Rajasthan Elections 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले पुराना विधानसभा भवन चर्चा में है. क्योंकि, इस भवन को पूर्व राज परिवार ने मांग लिया है. इस भवन की बड़ी रोचक कहानी है. हाई कोर्ट में इसके लिए सुनवाई भी हुई है. जयपुर के पूर्व राजपरिवार ने पुराने विधानसभा भवन (Sawai Man Singh Town Hall) और एक अन्य भवन का राज्य सरकार से कब्जा मांगा है. पूर्व राजपरिवार की सदस्य पद्मनी देवी और अन्य की ओर से इस बारे में दायर याचिका पर राजस्थान हाई कोर्ट के जस्टिस नरेंद्र सिंह की अदालत में सुनवाई हुई.
कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. पूर्व राजपरिवार की अपील में कहा गया कि टाउन हाल और जलेबी चौक परिसर में स्थित लेखाकार कार्यालय को कोवेनेंट (विधि या कानून की दृष्टि से कोई ऐसा समझौता, जो संबंधित पक्षों के लिए बाध्यकारी हो) में निजी संपत्ति माना गया था. यह सरकार को उपयोग के लिए लाइसेंस पर दिए गए थे.
ये है पुराने विधानभवन की कहानी
राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार जीतेन्द्र सिंह शेखावत बताते हैं कि महाराजा सवाई राम सिंह ने 1840 में अपनी रानी चंद्रावतजी के लिए ये महल बनवाना शुरू किया था. इसी बीच में रानी चंद्रावतजी का निधन हो गया था. उसके बाद में इसको महल का रूप दिया गया.10 साल तक इस महल का काम रुक गया था. 1880 से 83 तक इस महल का काम पूरा हुआ. उस समय जयपुर के महाराजा माधोसिंह द्वितीय ने इस महल का काम अपने हाथ में लिया था. उस दौरान पीडब्ल्यूडी महकमे के चीफ इंजीनियर थे स्वींटन एस जैकब के निगरानी में काम पूरा हुआ.
यह भवन राजपूताना स्थापत्य शैली में बना है. इस महल को नया भवन के नाम से पुकारा जाने लगा था. बाद में ढूंढाड़ का राजपूताना हाईकोर्ट स्थापित हुआ. जीर्णोद्धार के बाद इस भवन का नाम सवाई मान सिंह द्वितीय टाउनहाल नाम रख दिया. 1950 तक इसमें खूब कार्य्रकम हुआ है. एक कार्यक्रम में पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू भी आये थे. 1952 में जब राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुआ तो इसे विधान सभा भवन बना दिया गया. इसके बाद विधानसभा नए भवन में संचालित होने लगी. जिसमें 1990 तक विधान सभा चली. 1990 में तत्कालीन विधान सभा अध्यक्ष हरिशंकर भावड़ा ने नए विधान सभा के लिए लाल कोठी में अनुमति दी थी.
कुछ ऐसी है प्लानिंग
बाद सरकार टाउन हाल में अंतरराष्ट्रीय स्तर का म्यूजियम बनाना चाहती है. जिस उद्देश्य के लिए यह भवन दिया गया था, वह पूरा होने के कारण पूर्व राजपरिवार को वापस दे दिया जाए. वहीं, सरकार की ओर से कहा गया कि कोवेनेंट में टाउन हाल और जलेबीचौक का एक अन्य भवन राज्य सरकार को देने के बारे में लिखा गया है. सरकार को ये संपत्ति कोवेनेंट में मिली हैं. कोवेनेंट को किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है.
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