Rajasthan News: राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले की मानटाउन थाना पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान लग गए हैं. थाना मानटाउन पुलिस ने बीते 5 नवंबर को एटीएम से छेड़छाड़ की कोशिश करने वाले एक मनोरोगी को पकड़ लिया था. पुलिस ने उसे पकड़ने के बाद उसका मेडिकल भी कराया था. हालांकि, जब आरोपी की कोर्ट में पेशी हुई तो पुलिस ने उसके मानसिक रोगी होने की बात छुपा ली. इसके बाद जितने सबूत पेश किए गए, उनके आधार पर कोर्ट ने आरोपी को 6 नवंबर को जेल भेज दिया.
इस घटना में नया मोड़ तब आया जब पुलिस मनोरोगी आरोपी की रिहाई के लिए कोर्ट पहुंची. घटना की पोल खुलने पर यह केस पुलिस के लिए गले कि फांस बन गया. इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की और कहा कि एक मनोरोगी को कोर्ट के से तथ्य छुपाकर जेल भिजवाना गलत है. इसी के साथ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मानटाउन थाना अधिकारी और अन्य जिम्मेदार पुलिसकर्मियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई के आदेश दिए हैं.
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खुलासा करने पर पुलिस टीम को मिला था इनाम
गौरतलब है कि भरतपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक गौरव श्रीवास्तव ने एटीएम से छेड़छाड़ करने के मामले में तत्परता से खुलासा करने की एवज में मानटाउन पुलिस की टीम को 5000 रुपये का इनाम दिया था. अब कोर्ट ने साक्ष्य छुपाकर कार्रवाई करने के आरोप में पुलिस टीम पर एक्शन लेने के आदेश दिए हैं. ऐसे में अब सवाई माधोपुल पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं.
क्या कहना है पुलिस का
भरतपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक गौरव श्रीवास्तव ने टीम को इनाम दिया था, जिसको लेकर उनपर भी सवाल खड़े हुए कि उन्होंने भी नहीं देखा आरोपी मंदबुद्धि है. इसपर सफाई देते हुए महानिरीक्षक ने बताया कि पुलिस की तुरंत रेस्पॉन्स कार्यशैली देखकर क्या वह उन्हें इनाम भी न दें? यह अलग बात है कि वह व्यक्ति मंदबुद्धि निकला. उन्होंने कहा कि जिन पुलिसकर्मियों ने उसे गलत तरीके से गिरफ्तार किया है, अब उनके खिलाफ कार्रवाई होगी. इनाम मनोरोगी को पकड़ने का नहीं, बल्कि मामले में तुरंत कार्रवाई कर आरोपी को ढूंढ निकालने के लिए दिया गया था.