Kota News: कोटा (Kota) में सोमवार से रामलीला (Ramlila) के भव्य आयोजन की शुरुआत होने जा रही है. वैसे तो कोटा में सात स्थानों पर रामलीला होगी, लेकिन राष्ट्रीय दशहरा मेले की रामलीला देखने का एक अलग ही रोमांच है. यहां वर्षों से रामलीला का मंचन होता आ रहा है. कोटा की सबसे प्राचीन रामलीला एवं नाट्य संस्था श्री राघवेंद्र कला संस्थान (Sri Raghavendra Kala Kendra) की स्थापना 1976 को हुई, तब से लेकर आज तक संस्था ने अनेकों जगह विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तुत किए तथा अपनी अभिनय क्षमता की एक विशेष छाप छोड़ी.


श्री राघवेंद्र कला संस्थान की रामलीला न देखी तो क्या देखा


 90 के दशक में कोटा में मथुरा की रामलीला मंडलियों का राज्य स्थापित होने लगा, किंतु सन् 2005 में लोकसभा अध्यक्ष ओमजी बिरला की पहल पर राघवेंद्र कला संस्थान को अवसर दिया गया तथा उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि रामलीला प्रदर्शन के लिए धार्मिक भावनाओं के अतिरिक्त अभिनय क्षमता होना भी जरूरी है. वर्ष 2005 से 2022 तक कई उतार चढ़ाव आए, कोरोना के कारण पिछले दो साल रामलीला का मंचन नहीं हो सका, लेकिन अब एक बार फिर दर्शकों को रामलीला देखने का सौभाग्य मिलेगा. 


रामलीला में तीन पीढ़ी एक साथ निभाएंगी भूमिका
इस रामलीला में एक साथ तीन पीढ़ी के लोग अपनी भूमिका निभाते नजर आएंगे. जी हां, रामलीला में पिता बृजराज, पुत्र वैभव और पौत्र अभियंत गौतम एक ही मंच पर अलग-अलग भूमिकाओं में लोगों का मनोरंजन करते दिखाई देंगे. 


आधुनिक समय की मांग को देखते हुए होती है रामलीला
राम का किरदार निभाने वाले वैभव गौतम ने बताया कि वह वैसे तो नर्सिंगकर्मी हैं, मरीजों की सेवा में उन्हें आनंद आता है, लेकिन उनके अंदर की कला को बाहर निकालने का जब भी मौका मिलता है, वह इस मौके को नहीं छोड़ते. उन्होंने कहा आजकल टीवी और इंटरनेट का युग है ऐसे में पारंपरिक तरीके से की जाने वाली रामलीला मंडलियां जनता को उबा देती हैं. श्री राघवेंद्र कला संस्थान द्वारा आयोजित रामलीला के संवाद कट टू कट होते हैं तथा पोशाक पर्दे सेट सभी आधुनिक समय की मांग पर निर्मित किए गए हैं.


घर को ही बना देते हैं मंच
राघवेंद्र कला संस्थान में कई कलाकारों की तीन पीढ़ियां कार्य कर रही हैं, संस्था निर्देशक बृजराज गौतम द्वारा रामलीला में दशरथ का पात्र निभाया जाता है, वहीं उनके पुत्र वैभव राम का अभिनय करते हैं तथा उनके पौत्र अभियंत बाल राम की भूमिकाएं करते दिखाई देंगे. बृजराज गौतम राजस्व लेखाकार के पद से सेवानिवृत्त हैं तथा वैभव गौतम मेडिकल कॉलेज कोटा में नर्सिंग ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं. वैभव की पुत्री आद्या गौतम भी रामलीला में सखी तथा डांडिया महारास में होने वाले नृत्य में अभिनय करती हैं. यह पूरा परिवार 2 माह तक रामलीला मंचन की तैयारियों में जुटा हुआ रहता है. रामलीला की तैयारी के लिए पूरे घर को ही मंच बना दिया जाता है.


निर्देशन भी घर से और पोशाक की सिलाई कढाई भी घर पर ही
वैभव बताते हैं कि उनके घर पर पोशाकों की सिलाई कढ़ाई धुलाई प्रेस आदि के कार्य किए जाते हैं. वहीं छोटी मोटी टूट-फूट भी सही की जाती है. रामलीला में होने वाले नृत्य की निदेशक ब्रजराज गौतम की पुत्रवधू अरुणिमा तिवारी के निर्देशन में तैयारी की जाती है जो कि एक क्लासिकल डांसर हैं. इसी प्रकार रामलीला में एक दूसरे परिवार की पीढ़ियां भी दर्शकों का मनोरंजन करती दिखाई देगी. दूसरा परिवार जिसमें पिता शिवाशिव शिवाशिव दाधीच वशिष्ठ की भूमिका में दिखाई देंगे, जबकि उनके पुत्र बिरंचि दाधीच हनुमान एवं बाणासुर का अभिनय करेंगे. शिवाशिव दाधीच के अनुज अश्वत्थामा दाधीच रामलीला में रावण का किरदार निभाते नजर आएंगे


युवाओं को संस्कृति से जोड़ने का प्रयास  
संतोष जैन इस रामलीला में सुग्रीव की भूमिका में नजर आएंगे तो उनकी पुत्री भव्या जैन गौरी का रोल प्ले करती दिखाई देंगी. रामलीला में चिकित्सा विभाग, शिक्षा विभाग, न्याय विभाग, कोचिंग फैकल्टीज आदि विभागों के लोगों द्वारा निस्वार्थ सेवाएं दी जाती हैं, यह सिलसिला पिछले तीन दशकों से अनवरत जारी है. रामलीला में अभिनय करने वाले युवाओं का जोश भी देखते ही बनता है. आज के आधुनिक समय में जहां युवा अपनी पारंपरिक संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं  ऐसे में श्री राघवेंद्र कला संस्थान रामलीला में उन्हें रोल देकर उन्हें उनकी संस्कृति से जोड़ने का काम कर रहा है.


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