Rajasthan News: राजस्थान के गांव-ढाणी के गरीब स्टूडेंट्स का सच हुआ सपना, सरकार की मदद से विदेशों में कर रहे पढ़ाई
सीएम अशोक गहलोत का कहना है कि युवा राज्य सरकार की नीतियों का केंद्र बिंदु है. इस योजना को प्रारंभ करने का मुख्य उद्देश्य राजस्थान के उन छात्रों को आर्थिक सहायता स्कॉलरशिप के रूप में प्रदान करना है.
Rajasthan Education News: राजस्थान के टेलेंटेड स्टूडेंट्स को विदेश की मशहूर इंस्टीट्यूशंस में हायर स्टडी के अवसर मिले. कोई भी मेधावी छात्र आर्थिक तंगी या धन के अभाव में उच्च शिक्षा के अवसर हासिल करने से वंचित नहीं रहे. इस सोच को ध्यान में रखकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजीव गांधी स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस योजना की शुरूआत की. यह योजना प्रदेश के होनहार विद्यार्थियों का वह सपना साकार कर रही है, जिसे पूरा करने में उनके परिवार समर्थ नहीं थे. इस योजना के कारण प्रदेश के गांव-ढाणी के विद्यार्थी भी विदेशों के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, इम्पीरियल कॉलेज ऑफ लंदन, टॉरंटो यूनिवर्सिटी जैसे पॉपुलर इंस्टीट्यूशंस पढ़ाई कर रहे हैं.
ऐसे हो रहा स्टूडेंट्स का चयन
योजना के तहत हर साल 200 स्टूडेंट्स का चयन किया जाना है. अब तक कुल 238 विद्यार्थियों को पत्र जारी किया है, जिनमें से 37 विद्यार्थियों की फीस का भुगतान संबंधित शिक्षण संस्थानों को कर दिया है और बचे हुए स्टूडेंट्स की फीस का भुगतान प्रकियाधीन है. ज्यादातर स्टूडेंट्स को इस योजना का लाभ मिल सके, इसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने योजना की गाइडलाइन में बदलाव करते हुए 8 लाख से कम वार्षिक परिवारिक आय वाले विद्यार्थियों की सीट रिक्त रहने की स्थिति में अधिक वार्षिक परिवारिक आय वाले विद्यार्थियों के चयन पर विचार किया जाएगा. यूनिवर्सिटी की क्यूएस रैंकिंग के क्रमानुसार विद्यार्थियों का चयन किया जा रहा है. इस योजना के में 30 प्रतिशत सीटें वर्ग के लिए रिजर्व है.
सीएम ने इस सोच से बनाई योजना
सीएम अशोक गहलोत का कहना है कि युवा राज्य सरकार की नीतियों का केंद्र बिंदु है. इस योजना को प्रारंभ करने का मुख्य उद्देश्य राजस्थान के उन छात्रों को आर्थिक सहायता स्कॉलरशिप के रूप में प्रदान करना है, जो पैसों के अभाव में गुणवत्ता युक्त उच्च शिक्षा के लिए विदेश नहीं जा सकते. अब ऐसे होनहार विद्यार्थी सरकारी खर्च पर पीजी, पीएचडी, पोस्ट डॉक्टोरल कोर्सज विदेश के प्रख्यात शिक्षण संस्थानों से कर सकेंगे.
शिक्षण संस्थानों की संख्या बढ़ाकर 150 की
पहले इस योजना में 50 विदेशी संस्थान ही शामिल थे, लेकिन अब राज्य सरकार ने संस्थानों की संख्या बढ़ाकर 150 कर दी है. इसके तहत ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थी लाभांवित हो सके इसलिए अब सभी कोर्सेज के विद्यार्थी स्कॉलरशिप के लिए आवेदन कर सकते हैं. इसके अलावा बीटेक, एमबीबीएस, बीडीएस के चयनित विद्यार्थियों के लिए क्यूएस रैंकिंग के टॉप 25 विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए भी स्नातक स्तर पर 15 सीटें आरक्षित की गई है. इनमें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, इम्पीरियल कॉलेज ऑफ लंदन, टॉरंटो यूनिवर्सिटी, येल यूनिवर्सिटी, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स जैसे विश्व विख्यात संस्थान शामिल हैं.
जालोर के अभिषेक लैंकशायर यूनिवर्सिटी में कर रहे पढ़ाई
आर्थिक तंगी के कारण जालौर के 26 वर्षीय अभिषेक का विदेश में पढ़ाई करने का सपना साकार नहीं हो सका था. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहल पर शुरू की गई राजीव गांधी स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस योजना ने उनके सपनों को हकीकत में बदल दिया. अब अभिषेक यूके की नामी लैंकशायर यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. कर कर रहे हैं. अभिषेक ने बताया कि धन के अभाव में वे विदेश में पढ़ाई करने के बारे में सोच भी नहीं सकते थे, लेकिन इस योजना ने उनका जीवन बदल दिया. अभिषेक चारण को अकादमिक उत्कृष्टता 2021 के तहत राजीव गांधी छात्रवृत्ति के लिए चुना गया है. अभिषेक की पूरी ट्यूशन फीस, भोजन, आवास, वीजा, स्वास्थ्य बीमा, यात्रा व्यय, लैपटॉप और अध्ययन सहित अन्य सभी खर्च राज्य सरकार वहन कर रही है.
भीलवाड़ा के प्रद्युम्न यूके से कर रहे एमएससी
इसी तरह भीलवाड़ा जिले के छोटे से गांव गोरंडिया के प्रद्युम्न सिंह राणावत का चयन योजना के तहत हुआ और आज वे यॉर्क विश्वविद्यालय, यूके में प्रबंधन में एमएससी कर रहे हैं. इनका कुल शिक्षण शुल्क 23 हजार 950 पाउंड हैं यानि भारतीय मुद्रा के अनुसार 23 लाख 95 हजार रुपए है. इसके साथ ही 12 लाख रुपए अन्य खर्चों का वहन भी राज्य सरकार कर रही है. कॉलेज शिक्षा विभाग ने प्रद्युम्न की पूरी ट्यूशन फीस विश्वविद्यालय को जमा कर दी है. प्रद्युम्न ने बताया कि शैक्षणिक भविष्य और करियर के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए यह योजना एक सुनहरा अवसर है. अगर इस योजना के तहत छात्रवृत्ति नहीं मिलती तो विदेश में पढ़ना उनके लिए सिर्फ एक सपना होता. छात्रवृत्ति उन सभी प्रतिभाशाली छात्रों के लिए एक वरदान है, जो आर्थिक तंगी के चलते अपने सपने साकार नहीं कर पा रहे हैं.
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