Teachers Day 2022: राजस्थान (Rajasthan) का उदयपुर (Udaipur) जिला खूबसूरती के लिए विश्व प्रसिद्ध है लेकिन इसकी खूबसूरती पर सबसे बड़ा दाग यहां का ह्यूमन ट्रैफिकिंग अपराध लगाता है. यहां से सैकड़ों आदिवासी बच्चों को ले जाकर गुजरात में मजदूरी करायी जाती है. इस अपराध को अपने क्षेत्र में खत्म करने वाले एक शिक्षक हैं जिन्हें 5 सितंबर को शिक्षक दिवस पर सम्मानित किया जाएगा. शिक्षक का नाम दुर्गाराम है. वह मूलतः नागौर के रहने वाले हैं और उदयपुर में फलासिया पंचायत समिति के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय पारगियापाडा स्कूल में कार्यरत हैं.


दिल्ली के विज्ञान भवन में 5 सितंबर को राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा. इसमें राजस्थान के दुर्गाराम मुवाल का प्रशस्ति पत्र और मैडल देकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सम्मानित करेगीं. इसमें देशभर के अन्य शिक्षक भी रहेंगे जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किया. राजस्थान से दुर्गाराम के अलावा बीकानेर की एक महिला शिक्षक भी शामिल हैं.


आदिवासी गांव के स्कूल में पढ़ाना शुरू किया था


शिक्षक ने कहा कि वह राजस्थान के नागौर जिले के रहने वाले हैं. उन्होंने कहा कि मुझे बच्चों को पढ़ाने में मजा आता था. पढ़ाई-लिखाई के बाद उन्होंने बतौर शिक्षक उदयपुर के एक आदिवासी गांव के स्कूल में पढ़ाना शुरू किया. उन्होंने कहा कि अध्यापन के दौरान मैंने पाया कि नियमित तौर पर स्कूल आने वाले कुछ बच्चों ने अचानक से स्कूल आना बंद कर दिया. जब उन्होंने इसकी छानबीन की, तो पता चला कि बच्चों को गुजरात की सीमा पर ले जाकर बेहद कम पैसे में उनसे 18 घंटे मजदूरी करवाया जाता है. आर्थिक मजबूरी के चलते वे बच्चे किसी से कुछ कह भी नहीं पाते थे.


शिक्षक के अनुसार कई बिचौलिए इस बाल तस्करी में लिप्त थे. उन्होंने कहा कि वो किसी भी हालत में उन बच्चों को बिचौलियों से बचाना चाहते थे. उन्होंने निर्णय लिया कि वे इस बुराई से लड़ने की दिशा में काम करेंगे. इसलिए सबसे पहले उन्होंने अभिभावकों के बीच शिक्षा को लेकर जागरूकता अभियान की शुरुआत की. 


इतने बच्चों को शिक्षा से जोड़ा


शिक्षक ने बताया कि 2008 से निरंतर मैं इस तरह की घटनाओं को रोकने का कार्य कर रहा हूं. उन्होंने कहा कि वो जागरूकता अभियान में घर-घर गये और अभिभावकों में शिक्षा के प्रति जागरूकता पैदा की. साथ ही खुद का मुखबिर तंत्र डेवलप कर तस्करी की सूचना लेने लगे. उन्होंने कहा कि तब से अब तक 400 से ज्यादा बच्चों को इस नारकीय जीवन से मुक्त करवाकर वापस शिक्षा से जोड़ा गया है जिनमें 250 से ज्यादा बालिकाएं शामिल हैं. इन सभी बच्चों को उन्होंने गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश और राजस्थान के विभिन जिलों से मुक्त करवाया.


काम बंद करने की धमकियां मिलती था


शिक्षक ने आगे बताया कि ह्यूमन ट्रैफिकिंग की अधिकांश घटनाएं रात में होती है. उन्होंने कहा कि ज्यादातर घटनाओं को मैंने अकेले ही रोका है. उन्होंने कुछ में पुलिस और चाइल्ड हेल्पलाइन का सहारा लिया. उन्होंने कहा कि पहले मैं यह कार्य बिना किसी को बिना बताये गुप्त तरीके से कर रहा था लेकिन बाद में सभी को पता चला. बालश्रम और बाल तस्करी के कार्य करने वाले बहुत बड़े गिरोह हैं जिनकी एक लम्बी श्रृंखला हैं. उन्होंने कहा कि इन गिरोह के द्वारा उन्हें कई बार इन कार्यों को छोड़ने या यह क्षेत्र छोड़ने और जान से मारने की धमकियां भी मिली. उन्होंने कहा कि एक बार रात में 2 बजे 25-30 लोगों ने मुझे मारने के इरादे से घेर लिया था जिनका मैंने बिना डरे सामना किया. उन्होंने कहा कि इन सभी घटनाओं की परवाह किये बिना इस तरह के कार्यों को दुगुनी मेहनत से करना शुरू कर दिया.


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