(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Rajasthan News: रोडवेज बसों में यात्रा करने वाले पुलिसकर्मियों के खाते से कटने वाली राशि में वृद्धि, जानें क्या कहते हैं पुलिस के जवान?
राजस्थान रोडवेज बसों में यात्रा करने वाले पुलिसकर्मियों के खाते से कटने वाली राशि को बढ़ा दिया गया है. पुलिसकर्मियों से अब पूछा जा रहा है कि वे इसके लिए तैयार हैं या नहीं.
राजस्थान रोडवेज बसों में यात्रा करने वाले पुलिसकर्मियों के खाते से कटने वाली राशि में सरकार ने बढ़ोतरी कर दी है. पहले पुलिसकर्मियों के खाते से 200 काटे जाते थे. अब हर माह 300 काटना तय किया गया है. सरकार द्वारा जाने वाला अंश भी प्रति जवान ₹100 से बढ़ाकर 200 कर दिया गया है. ऐसे में इस नई प्रणाली को लागू करने के साथ ही जयपुर पुलिस मुख्यालय द्वारा जवानों की खाते से रुपए काटने से पहले उनकी सहमति मांगी जा रही है और उनसे पूछा जा रहा है कि वह कटौती के लिए तैयार है या नहीं.
हालांकि जवानों का यह भी तर्क है कि पूर्व में 200 काटने वाला फॉर्मूला भी बिना पूछे ही लागू किया गया था. अब ऐसे में 300 किया गया है तो यह भी लागू हो जाएगा. केवल सहमति तो महज फॉर्मेलिटी है. बताते चलें कि डेढ़ साल भर पूर्व कांस्टेबल से लेकर निरीक्षक स्तर तक के पुलिसकर्मियों के लिए रोडवेज में पास व्यवस्था सरकार ने लागू की थी. इसके लिए हर जवान के खाते से 200 रुपए काटे जा रहे हैं.
साथ ही सरकार की ओर से प्रति जवान के 100 रुपए रोडवेज को दिए जा रहे हैं. इसके बदले पुलिसकर्मियों को रोडवेज में यात्रा के लिए भुगतान नहीं करना पड़ता. इसमें रोडवेज को पुलिसकर्मियों के खाते से करीब एक करोड़ 90 लाख रुपए तथा सरकारी अंश के रूप में करीब 95 लाख रुपए प्रत्येक माह दिए जा रहे हैं. रोडवेज बसों में कटने वाले पैसे सीधे जवानों के अकाउंट से सरकार द्वारा माइनस कर लिए जाते हैं. यानी महीने में जवान रोडवेज बसों में बैठे या ना बैठे उनके खातों से यह राशि कटनी तय है.
पुलिसकर्मियों के पास किराए को सरकार ने इसी माह बढ़ा दिया है. अब जवानों के खाते से 200 की बजाय 300 रुपए काटे जाएंगे. साथ ही सरकार की ओर से प्रति जवान 100 की बजाय 200 रुपए दिए जाएंगे. हालांकि इसे लागू करने से पहले पुलिस ने जवानों से राय लेना तय किया है. इसके लिए सभी जिलों को सूचना भेजी गई है. उनसे कहा गया है कि सम्पर्क सभा आयोजित कर पुलिस कांस्टेबल से लेकर निरीक्षक की राय जानी जाए कि वे इस कटौती के लिए तैयार हैं या नहीं. सभी जिलों से यह जानकारी 14 सितम्बर तक मांगी गई है.
दरअसल, जवानों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि जो बस यात्रा करना ही नहीं चाहता उसके पैसे क्यों काटे जा रहे हैं. जवानों का सीधा कहना है कि उच्चाधिकारी नियम तय करते हैं, लेकिन वे अधिकारी अपने को इस कटौती से दूर रखते है. ऐसा क्यों ? .... अब यह बात सामने आने के बाद आम राय से तय होगा कि कटौती की जाए या नहीं. लेकिन सवाल तो यह भी खड़ा होता है कि जब सरकार ने 300 करने का निर्णय लिया ही है तो उसे वापस लेना भी असंभव सा नजर आ रहा है. यानी पुलिसकर्मी है मान चुके हैं कि जो राशि बढ़ाई है वह बड़ी ही रहेगी.
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