Rajasthan में खस्ताहाल हैं रेलवे के सरकारी आवास, दुरुपयोग के मामले भी आए हैं सामने
Jodhpur News: राजस्थान में रेलवे कर्मचारियों की तुलना में आवास कम हैं. विभाग में कर्मचारियों की ओर से आवास की मांग को लेकर कई प्रार्थना पत्र लगे हुए हैं, ये सभी आवास का इंतजार कर रहे हैं.
Rajasthan Railway Employees Accommodation: रेलवे कर्मचारियों (Railway Employees) के लिए प्रदेश में करीब 25 हजार क्वार्टर बने हुए हैं लेकिन आवास प्रतीक्षा सूची लंबी बनी हुई है. रेलवे की तरफ से सरकारी आवास (Government Accommodation) की अलग-अलग कैटेगरी बनाई गई हैं, उसी कैटेगरी के अनुसार आवास अलॉट किया जाता है. जोधपुर (Jodhpur) डिवीजन में रेलवे के सरकारी आवास 56सौ के करीब हैं वहीं जिले में L-1, L-2, L-3, L-4, बंगले सहित 2308 सरकारी आवास उपलब्ध हैं. इस बीच आज भी कई कर्मचारी सरकारी क्वार्टर मिलने का इंतजार कर रहे हैं.
कम हैं आवास
नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे एंप्लाइज यूनियन के मंडल मंत्री मनोज परिहार ने एबीपी न्यूज से खास बातचीत में कहा कि रेलवे कर्मचारियों की तुलना में आवास कम हैं. विभाग में कर्मचारियों की ओर से आवास की मांग को लेकर कई प्रार्थना पत्र लगे हुए हैं, ये सभी आवास का इंतजार कर रहे हैं. 4 प्रतिशत रेलवे के कर्मचारी हैं ऐसे हैं जिनको लेकर आवास के दुरुपयोग करने के मामले सामने आए हैं. अब दुरुपयोग करने वालों के विरुद्ध रेलवे विभाग कार्रवाई भी करता है. शिकायत के अनुसार ड्राई सर्च का अभियान चलाया जाता है और इस दौरान जो भी व्यक्ति रेलवे के क्वार्टर का दुरुपयोग करते पाया जाता है तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाती है. ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां पर रिटायरमेंट के बाद भी घर खाली नहीं किए गए हैं. ऐसे में रेलवे विभाग की तरफ से कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के बाद ग्रेजुएटी की रकम को जब्त भी किया गया है.
बनाए गए हैं सख्त नियम
बता दें कि, रेलवे विभाग की ओर से सरकारी आवास को लेकर सख्त नियम तो बनाए गए हैं लेकिन उसकी पालना को लेकर किसी तरह की तैयारियां नहीं हैं. रेलवे विभाग के अधिकारियों के पास 2 साल पुराना डाटा है जिसमें बताया जा रहा है कि सारे क्वार्टर भरे हुए हैं. अब सर्वे भी किया जाएगा.
बजट की है समस्या
नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे एंप्लाइज यूनियन के मंडल मंत्री मनोज परिहार ने बताया कि पहले रेलवे का बजट अलग आता था, अब कॉमन बजट आने से क्वार्टरों की रिपेयरिंग और साफ-सफाई का काम भी पूरा नहीं हो रहा है. रेलवे कर्मचारियों के लिए सरकारी आवास अब किराए के मकान से भी महंगा पड़ रहा है. क्वार्टर में रहने वाले कर्मचारी भी समस्याओं से जूझ रहे हैं. इन आवासों में ना तो समुचित सफाई की जा रही है और ना ही स्वच्छ जलापूर्ति हो पाती है. सातवां वेतन आयोग लागू होने के बाद से रेलवे के कर्मचारियों को 16 प्रतिशत एचआरए मिलता है, आवास लेने पर एलाउंस रुक जाता है और आवास का किराया के साथ बिजली बिल का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ता है.
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