Sachin Pilot: राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस चिंतन शिविर का आयोजन कर रही है. कांग्रेस का ये चिंतन शिविर आज से तीन दिनों तक चलेगा. चिंतन शिविर में तमाम पहलुओं पर चर्चा होगी. लगातार मिल रही शिकस्त पर कांग्रेस यहां तीन दिन तक मंथन करेगी. साथ ही चिंतन शिविर में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को लेकर भी चर्चा हो सकती है, क्योंकि एक लंबे समय से इन दोनों दिग्गज नेताओं के बीच कोल्ड वॉर चल रहा है. जिसका असर आगामी विधानसभा चुनाव पर पड़ सकता है.
सचिन पायलट का शुरुआती जीवन
सचिन पायलट देश में सबसे कम उम्र में संसद पहुंचने वाले सदस्यों में से एक हैं. सचिन पायलट कांग्रेस के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय राजनेता राजेश पायलट के पुत्र हैं. पायलट के लिए राजनीति का क्षेत्र कोई अजनबी जगह नहीं है. भारतीय राजनीति में उनके पिता राजेश पायलट का बड़ा नाम था. उनकी मां रमा पायलट भी विधायक और सांसद रही हैं. साल 1977 में यूपी के सहारनपुर में जन्मे पायलट ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है. उनकी प्रारंभिक शिक्षा नई दिल्ली में एयर फोर्स बाल भारती स्कूल में हुई और फिर उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफ़ेंस कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की, इसके बाद पायलट ने अमरीका में एक विश्वविद्यालय से प्रबंधन में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की.
पायलट को उड़ान भरने का शौक
सचिन पायलट को उड़ान भरने का शौक है और वह एक अच्छे शूटर भी हैं. उन्हें 1995 में एनवाई, यूएसए से अपना निजी पायलट लाइसेंस (पीपीएल) भी प्राप्त किया है. शूटिंग में, उन्होंने कई राष्ट्रीय राइफल और पिस्तौल शूटिंग चैम्पियनशिप में दिल्ली का प्रतिनिधित्व किया है. उन्हें क्षेत्रीय सेना में लेफ्टिनेंट के रूप में भी सेवाएं दी हैं. इसलिए उन्हें क्षेत्रीय सेना में लेफ्टिनेंट पायलट के रूप में भी जाना जाता है. किसानों और युवाओं से जुड़े मुद्दों पर सचिन रुचि लेते हैं. उन्हें घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय समाचार और वर्तमान मामलों, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और अर्थशास्त्र, कृषि और ग्रामीण विकास, रणनीतिक और विदेशी संबंधी मामलों में विशेष रूचि है. उन्होंने 2001 में अपने पिता पर एक पुस्तक लिखी, पुस्तक का शीर्षक "राजेश पायलट: इन स्पिरिट फॉरएवर" है.
सचिन पायलट गांव-गांव घूमे
लेकिन जब सचिन पायलट ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभालना शुरू किया तो अपने पिता के अंदाज में ही खुद गाड़ी चलाकर गांव-गांव घूमना शुरू किया था. कांग्रेस में शामिल होने के बाद उन्हें "डाइनैस्टि लीडर" होने यानी वंशवाद के कारण राजनीतिक लाभ मिलने जैसी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. इस पर सचिन पायलट ने कहा था, "राजनीति कोई सोने का कटोरा नहीं है जिसे कोई आगे बढ़ा देगा. ऐसा कुछ भी नही हैं, इस क्षेत्र में आपको अपनी जगह खुद बनानी होती है.''
मेरा दिल टूट गया- सचिन पायलट
पिता की तरह बचपन से वो भारतीय वायुसेना के विमानों को उड़ाने का ख्वाब देखते आए थे. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, "जब मुझे पता चला कि मेरी आंखों की रोशनी कमज़ोर है तो मेरा दिल टूट गया, क्योंकि मैं बड़ा होकर अपने पिता की तरह एयरफोर्स पायलट बनना चाहता था स्कूल में बच्चे मुझे मेरे पायलट सरनेम को लेकर चिढ़ाया करते थे. तो मैंने अपनी मां को बताए बिना हवाई जहाज उड़ाने का लाइसेंस ले लिया."
राहुल गांधी और फारूक अब्दुल्ला के करीबी
सचिन पायलट ने कम उम्र में राजनीति में इतनी बड़ी उड़ान भरी. वहीं महत्वपूर्ण पदों पर रहे जहां तक आम नेता को पहुचने में जीवन गुजर जाता है, इसके पीछे सचिन पायलट का कांग्रेस के दिग्गज नेता राजेश पायलट के पुत्र के रुप में विरासत में मिली राजनीति, राहुल गांधी के करीबी और जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की पुत्री से शादी करना है.
2004-:
26 साल की उम्र में, वह 2004 में सबसे कम उम्र के सांसद चुने गए थे. सचिन पायलट को 2008 में विश्व आर्थिक मंच द्वारा युवा वैश्विक नेताओं में से एक चुना गया था.
2009-:
बीजेपी की किरण महेश्वरी को हराकर पायलट को 15 वीं लोकसभा में फिर से निर्वाचित किया गया. बाद में उन्होंने 2009 से 28 अक्टूबर 2012 तक केंद्रीय राज्य, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के रूप में कार्य किया.
2012-:
साल 2012 में सचिन कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री बने और 2014 तक इस पद पर बने रहे.
2014-:
सचिन पायलट ने अजमेर निर्वाचन क्षेत्र से 16वीं लोकसभा चुनाव लड़ा और बीजेपी के संवर लाल जाट से 1,71,983 मतों के अंतर से हार गए.
2014-:
13 जनवरी 2014 को, उन्हें राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया.
2018-:
सचिन पायलट ने राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 में टोंक विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.