Rajasthan: राजस्थान के 17 जिलों की मिट्टी में मिला खारापन, समस्या सुलझाने के लिए विशेषज्ञों ने दिया सुझाव
राजस्थान के 17 जिलों की मिट्टी में खारापन आ गया है. विशेषज्ञों ने स्थिति को चिंताजनक बताया है. शुष्क वन अनुसंधान संस्थान के शोध में खुलासा किया है.
Rajasthan News: जैविक गुणों की कमी के कारण मरुधरा की माटी खारी हो रही है. शुष्क वन अनुसंधान संस्थान (Arid Forest Research Institute) की रिपोर्ट से पता चला है कि राजस्थान के 17 जिलों की मिट्टी में खारापन आया है. विशेषज्ञों का कहना है कि स्थिति चिंताजनक है. राज्य में 305 मिलियन टन कार्बन स्टॉक में से केवल 12.8 परसेंट कार्बन स्टॉक ही जीवित बायोमास यानी वृक्षों और झाड़ियों में मौजूद है. अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक जीवित बायोमास कुल कार्बन का 25 फीसदी होने से ग्लोबल वार्मिंग नियंत्रित रहता है.
राजस्थान में मिट्टी और पौधों के अतिरिक्त कार्बन से तापमान और ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है. शुष्क वन अनुसंधान संस्थान के हालिया शोध में खुलासा हुआ है. वनों में कार्बन स्थिरीकरण से जुड़े शोध के मुताबिक, मिट्टी में 0.5 से 3.5 प्रतिशत तक जैविक गुणों की कमी हो गई है. ग्रीन बेल्ट घटने और प्रदूषण फैलने से जैविक गुणों में कमी की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है. विशेषज्ञों का सुझाव है कि समस्या से निबटने के लिए प्राकृतिक ऊर्वरकों का अधिकाधिक उपयोग और कार्बन उत्सर्जन कम करने की तरफ ध्यान देना होगा. साथ ही जैव विविधता बढ़ाने की भी आवश्यकता है.
प्रदेश के 17 जिलों की मिट्टी में खारापन
जोधपुर, भीलवाड़ा, बीकानेर, अजमेर, राजसमंद, झुंझुनूं, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, बारां, जालोर, करौली, नागौर, प्रतापगढ़, टोंक, सवाईमाधोपुर, पाली, झालावाड़ जिले की मिट्टी में खारापन मिला है. इन इलाकों की मिट्टी धीरे-धीरे खारी होती जा रही है. मिट्टी में खारापन बढ़ने से पेड़, पौधे और अन्य सभी प्रकार की वनस्पति को नुकसान हो रहा है और संख्या घट रही है. इसका असर हरी सब्जियों पर भी देखने को मिल रहा है. सब्जियों में 5 से 7 फीसदी तक प्रोटीन की मात्रा कम हुई है. देश में आंकड़ा 10 से 15 परसेंट बताया जा रहा है.
वनों में 305 मिलियन टन कार्बन स्टॉक
आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान के वनों में 305 मिलियन टन कार्बन स्टॉक है. 142.6 मिलियन टन अकार्बनिक रूप में और 121.6 मिलियन टन कार्बनिक रूप में हैं. कार्बनिक रूप में कार्बन ह्यूमिक एसिड और फ्यूमिक एसिड के रूप में रहता है. इसमें मिट्टी का पीएच 6 से 8 के बीच होता है. यही मिट्टी पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक होती है. घने जंगल से कार्बन डाई ऑक्साइड में कमी और तापमान कंट्रोल रहता है.