Rajasthan Rare Statue of Lord Shiva and Parvati: महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के अवसर पर देशभर के मंदिर में शिवलिंग का दर्शन-पूजन करने के लिए भक्तों की कतार लगती है. महाशिवरात्रि का प्रसंग भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का माना जाता है और विवाह की ही मूर्तियां दिखाई नहीं देती हैं. चित्तौड़गढ़ (Chittorgarh) में पौराणिक प्रसंग से जुड़ी ऐतिहासिक मूर्ति है जो शिव पार्वती के विवाह को दर्शाती है. इतिहासकार खुद इस मूर्ति को दुर्लभ मानते हैं. यहीं नहीं मेवाड़ के चित्तौड़गढ़ में शिव महिमा से जुड़ी कई मूर्तियां है. ऐसा इसलिए है क्योंकि यहां के राजा भगवान शिव (Lord Shiva) को ही अपनी गद्दी का राजा मानते थे और खुद को दीवान की उपाधि से संबोधित करवाते थे. 


कम हैं ऐसी प्रतिमाएं 
इतिहासविद डॉ श्रीकृष्ण जुगनू ने बताया कि शिव पार्वती की एक साथ प्रतिमाएं काफी कम हैं. ये प्रतिमा दर्शाती कि यहां का चित्तौड़गढ़ दुर्ग मूर्तिकला का गहन और दर्शनीय केंद्र रहा है. वर्तमान में मीरा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध परिसर के कुंभ-श्याम मंदिर की पश्चिम दिशा जमावदार स्तंभयोजना में शिव पार्वती के पणिग्रहण संस्कार को समर्पित प्रतिमा उत्कीर्ण है. इसमें एक और ब्रह्माजी विराजमान हैं, जो जलाभिषेक करते दिख रहे हैं. ऊपर विवाह के साक्षी कई देवी-देवता पुष्प वर्षा कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि ये प्रतिमा स्मरणीय और दुर्लभ है. मूर्तिशास्त्र में इसको कल्याण सुंदर प्रतिमा कहा गया है. इसमें देव सभा में कलश की चंवरी रचाकर शिव विवाह का प्रसंग उत्कीर्ण है. ऊपर ब्रहमाजी शिव प्रतिमा के विवाह को जलाहुति कर रहे हैं, इसे उनके फेरे कराना कह सकते हैं. 




इन प्रमाणों से जानिए चित्तौड़गढ़ में शिव की महिमा


● शिव तांडव का उल्लेख पहली बार चित्तौड़गढ़ की गंभीरी नदी के शंकर गट्टा पर मिले अभिलेख में भी है. 
• अवकासुर का वध, गंगाधर, शिव पार्वती पाणिग्रहण व किरात वेश में अर्जुन कृपा चित्र जैसी शिव लीलाओं की मूर्तियां अजंता ऐलोरा की तरह चित्तौड़ या उसके पास प्राचीन नगरी में मिली है.
• शिव के अर्द्धनारिश्वर की मूर्ति भी यहां है. 
• विजयस्तंभ का एक पूरा माला शिवखंड है. उसमें शिव की अलग-अलग मूर्तियां है. 
• विजयस्तंभ-गोमुख कुंड के पास समिद्वेवर मंदिर में भगवान शिव की त्रिमुखी प्राचीन विशाल प्रतिमा उनके तीन रूप उत्पति, पोषण व प्रलय का दर्शन है.
• चित्तौड़गढ़ किले का नीलकंठ महादेव मंदिर प्राचीन लेकिन अखंडित विशाल शिवलिंग के कारण प्रसिद्ध है.
• महादेव की पारिवारिक, सांसरिक लीलाओं के चित्र खासकर एकलिंग, मुखलिंग से लेकर शिव के विविध रूप, नदी पर बैठे शिव-पार्वती तक की मूर्तियां हैं. 
● चित्तौड़गढ़ किले के शिल्प में शिव की जितनी मूर्तियां हैं, वो चित्तौड़गढ़ में ही बनी हैं. 
• मेवाड़ के महाराणा यानी शासक इतने परम शिव उपार रहे कि एकलिंगनाथ के रूप में महादेव को ही मेवाड़ का राजा मानते हुए खुद को उनका दीवान मानते थे. 
• दुर्ग के सबसे नीचे के भाग में चट्टान में गोमुख आकृतियों से अनवरत गिरती जलधारा बारहमास शिवलिंग का जलाभिषेक करती है.


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