Rajasthan Politics: राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के नवंबर-दिसंबर में होना है. यही वजह है कि प्रदेश में चुनावी गतिविधियां अभी से बढ़ गई हैं. ऐसे कई ऐसे संगठन हैं जो आरक्षण और अन्य मांगों को लेकर वर्षों से राजस्थान में काम कर रहे हैं, लेकिन वो चुनाव मैदान में कभी नहीं दिखे, लेकिन इस बार गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति (Gurjar Aarakshan Sangharsh Samiti) के अध्यक्ष विजय बैंसला (Vijay Bainsla) इस बार चुनाव में ताल ठोंक सकते हैं. यहां पर अहम सवाल यहै कि बैंसला   किसी दल के हिस्सा बनकर चुनाव लड़ेंगे या निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे.


 इस बात की चर्चा इसलिए हो रही है कि बैंसला की प्रदेश में अलग पहचान है. आरक्षण आंदोलन की अगुवाई करने की वजह से वो प्रदेश की जनता में लोकप्रिय भी हैं.  


सियासी दलों को गुर्जरों को उनका हक देना होगा
गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति (Gurjar Aarakshan Sangharsh Samiti) के अध्यक्ष विजय बैंसला (Vijay Bainsla) का कहना है कि राजस्थान की 200 विधान सभा सीटों में से 73 पर एमबीसी का सीधा प्रभाव है. उसमें से 37 जनरल सीटें गुर्जर बाहुल्य हैं. उन सभी पर गुर्जरों को टिकट नहीं मिलता। अब ऐसा नहीं चलेगा. सियासी दलों को हमें हमारे समाज की हिस्सेदारी चाहिए.


कब तक वोटर्स बने रहेंगे 
विजय बैसंला का कहना है कि आखिर कब तक हमें बस वोटर्स ही समझा जाता रहेगा. गुर्जरों को उनका हक कब मिलेगा. एमबीसी (most backward class) का वोट सभी दल को चाहिए, लेकिन इन्हे टिकट कोई दल नहीं देता. जिस सीट पर 70 हजार एमबीसी समाज का वोट है, वहां भी उन्हें टिकट नहीं दिया जाता. आखिर, ऐसा क्यों होता आया है. अब, ऐसा नहीं चलेगा, क्योंकि अब हम उनकी लड़ाई को आगे बढ़ा रहे हैं.


बूथ स्तर पर बना रहे संगठन
विजय बैंसला ने बताया कि हम जिला अध्यक्ष के साथ ही साथ ब्लॉक और बूथ स्तर पर एमबीसी के लोगों को टीम तैयार कर रहे हैं. आने वाले दिनों में पूरे प्रदेश में हमारी पूरी टीम बूथ स्तर पर खड़ी होगी. हम अपनी जमीन खुद बना रहे हैं. हमें किसी से कोई शिकायत नहीं है. हमें अपने लोगों को मजबूत करना है. हमारे संगठन में कुल 70 लाख लोग हैं. हम, उन्हें जिम्मेदारी दे रहे हैं.


साथ नहीं देने वालों का करेंगे विरोध 
विजय बैंसला का कहना है कि जब हम एमबीसी के हकों के लिए आंदोलन कर रहे थे तो उस दौरान जिन्होंने हमारा साथ नहीं दिया, चुनाव के दौरान गुर्जर समुदाय के लोग उनका विरोध करेंगे. सरकार में कई विधायक हैं. कुछ मंत्री भी हैं लेकिन तब कहां थे? चुनाव में उनका विरोध होगा. समाज का वोट चाहिए और काम की बात पर सब दूर चले जाते है. अब उन्हें समाज ही सबक सिखाएगा.


अशोक चांदना ने निभाया समाज का धर्म
आरक्षण आंदोलन के अगुवा विजय बैंसला का कहना है कि मंत्री अशोक चांदना ने समाज का धर्म निभाया।. उन्होंने हमारी मांग पर काम किया है. बाकि लोगों ने कुछ नहीं किया. चुनाव के लिए पूरी तैयारी हो रही है. प्रदेश में सभी सरकारें बेहतर हैं. विजय कहते हैं कि हमें तो बस एमबीसी समाज के लिए लगातार काम करना है. जो दल हमारी बात सुनेगा या हमारे लिए काम करेगा हम उसके साथ है. हमारा लक्ष्य अपने समाज को उनका हक और अधिकार दिलाने का है.  


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