Rajasthan News: सचिन पायलट फुरसत में दिखते हैं. फुरसत में रोटरी क्लब के समारोह में राज कपूर की फिल्म मेरा नाम जोकर का गाना गा रहे हैं जीना यहां, मरना यहां, इसके सिवा जाना कहां. कुछ लोग कह रहे हैं कि सचिन दर्द गुनगुना रहे हैं. कुछ लोग कह रहे हैं कि गाने के बहाने अशोक गहलोत तो चेतावनी दे रहे हैं.


दर्द गुनगुनाने वाला तर्क देने वालों का कहना है कि सचिन पायलट तीन साल तक गहलोत के खिलाफ मोर्चाबंदी करने के बाद समझ गये हैं कि कुछ होने वाला नहीं है. लिहाजा अब यहीं जीने और मरने का ही विकल्प बचा है. यही सियासी मजबूरी है. अपने वक्त का इंतजार किया जाए. दूसरी तरफ सचिन पायलट गुट का कहना है कि जीना यहां मरना यहां गा कर सचिन ने चेतावनी दे दी है कि वह बाहर कहीं जाने वाले नहीं हैं. यहीं राजस्थान में रहकर मूंग दलनी है और बयान बहादुर बने रहना है.

गाने से सचिन के अपने मायने
आगे बात करने से पहले कुछ बात राज कपूर की मश्हूर फिल्म मेरा नाम जोकर के इस गाने की. वैसे फिल्म पूरी तरह पिट गयी थी जिस तरह सचिन पायलट सियासी रुप से पिटे हैं. राज कपूर ने बड़ी मेहनत से फिल्म बनाई थी लेकिन चली नहीं. उसके बाद गुस्से में आकर राज कपूर ने बाबी फिल्म बनाई. यह फिल्म सुपरहिट साबित हुई थी. रिषी कपूर और डिंपल कपाड़िया का ऊंचाईयों पर पहुंचाया था. तब राज कपूर ने कहा था कि उन्होंने जानबूझकर टीनएज लव की हल्की फुल्की फिल्म बनाई क्योंकि भारत के लोगों को कुछ संजीदा कुछ गंभीर देखना नहीं है, हल्का फुल्का ही देखना है सो दिखा दिया बाबी के रुप में. कहां जीना यहां मरना यहां जैसा गाना और कहां हम तुम एक कमरे में बंद हो और चाबी खो जाए जैसा गीत. खैर, इस फिल्म में राज कपूर राजू नाम के जोकर बने थे. यह गाना शुरु होने से पहले सर्कस का मालिक कहता है कि यह राजू आदमी नहीं, यह तो जोकर है. इसे सर्कस में ही जीना है और मरना है.


सचिन पायलट भी शायद आला कमान को बताना चाहते हैं कि उनकी हालत भी सियासी जोकर जैसी बनाकर रख दी है हालांकि वह कांग्रेस में ही जीने और मरने की बात कर चुके हैं. सचिन शायद कहना चाहते हैं कि आला कमान को सचिन जैसे नेताओं की कद्र करनी चाहिए, सम्मान करना चाहिए, कांग्रेस के मजबूती के लिए जो वह कह रहे हैं उन्हें सुनना चाहिए.

सचिन के गाने का संदेश

सचिन पिछले साल की गरमियों में 19 विधायकों के साथ बगावत कर मानेसर चले गये थे. तब कहा जा रहा था कि बीजेपी में जाने की तैयारी है लेकिन सचिन पायलट हमेशा कहते रहे कि वह तो आला कमान तक अपनी बात पहुंचाना चाहते थे लिहाजा मानेसर गये जो दिल्ली से सटा हुआ है. उस समय सचिन उपमुख्यमंत्री भी थे और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी. लेकिन उन्हें मलाल था कि जरुरी फाइलें उनतक नहीं पहुंचती है, अशोक गहलोत उनका अपमान करने का कोई मौका चूकते नहीं हैं.


इस बीच बात आई कि सचिन को महासचिव बनाकर दिल्ली बुला लिया जाएगा. किसी बड़े राज्य की कमान सौंप दी जाएगी. लेकिन सचिन शायद राजस्थान में ही रहना चाहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि गैर मौजूदगी में कहीं गहलोत वापसी के दरवाजे ही बंद न कर दें. इसलिए वह गा रहे हैं कि जीना यहां, मरना यहां, इसके सिवा जाना कहां. इस गाने में दूसरे अंतरे के बाद प्यार का पान शीशे की तरह चटखता है और शीशे बिखर बिखऱ जाते हैं.


सचिन को क्या लगता है कि उन जैसे युवा नेता को तरजीह नहीं दी गयी तो कांग्रेस भी शीशे की तरह चटख जाएगी. क्या सचिन को लगता है कि पार्टी को चटखने से बचाने की जिम्मेदारी आला कमान उठा नहीं रहा है लिहाजा वह गाना गा कर संदेश पहुंचा रहे हैं कि जीना यहां, मरना यहां.

पिक्चर अभी बाकी है
गाने के अंत में राजू कहता है कि यह तो सिर्फ इंटरवल है. यह इंटरवल पन्द्रह मिनट का भी हो सकता है और पन्द्रह घंटे का भी. लेकिन इंटरवल के बाद जोकर वापस आएगा. हर हाल में जोकर वापस आएगा. तो क्या सचिन पायलट चेतावनी दे रहे हैं कि फिलहाल अशोक गहलोत के साथ की लड़ाई का इंटरवल है. इंटरवल के बाद की पिक्चर अभी बाकी है.


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