Rajasthan Politics Over Madrasa: हाल ही में असम सरकार (Assam Government) ने मदरसों (Madrasa) को सरकारी अनुदान देने पर रोक लगाते हुए सरकारी खर्चे पर मदरसे बंद करने का फैसला लिया तो उसका असर राजस्थान (Rajasthan) तक देखने को मिला है. मदरसों को बंद करने को लेकर सियासत भी तेज हो गई है. अब कई राज्यों में सरकारी अनुदान से चलने वाले मदरसों को बंद करने की आवाज मुखर हो रही है. राजस्थान के पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी (Vasudev Devnani) ने ट्वीट कर कहा है कि, असम में ही क्यों, राजस्थान में मदरसे बंद क्यों नहीं हो सकते. सरकारी मदद प्राप्त मदरसे सिर्फ एक धर्म विशेष को शिक्षा कैसे दे सकते है. देवनानी ने आगे ये भी कहा कि भारत में हर छात्र को धर्मनिरपेक्ष वैज्ञानिक शिक्षा मिलनी चाहिए. अगर माता-पिता को जरुरी लगता हो तो वो घर पर धार्मिक शिक्षा दे सकते हैं. 


मदरसों में सरकारी अनुदान से धार्मिक शिक्षा क्यों? 
पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि, संविधान में सेक्युलर शब्द जोड़कर स्कूल के पाठ्यक्रम से "ग" गणेश ग निकाल कर ''ग" से गमला का कर दिया गया. ऐसे में मदरसों में कुरान और हदीस क्यों? देश में सबके लिये प्राथमिक शिक्षा स्कूल हैं, फिर मदरसों में सरकारी अनुदान से धार्मिक शिक्षा क्यों? 


आतंकवाद से निपटने के लिए कानून बनाए जा रहे हैं
दुनिया भर में इस्लामिक आतंकवाद से निपटने के लिए कई कानून बनाए जा रहे हैं और सख्ती से निपटा जा रहा है. पूर्व शिक्षा मंत्री देवनानी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, ''फ्रांस ने गत वर्ष इस्लामी आतंकवाद से निपटने के लिए नई शिक्षा नीति वाली बिल संसद में पेश कर दिया है जिसके तहत मस्जिद, मदरसा और घर में पढ़ाई नहीं की जा सकती. 3 साल के बच्चों को स्कूल भेजना अनिवार्य है. स्कूल के नियम से चलना होगा. इस्लामिक या धार्मिक पहचान वाला ड्रेस कोड खत्म हो गया है.''


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