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Rajasthan Politics: राजस्थान में बेमौसम बरसात की किसानों पर मार, सियासी फसल उगाने में लगे नेता
सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं की खेतों में पहुंचने की चर्चा होने लगी है. लोग सोचकर हैरान हैं कि आखिर अचानक नेता खेतों का रूख क्यों कर हैं.
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Rajasthan Farm Politics: राजस्थान में पिछले दिनों बेमौसम बरसात के बाद इन दिनों खेतों पर नेताओं की बहार आई है. सत्ताधारी कांग्रेस, विपक्षी दल बीजेपी के नेता सभी खेतों में जाकर धरतीपुत्रों का हमदर्द बन रहे हैं. खेतों में नेताओं के जाने की चर्चा होने लगी है. लोग सोचकर हैरान हैं कि आखिर अचानक सारे नेता खेतों का रूख क्यों कर हैं. कई बार अतिवृष्टि और ओलावृष्टि हुई. खेतों में फसलें खराब हुई. किसानों को बड़ा आर्थिक नुकसान भी हुआ. लेकिन कोई नेता किसान के कंधे पर हाथ रखने खेतों में नहीं पहुंचा.
राजस्थान में खेतों पर नेताओं की आई बहार
राजस्थान में भारी बारिश से फसलों को हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जयपुर, टोंक, बूंदी, कोटा और झालावाड़-बारां जिले का हवाई दौरा किया. इसके बाद उन्होंने खेतों में मुलाकात कर किसानों का दर्द बांटा. कांग्रेस की नीयत पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि खराबा सिर्फ फसलों में ही नहीं है, कांग्रेस सरकार की नीयत में भी है. बेमौसम बारिश से कई जिलों में खरीफ की फसल तबाह हो गई. किसान रो रहे हैं, लेकिन सरकार को किसानों के आंसू पोंछने का भी वक्त नहीं है. अतिवृष्टि में हुए खराबे की 5 लाख से अधिक किसानों ने शिकायत दर्ज करवाई है. किसानों की शिकायत का आंकड़ा मामूली है.
किसानों के बीच पहुंच रहा पक्ष और विपक्ष
प्रदेश में लाखों किसानों को शिकायत करने की प्रक्रिया ही मालूम नहीं है. उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार किसानों को तत्काल मुआवजा दे. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने अतिवृष्टि से प्रभावित किसानों की सुध लेने के लिए हाड़ौती और चित्तौड़गढ़ क्षेत्र का दौरा किया. किसानों से मिलकर उन्होंने हालचाल जाना. उन्होंने कहा कि बारिश से प्रदेश के कई इलाकों में किसानों को नुकसान हुआ है. खेती खत्म होने से किसान दुखी हैं. सरकार का कोई नुमाइंदा प्रभावित किसानों की सुध लेने और राहत देने नहीं पहुंचा है. उन्होंने कहा कि सरकार तत्काल प्रभाव से नुकसान का आंकलन करवाकर किसानों को मुआवजा दे.
कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और टोंक विधायक सचिन पायलट ने अपने क्षेत्र की ग्राम पंचायतों का दौरा कर बेमौसम अतिवृष्टि से खराब हुई फसलों का जायजा लिया. खेतों में जाकर किसानों से नुकसान की जानकारी ली. प्रशासन को निर्देश दिए कि शीघ्र गिरदावरी रिपोर्ट तैयार कर मुआवजे की कार्यवाही पूरी करे.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी अपने संसदीय क्षेत्र कोटा-बूंदी में अतिवृष्टि के कारण फसलों को हुए भारी नुकसान को देख दुख जताया. उन्होंने कहा कि किसान अगले कुछ दिनों में फसल कटाई की तैयारी कर चुके थे, लेकिन अब उनके हाथ खाली हैं. विपदा की घड़ी में हम किसानों के साथ हैं. उन्होंने किसानों से कहा कि सर्वे के समय नुकसान का पूरा ब्यौरा दर्ज करवाएं. सर्वे में लापरवाही बरतनेवाले अधिकारियों की शिकायत करें.
हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत किसी खेत में नहीं गए लेकिन उन्होंने भी किसानों के प्रति चिंता जरूर जताई. गहलोत ने अतिवृष्टि प्रभावित क्षेत्रों में किसानों को हुए नुकसान का आंकलन करने के लिए विशेष गिरदावरी का आदेश दिया. जिला कलेक्टरों को जारी निर्देश में मुख्यमंत्री ने कहा कि फसल खराबे की विशेष गिरदावरी कर किसानों को राहत प्रदान की जाए.
सत्ता में आने के लिए खेतों की सियासत
माना जाता है कि सत्ता में आने के लिए सियासत भी खेतों से ही होकर गुजरती है. यही वजह है कि राजस्थान में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले सूबे के सियासी नेता आशियानों से बाहर निकलकर सड़कों पर शक्ति प्रदर्शन करते हुए गरीब के झोपड़े तक पहुंच रहे हैं. अभी हुई बारिश किसानों के लिए भले ही मुसीबत बनकर आई हो मगर नेताओं के लिए मौका चौका मारना वाला साबित हुआ है. खेतों में खराबे के बीच नेता किसानों का हिमायती बनकर सियासी फसल उगाने की तैयारी में जुटे हैं.
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