीं ले पा रहा है. ऐसी स्थिति में पायलट अपनी ताकत दिखाने के लिए ऐसा कर रहे हैं. राजस्थान में 10 माह बाद विधानसभा चुनाव भी होने हैं. चुनाव से पहले कांग्रेस की राजनीतिक दृष्टि से ये दौरे बेहद महत्वपूर्ण है. खास बात है कि यह तब हाे रहा है जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) बजट की तैयारी कर रहे हैं और लोगों से सुझाव मांग रहे हैं. उस वक्त सचिन जनता के बीच सभाएं करने जा रहे हैं. इससे साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस में आंतरिक कलह और विरोधाभास है.
पायलट इन जिलों में भरेंगे उड़ान
किसान नेता कहलाने वाले पायलट प्रदेश के विभिन्न जिलों में जनता और कार्यकर्ताओं के बीच जाकर आमसभा और जनसंपर्क करेंगे. वे 16 जनवरी को नागौर, 17 जनवरी को हनुमानगढ़, 18 जनवरी को झुंझुनूं, 19 जनवरी को पाली और 20 जनवरी को जयपुर जिले का दौरा करेंगे. इन 5 जिलों में 40 से अधिक विधानसभा क्षेत्र हैं. इन कार्यक्रमों को लेकर पायलट गुट के नेता और समर्थक तैयारियों में जुट गए हैं. गौर करने वाली बात है कि ये सभी जिले ऐसे हैं जहां गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिला था.
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