Rajasthan Politics: कुछ दिन पहले जब भरतपुर के नदबई विधान सभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने बयान दिया था कि वो 36 कौम के नेता हैं और उनकी जाति का कोई विधायक भी नहीं है. फिर भी उन्हें तीन बार राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला. तभी से यह बात यहां की राजनीति में खूब चर्चा में बनी हुई है. वहीं, अब सचिन पायलट 'गुट' ने अशोक गहलोत के उस बयान के जवाब में मजबूती से काम करना शुरू कर दिया है. 


सचिन पायलट (Sachin Pilot) के साथ पंजाब कांग्रेस के प्रभारी और जाट नेता हरीश चौधरी (Harish Chaudhary) लगातार साथ-साथ दिख रहे हैं. पंजाब में बीते दिन हरीश चौधरी और सचिन पायलट साथ में एयरपोर्ट पर नजर आए थे. आज भारत जोड़ो यात्रा में साथ-साथ चले भी हैं. इस नई जुगलबंदी के कई मायने निकाले जा रहे हैं. इतना ही नहीं, जाट नेता मंत्री हेमा राम चौधरी, विधायक मुकेश भाकर, राम निवास गावड़िया ने भी जमीन पर सचिन पायलट के लिए कमान संभाल ली है. 


वहीं, मीणा नेताओं में बात करें तो मंत्री मुरारी लाल मीणा और गुर्जर नेताओं में कई विधायक हैं, लेकिन प्रमुख रूप से इंद्राज गुर्जर का नाम शामिल है. क्षत्रिय नेताओं में राजेन्द्र सिंह गुढ़ा ने तो खुलकर सचिन के लिए सीएम बनाने की मांग की है. दिग्गज नेता और विधायक खिलाडी लाल बैरवां ने भी पायलट के लिए कमान संभाली है. ये सभी मिलकर राजस्थान की राजनीति में क्या नया संदेश दे रहे हैं यह समझना बहुत जरूरी हो गया है.




गुर्जर नेता के मंच से गहलोत ने दिया था संदेश
अशोक गहलोत ने आखिर भरतपुर के नदबई से ही क्यों जातियों का राग अलापा था. उसके पीछे कई बातें सामने हैं. वर्ष 2018 के विधान सभा चुनाव में नदबई सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी हिमांशु तीसरे नंबर रहे और बसपा के जोगिंदर सिंह अवाना को जीत मिली थी. नदबई में जोगिन्दर सिंह अवाना के मंच से ही मुख्यमंत्री ने अपने आप को 36 कौम का नेता बताया. जोगिंदर मंच पर खड़े थे और खूब ताली बजाई. जोगिंदर खुद गुर्जर नेता है और उन्होंने अपने लोगों के बीच में मुख्यमंत्री की बात पर सहमति दे दी. यहां से एक बड़ा राजनीतिक संदेश देने का काम किया गया.


हरीश चौधरी और पायलट एक नए समीकरण की ओर
पिछले दिनों जब भारत जोड़ो यात्रा होने वाली थी, तो उस दौरान लगभग सभी मीटिंग में देखा गया कि बायतु विधायक हरीश चौधरी की कुर्सी सचिन पायलट के साथ ही लगती थी. चाहे वो हॉस्पिटल रोड के पीसीसी कार्यालय में केसी वेणुगोपाल की मीटिंग रही हो या अन्य मीटिंग. पायलट के साथ हरीश चौधरी की कुर्सी दिखी. दरअसल, हरीश चौधरी इस बार की गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे. लेकिन उन्हें पंजाब कांग्रेस का प्रभारी बनाया तो थोड़ा समीकरण बिगड़ा.


हरीश पिछले दिनों OBC आरक्षण विसंगतियों मामले में अशोक गहलोत का सीधे तौर पर विरोध करने लगे थे. हालांकि, अभी तक हरीश चौधरी ने एक बार भी खुलकर मुख्यमंत्री बदलने की मांग नहीं की है. सूत्रों की माने तो नए समीकरण की तरफ एक और प्रयास जारी है.


इसलिए हो रही है किलेबंदी
36 कौम नेता बनने के बयान से ही यहां की राजनीति में किलेबंदी शुरू हो गई है. जानकारों का कहना है कि सबकुछ जो हो रहा है वो सब अपने-अपने लोगों को टिकट दिलाने की कवायद है. शक्ति प्रदर्शन के माध्यम से आलाकमान को जनता की ताकत दिखाने की बात हो रही है. किसी भी तरह से कोई कमजोर न दिखे. चर्चा है कि कुछ दिनों पहले तक मंत्री मीणा भी सचिन पायलट के खेमे में थे, लेकिन अब उनका हृदय परिवर्तन हो गया है. गहलोत की तरफ झुक गए है.


सब आलाकमान के साथ है
राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार श्रीपाल शक्तावत का कहना है कि अभी राजस्थान के सभी कांग्रेस विधायक आलकमान के साथ हो गए है. कोई किसी गुट में नहीं दिख रहा है. हालांकि, 6 विधायक अभी भी गहलोत के साथ है. ऐसे में सभी को यह मालूम है कि चुनाव तो टिकट पर ही लड़ना है. श्रीपाल शक्तावत का कहना है कि पायलट के समर्थकों के सब्र का बांध टूट रहा है. इसीलिए वो सब एक साथ शक्ति प्रदर्शन में जुटे है.


अपने-अपने लोगों को टिकट दिलाने की तैयारी
राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार श्याम सुंदर शर्मा का कहना है कि अब चुनौती है टिकट दिलाने की. अशोक गहलोत इस प्रयास में है कि उनके लोगों को टिकट ज्यादा मिले. वहीं सचिन पायलट के लोगों को भी अपने नेता से टिकट की उम्मीद है. क्योंकि 2018 में सचिन पायलट अध्यक्ष थे और उन्होंने अपने लोगों को टिकट दिया था. इसी कड़ी में आज भी उनके लोग शक्ति दिखाने की जुगत में है.


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