Ajmer Central jail: ‘हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं..’ शोले फिल्म में अभिनेता असरानी के जेलर वाले किरदार से अलग राजस्थान की एक महिला जेल अधीक्षक अपनी सकारात्मक सोच से बंदियों की जिंदगी बदलने का प्रयास कर रही हैं. अजमेर सेंट्रल जेल में सजायाफ्ता बंदियों को आपराधिक मानसिकता से बाहर निकालकर नए जीवन की आशा जगाने के लिए जेल अधीक्षक सुमन मालीवाल ने एक ऑर्केस्ट्रा बैंड बनाया है और इसे नाम दिया है आशा. मालीवाल ने स्वयं के प्रयास से इस अनूठी पहल और नवाचार के जरिए बंदियों के जीवन में नई आशा जगाई है.
बंदियों की जिंदगी बदलने का किया अनूठा प्रयास
जेल अधीक्षक सुमन मालीवाल ने एबीपी न्यूज को बताया कि ऑर्केस्ट्रा बैंड प्रशिक्षण की पहल कारागृह के बंदियों की सांस्कृतिक प्रतिभा को निखारने, जीवन में नवीनता लाने, स्वनियोजित करने, नकारात्मक सोच को सकारात्मक सोच में बदलने और प्रेरणास्त्रोत के लिए एक सेतु का काम करेगी. ऑर्केस्ट्रा बैंड के प्रशिक्षु बंदी केवल जेल में ही नहीं, जेल के बाहर भी धुनों, गीतों और संगीत के माध्यम से परफॉर्मेंस देंगे. लोगों की बंदियों के प्रति नकारात्मक सोच को बदलने और फिर से समाज में पुर्नस्थापित करने की दिशा में एक ठोस कदम होगा.
मालीवाल ने बताया कि वर्ष 2019 में उनकी पोस्टिंग कोटा जेल में थी. उस वक्त राजस्थान पुलिस बैंड और ब्रास बैंड को देखकर उनके मन में कुछ नया करने का ख्याल आया. राजस्थान में अनूठी पहल करते हुए उन्होंने बंदियों के ऑर्केस्ट्रा बैंड का मन बनाया. वहां ऑर्केस्ट्रा बैंड शुरू किया और सफलतापूर्वक संचालन किया. कोटा पोस्टिंग के बाद कोरोना काल रहा. अजमेर ट्रांसफर होने के बाद उन्होंने यहां भी अथक प्रयास किए और सोच को साकार करते हुए आशाएं ऑर्केस्ट्रा बैंड को मूर्तरूप दिया.
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कलेक्टर ने उपलब्ध करवाए म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंटस
अजमेर जिला कलेक्टर अंश दीप को नया कॉन्सेप्ट काफी अच्छा लगा. उन्होंने बंदियों में सकारात्मक परिवर्तन के इस प्रयास की सराहना की और हर संभव मदद का आश्वासन दिया. इसके बाद मुख्यमंत्री जिला नवाचार निधि योजना के तहत तत्काल वित्तीय स्वीकृति देते हुए म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स उपलब्ध करवाए. म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स में पियानो, गिटार, ऑक्टोपेड, कॉन्गो, ढोलक, तबला, ड्रम, एवं सिंगर की-बोर्ड शामिल हैं.
अभी 21 बंदी सीख रहे संगीत, 30 ने जताई इच्छा
जेल महानिदेशक भूपेन्द्र कुमार दक के निर्देशन में तैयार किया गया बंदी ऑर्केस्ट्रा बैंड राजस्थान में बंदी बैण्ड नियमों के तहत संचालित किया जा रहा है. संगीतज्ञ रवजीत सिंह जेल में सजायाफ्ता कैदियों और विचाराधीन बंदियों को प्रतिदिन संगीत का प्रशिक्षण दे रहे हैं. अभी 21 बंदी संगीत का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं. उनको देखकर 30 अन्य बंदियों ने भी संगीत सीखने की इच्छा जाहिर की है. पियानो पर गौरव, गिटार पर नयन, ऑक्टोपेड पर बृजमोहन, कोन्गो पर राजू, ढोलक पर शिवराज, तबला पर रणजीत, ड्रम पर ईश्वर इतने पारंगत हो गए हैं कि जल्द ही स्टेज परफॉर्मेंस देने वाले हैं. गौरव ने तो संगीत में विशरद की उपाधि भी हासिल की है. ऑर्केस्ट्रा तैयार करने में उपकारापाल धारा सिंह और मुख्य प्रहरी रेशम भी सहयोग कर रहे हैं.
ऑर्केस्ट्रा बैंड शादी समारोह में भी देगा परफॉर्मेंस
राजस्थान के बंदी ऑर्केस्ट्रा बैंड की खास बात है कि शहर के निजी कार्यक्रमों में भी प्रस्तुति देगा. जेल प्रशासन ने इस बैंड की प्राइवेट बुकिंग शुरू कर दी है. बैंड अब शादी समारोह में भी स्वर लहरियां बिखेरते हुए परफॉर्मेंस देगा. कोई भी व्यक्ति शादी, मैरिज एनिवर्सरी, बर्थडे पार्टी, भक्ति संध्या या अन्य किसी भी कार्यक्रम के लिए बैंड की बुकिंग कर सकता है. प्राइवेट प्रोग्राम के लिए ढाई घंटे का पेमेंट 5 हजार रुपए तय किया गया है. सरकारी कार्यक्रम फ्री करेंगे. बुकिंग से प्राप्त होने वाली राशि का 50 प्रतिशत पेमेंट बंदियों के बैंक अकाउंट में जाएगा. इससे जेल में रहते हुए बंदियों को रोजगार मिलने के साथ आमदनी भी होगी.
राष्ट्रपति ने महिला जेल अधीक्षक को दिया है सम्मान
जेल अधीक्षक सुमन संगीत को एक थैरेपी मानती हैं. उनका कहना है कि वाद्य यंत्रों से जुड़ना मां सरस्वती की साक्षात पूजा है. संगीत व्यक्ति का हृदय परिवर्तन करती है. धुनें बजाना, वाद्य यंत्रों पर अपनी ऊंगलियों के कमाल से सुर निकालना, व्यक्ति को अपनी आत्मा से जोड़ता है. संगीत सुनना व्यक्ति को मानसिक आध्यात्मिक संतोष और सुख प्रदान करता है. कुछ ही दिनों में बंदियों का ऑर्केस्ट्रा बैंड जादू बिखेरेगा. कारागृह की काली लंबी सलाखों के पीछे गूंजने वाला संगीत अपराधियों की मानसिक वृत्ति में सुधार करने का उचित, सकारात्मक और सफल माध्यम है. सुमन अपनी सकारात्मक सोच से बदलाव के लिए कई सराहनीय प्रयास कर रही हैं. नवाचार पर वर्ष 2018 में राष्ट्रपति ने सराहनीय सुधारात्मक सेवा पदक भी प्रदान किया है.