Rajasthan Congress Crisis: राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी पार्टी का अंतरद्वंद्व चरम पर है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच की लड़ाई किसी से छुपी नहीं है. दोनों के समर्थकों में भी राज्य स्तर पर विवाद छिड़ा हुआ है. इसी बीच 'गहलोत बनाम पायलट' की आग को लोग हवा देने में लगे हैं. इस बीच कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम के एक ट्वीट ने सियासी गलियारों में हलचल बढ़ा दी है.
दरअसल, 30 जनवरी को राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का समापन जम्मू-कश्मीर में हुई. समापन कार्यक्रम में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी पहुंचना था, लेकन तबीयत खराब होने की वजह से वह नहीं जा सके. अशोक गहलोत ने ट्वीट कर निराशा जाहिर की. उन्होंने लिखा, '26 जनवरी को निमोनिया से संक्रमित हो जाने के कारण किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पा रहा हूं. मेरी आज श्रीनगर में भारत जोड़ो यात्रा के समापन कार्यक्रम में शामिल होने की दिली इच्छा थी, परन्तु डॉक्टर्स की सलाह के कारण वहां नहीं जा सका.'
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने आग में घी डालने का काम
अशोक गहलोत के इस ट्वीट को आचार्य प्रमोद कृष्णम ने रीट्वीट किया और लिखा, 'आपके 'उत्तराधिकारी' पहुंच गये हैं जी'. प्रमोद कृष्णम का इशारा सचिन पायलट की ओर था. यानी उन्होंने सचिन पायलट को अशोक गहलोत का उत्तराधिकारी और राजस्थान का संभावित सीएम चेहरा बताया. उनके इस ट्वीट पर कई लोगों ने कमेंट भी किया. किसी ने उनके समर्थन में तो किसी ने विरोध में. प्रमोद कृष्णम के इस बयान पर गहलोत गुट और पायलट गुट फिर आमने-सामने हो गए.
गहलोत-पायलट गुट फिर हुआ आमने-सामने
एक ट्विटर यूजर ने लिखा, 'इस जन्म में तो संभव नहीं है.' यानी सचिन पायलट अशोक गहलोत के 'उत्तराधिकारी' नहीं कहे जा सकते. वहीं, एक गहलोत समर्थक ने लिखा, 'बाबा इनका नाम अशोक गहलोत है. इतना आसानी से अपना उत्तराधिकारी पायलट को नहीं बनने देंगे.' वहीं, सचिन पायलट के एक समर्थक ने लिखा, 'सचिन पायलट बहुत ही विनम्र और जनता के दिल के करीब रहने वाले नेता हैं.' तो वहीं, दूसरे ने लिखा, 'अशोक गहलोत से यही उम्मीद थी. एक सचिन पायलट ही हैं, जो कहीं भी जा सकते हैं.' इतना ही नहीं, कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने कांग्रेस में फूट डालने के आरोप में प्रमोद कृष्णम को ही घेर लिया और कहा कि पार्टी को एक करने का काम करें, अलग करने का नहीं.
राजस्थान सीएम अशोक गहलोत साल 2023 में कांग्रेस सरकार के वापस आने का दावा कर रहे हैं और खुद को ही संभावित सीएम चेहरा बता रहे हैं. इतना ही नहीं, साल 2018 विधानसभा में कांग्रेस की जीत का श्रेय भी अशोक गहलोत ने खुद को दे दिया है. वहीं, सचिन पायलट भी लगातार किसान सम्मेलन को लेकर प्रदेश में रैलियां और जनसभाएं करने में लगे हैं और भारी भीड़ इकट्ठा करने में कामयाब भी दिखे हैं. हालांकि, अभी तक कांग्रेस नेतृत्व ने यह फैसला नहीं लिया है कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का मुख्य चेहरा कौन होगा.
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