Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान (Rajasthan) में इस साल विधानसभा के चुनाव (Assembly Election) होने वाले हैं. इसमें सभी बिरादरी के वोट अहम हैं. इन्हीं में से एक बिरादरी है जाटों की. जाट समुदाय राजस्थान की 30 विधानसभा सीटों पर प्रभाव रखता है. ये समुदाय ज्यादातर चुनावों में एकजुट होकर ही किसी भी पार्टी को वोट करता है. इसी एकजुटता को बनाए रखने के लिए चुवाव से पहले जाट समुदाय ने जयपुर (Jaipur) में शनिवार को जाट महाकुंभ का आयोजन किया  .


इस महाकुंभ का मकसद जाट बिरादरी के वोटर्स को चुनाव से पहले एकजुट करना था. हालांकि इस महाकुंभ में जाट समुदाय के बड़े नेता नहीं आए. इस बात को जाट समुदाय में पड़ी फूट के तौर पर देखा जा रहा है. वहीं बड़े जाट नेता इसमें शामिल क्यों नहीं हुए इसे लेकर स्थिति साफ नहीं की गई.


जाट बिरादरी चुनाव  में निभाती है अहम भूमिका


राजस्थान में होने वाले हर विधानसभा चुनाव में जाट बिरादरी अहम भूमिका निभाती है. इस समुदाय के मतदाता बीजेपी और कांग्रेस दोनों को वोट करते आए हैं. इसलिए दोनों पार्टियों की नजर इस समुदाय पर है. राजस्थान की सियासत में ये समुदाय बहुत अहम है. ये भी देखा गया है कि अपने मतों से ये समुदाय चुनाव परिणामों को भी  बदल सकता है. हालाकिं की आजादी के बाद से ये समुदाय कांग्रेस की ओर ही रहा. लेकिन 1999 में अटल बिहारी सरकार के इस समुदाय को ओबीसी कैटेगरी में आरक्षण दिए जाने के बाद इस बिरादरी ने अपना रुख बीजेपी की ओर मोड़ा. इसका बाद दो दशकों तक इस बिरादरी ने बीजेपी को अपना समर्थन दिया.


2018 में बीजेपी को भारी पड़ी थी जाटों की नाराजगी


वहीं 2018 में इस बिरादरी में बीजेपी को लेकर नाराजगी पैदा हो गई. समुदाय की ओर से शिकायत भरी आवाजें आने लगीं. कहा जाने लगा कि इस समुदाय को उसका हक नहीं मिला. साथ ही जाट समुदाय ने अपनी बिरादरी का सीएम बनाने की मांग भी मांग की. बीजेपी की तरफ से इस नाराजगी को दूर करने की  कोशिशें की  गईं. सीएम वसुंधरा राजे  ने खुद को जाट की बहु के रूप में पेश किया. लेकिन जाट समुदाय की नाराजगी दूर नहीं हुई. इसका नुकासान भी बीजेपी को उठाना पड़ा. जाट समुदाय के प्रभाव वाली 30 में से 18 सीटें कांग्रेस को मिली ओर अशोक गहलोत सीएम की गद्दी पर बैठे.


हनुमान बेनीवाल नहीं करेंगे इस आयोजन में शिरकत


2018 के  चुनाव के बाद ही नई पार्टी आरएलपी का उदय हुआ. इसे बीजेपी के पूर्व नेता हनुमान बेनीवाल ने बनाया. किसान आंदोलन के दौरान उन्होंने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा और उससे अलग राह पकड़ ली. खास बात ये है कि  हनुमान बेनीवाल जाटों के इस महाकुंभ में शामिल नहीं हुए. इसके बाद से ही कहा जा रहा है कि जाट बिरादरी में सब कुछ सही नहीं चल रहा. सियासी पंडित इसमें फूट की भी आशंका जाहिर कर रहे हैं.


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