Jodhpur News : राजस्थान में विधानसभा चुनाव इसी साल के अंत में होंने हैं. सभी राजनीतिक पार्टियां चुनावी मोड में आ चुकी हैं. प्रदेश भर में बड़ी रैलियों के जरिए शक्ति प्रदर्शन से नेता चुनाव की तैयारियों में जुट चुके हैं. मकर संक्रांति के उत्तरायण होने के बाद कांग्रेस पार्टी के पूर्व उप मुख्यमंत्री व युवा नेता सचिन पायलट (Sachin Pilot) 16 जनवरी से ताबड़तोड़ रैलियां नागौर, हनुमानगढ़, झुंझुनू और पाली में करने जा रहे हैं. रैली व प्रदर्शन के दौरान किसानों व युवाओं को संबोधित करेंगे.2023 में सरकार को रिपीट करने व विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत को लेकर सभा व रैलियों का आयोजन किया जा रहा है.
एक तीर से कई निशाने साधने की तैयारी
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल के गढ़ नागौर में 16 जनवरी को पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भरेंगे हुंकार इसकी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. हालांकि हनुमान बेनीवाल सचिन पायलट को कई बार नई पार्टी बनाने का ऑफर दे चुके हैं.कई बार तारीफ भी कर चुके हैं. देखना यह है कि सचिन पायलट किस तरह से हनुमान बेनीवाल का किला भेदने में कितने कामयाब होते हैं.पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के करीबी बायतु से कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने कुछ दिन पहले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी व हनुमान बेनीवाल को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की प्रायोजित पार्टी बताया था जिसके बाद सियासत गरमा गई थी.
प्रदेश में घूम -घूम कर फिर पायलट देने जा रहे संदेश
पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट 2013 से 2018 की तरह एक बार फिर प्रदेश भर में घूम- घूम कर संगठन को मजबूत करने की तैयारी में जुट गए हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सचिन पायलट के बीच का विवाद किसी से छुपा नही हैं. पायलट खेमें में इसे ताकत दिखाने के तौर पर देखा जा रहा है. वही पायलट गुट का कहना है कि सभी सभाएं व सम्मेलन संगठन को मजबूत करने के लिए व कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए की जा रही हैं.
2020 की बगावत के बाद पार्टी की हालत जस की तस
पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट चुनाव से पहले प्रदेश भर में घूम घूम कर समर्थन व संगठन को मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं ऐसा सचिन पायलट कई बार बोल चुके हैं. जिस तरह से कांग्रेस पार्टी को 2003 व 2013 में हार मिली थी उससे बचने के लिए अभी से जमीन पर उतर कर मेहनत करनी होगी. पायलट के इन सम्मेलनों से पार्टी को फायदा मिलेगा.राजस्थान कांग्रेस में 2020 में हुई पार्टी में बगावत के बाद और सितंबर 2022 में विधायक दल की बैठक को लेकर शुरू हुई सियासत के चलते प्रदेश की स्थिति जस की तस पड़ी हुई है. वहीं भारतीय जनता पार्टी की ओर से जमीन चुनावी रणनीति पर काम शुरू हो गया है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी सभाएं होने वाली हैं.