Rajasthan Congress Roadmap Assembly Election 2023: राजस्थान कांग्रेस में सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Sachin Pilot) के बीच सुप्रीमेसी को लेकर विवाद थमने की गुंजाइश हाल फिलहाल कम है. इस बात को ध्यान में रखते हुए न केवल विरोधी बल्कि सियासी जानकार भी आगामी विधानसभा चुनाव (Rajasthan assembly Election 2023) में कांग्रेस (Congress) की हार की आशंका जताने लगे हैं, लेकिन ऐसा कर लोग राजस्थान के जादूगर अशोक गहलोत के सियासी अनुभव को संभवज: अंडर एस्टीमेट कर रहे हैं. विवादों के बीच पनपकर उभरना गहलोत बखूबी जानते हैं. यही वजह है कि उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव में न केवल मोदी (PM Narendra Modi) की लोकप्रियता की काट निकालने में अभी से जुट गए हैं, बल्कि वो एक ऐसा पॉलिटिकल एजेंडा तैयार करने की मुहिम में बहुत आगे निकल गए हैं, जिसके दम पर कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव के बाद दोबारा सत्ता में वापसी भी कर सकती है. 


विरोधियों को सियासी मात देने की मुहिम पर अमल शुरू
दरअसल, चार दिसंबर से लेकर 21 दिसंबर तक भारत जोड़ो यात्रा के तहत राहुल गांधी राजस्थान में सीधे लोगों से संपर्क साध रहे थे. संपर्क साधने के बाद उन्होंने अकेले में गहलोत सं मंत्रणा कर उन्हें विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कुछ जन हितैषी पहलुओं पर अमल करने का सुझाव दिया था. राजनीति के जादूकर उनके इस सुझाव को एक जौहरी की तरह समझ गए थे. उसके बाद से सीएम गहलोत इस मसले पर तो कुछ नहीं बोले कि राहुल गांधी ने उन्हें क्या सुझाव दिए थे, लेकिन उन्होंने उस पर अमल करने का काम शुरू कर दिया है. इस बीच सचिन पायलट के साथ उनके तकरार को लेकर खबरें खूब चली, लोग इस बात के आज भी कयास लगा रहे हैं कि गहलोत बहुत जल्द सीएम पद छोड़ देंगे, लेकिन गहलोत अपनी नई-नई चालों ने न केवल पार्टी के विरोधियों को भ्रमित कर रहे हैं, बल्कि वैचारिक विरोधी बीजेपी को भी ​राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में बीट करने की मुहिम में अभी से जुट गए हैं.


पापुलर बजट लाने की तैयारी
उनकी इस रणनीति का पहला संकेत उस समय मिला जब 29 दिसंबर को जयुपर में कांग्रेस नेता और कार्यकर्ताओं, प्रदेश के बुद्धिजीवियों और राजस्थान के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक जातीय सरोकारों से ताल्लुक रखने वाले करीब 400 लोगों के साथ एक शिविर का आयोजन कर मंथन किया. इस शिविर में शामिल लोगों ने गहलोग सरकार को 16 सुझाव दिए हैं. सरकार से अपेक्षा की है कि वो इस पर अमल करे. शिविर में शामिल प्रबुद्ध लोगों का कहना था कि अगर आगामी बजट में कांग्रेस सरकार इन पहलुओं को ध्यान में रखकर बजट का आवंटन करेगी तो पार्टी में जारी अंतरविरोधों के बावजूद वो चुनाव जीत सकती है. 


कांग्रेस चिंतर शिविर के जरिए सीएम अशोक गहलोत ने साफ संकेत दे दिया है वो राहुल गांधी के सुझावों पर अमल करने जा रहे हैं. आगामी वो बजट में वो मोदी सरकार की जन विरोधी ​नीतियों से लोगों को राहत दिलाने वाला बजट बनाएंगे. बजट में अधिकांश प्रावधान ये होंगे कि आम लोगों को महंगाई से राहत कैसे मिले, बेरोजगार युवाओं को राजगार कैसे मिले, महिलाओं और बुजुर्गों को समय से समुचित पेंशन मिले, गरीब, पिछड़ों और दलित वर्गों के कल्याण से जुड़ी योजनाओं के लिए बजट का आवंटन ज्या करेंगे. ताकि मोदी की लोकप्रियता को कुंद करना संभव हो सके. 


जन सरोकार सबसे बड़ा सियासी हथियार
बता दें कि एक दिन पहले जयपुर में संपन्न चिंतन शिविर भी लोगों ने उन पहलुओं पर जोर देने के लिए कहा है, जिससे लोग दैनिक जीवन में रूबरू होते हैं. यानि स्थानीय विकास से जुड़ी योजना पर अमल से जुड़ी ऐसे सियासी रणनीति पर अमल का सुझाव दिया गया है, जिससे प्रदेश के आम लोग यह फील कर सकें कि गहलोत वही काम कर रहे हैं, जिसके लिए वो जाने जाते हैं.


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