Rajasthan News: राजस्थान में बिजली संकट के बीच पन बिजलीघर बना संकटमोचक, अब तक दे चुका करोड़ों की बिजली
Rajasthan: राजस्थान में बिजली संकट के बीच संकट मोचन रहे पन बिजली घरों को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है. बारिश नहीं हुई तो बिजली उत्पादन भी बंद होने की संभावना है.
Rajasthan Power Cut: राजस्थान (Rajasthan) में बिजली संकट के बीच संकट मोचन रहे पन बिजली घरों को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है. दरअसल मानसून की चेतावनी के बीच भी गांधी सागर बांध से पानी की आवक घट गई है. जिससे गांधी सागर में 30 सितंबर तक या उससे पहले बिजली उत्पादन बंद करने की चेतावनी दी गई. ऐसे में राणा प्रताप सागर बांध पन बिजलीघर को बंद करने के लिए कहा गया. बारिश नहीं हुई तो बिजली उत्पादन भी बंद होने की संभावना है.
राजस्थान में बिजली संकट के बीच रावतभाटा में स्थित राणा प्रताप सागर बांध बिजली घर इस समय संकटमोचन की तरह काम कर रहा है. अब तक इस मानसून में यह प्लांट 100 करोड़ों की बिजली बना चुका है. ऐसे में बिजली उत्पादन बंद होने से राजस्थान को बिजली कम मिलेगी. वहीं राणा प्रताप सागर बांध के अधिकारियों का कहना है कि पानी की खेतों में अभी जरूरत नहीं है. खेतों में पानी की जरूरत होगी तभी हम पानी छोड़ेंगे और बिजली का उत्पादन करेंगे.
गांधी सागर से आया यह मैसेज
रावतभाटा के संसाधन विभाग के अधिकारी रविंद्र कालरा ने बताया कि गांधीसागर बांध के अधिकारियों का कहना है कि इनफ्लो कम होते ही बिजली उत्पादन बंद किया जाएगा. फिलहाल 7000 क्यूसेक पानी की आवक बने होने से पानी का उपयोग कर उत्पादन किया जा रहा है. गांधीसागर अपने बांध का जलस्तर 1311 फीट तक करना तय किया है. ऐसे में वह उत्पादन बंद कर करेगा. कलरा ने कहा कि अभी पानी बचाना ज्यादा जरूरी है. गांधीसागर ने मैसेज दिया है कि पनबिजलीघर से उत्पादन बंद किया जाएगा. ऐसे में हम अपना पानी रोकेंगे. जैसे ही गांधीसागर बंद करेगा, वैसे ही राणा प्रताप पनबिजलीघर से बिजली उत्पादन बंद कर पानी को रोका जाएगा. अक्टूबर से मार्च तक पानी छोड़ा जाएगा, तभी बिजली का उत्पादन होगा. मानसून में अधिक पानी आने के कारण बिजली उत्पादन किया जा रहा था.
अक्टूबर से मार्च तक छोड़ा जाता है पानी
चंबल नदी में चार बांध बने हुए हैं. इसमें पहला बांध सबसे बड़ा बांध गांधी सागर है. उसके बाद राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर फिर कोटा बैराज हैं. रावतभाटा के संसाधन विभाग के अधिकारी रविंद्र कालरा ने बताया कि अक्टूबर से मार्च तक रबी की फसलों के लिए हाड़ौती और चंबल के किसानों के लिए पानी छोड़ा जाता है. बांध का पहला उद्देश्य हाड़ौती के किसानों को पानी देने का है. इसके साथ पनबिजली घर का उत्पादन किया जाता है. हाड़ौती के किसानों और चंबल के किसानों को पानी की जरूरत होगी, तभी पानी छोड़ा जाएगा.
ग्रामीण क्षेत्रों में आ रही है परेशानी
राजस्थान में बिजली संकट गहराता जा रहा है. बिजली की मांग बढ़ने से हालात ऐसे हो गए हैं कि शाम के समय 7 बजे से रात 11 बजे तक जब बिजली की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, तब ग्रामीण क्षेत्रों में दो घण्टे तक का कट लगाया जा रहा है. ऊर्जा निगम की मानें तो मानसून के दौरान रबी की फसलों से पहले सालाना बिजली उत्पादन इकाईयों को रखरखाव के लिए शटडाउन लिया जाता है. अभी केटीपीएस की 210 मेगावॉट की तीन नम्बर की इकाई में उत्पादन ठप है जबकि छबड़ा की 250 मेगावॉट की चार नम्बर में उत्पादन ठप है.
इसके अलावा 660 मेगावॉट की 6 नम्बर की इकाई में उत्पादन होने के साथ सूरतगढ़ की 250 मेगावॉट की एक नम्बर की और 660 मेगावॉट की दोनों सात और आठ नम्बर में उत्पादन ठप है. वहीं अडाणी की 660 मेगावाट की दो इकाईयों में एक पहले से बन्द थी. वहीं एक और बन्द हो जाने के कारण बिजली का शॉटफॉल हो गया. काली सिंध की 660-660 मेगॉवाट की दोनों इकाइयों से केवल 425 मेगॉवाट का उत्पादन हो रहा है.