Nagaur News: राजस्थान के इस गांव में नहीं थी एक भी सरकारी नौकरी, अब भाई-बहन ने कायम की मिसाल
Nagaur: नागौर जिले के खरिया गांव में भाई-बहन का चयन राजस्थान में सरकारी शिक्षक के तौर पर हुआ है. इस खबर को सुनने के बाद गांव में खुशी की लहर है.
Nagaur: राजस्थान के नागौर जिले में एक गांव ऐसा भी है जहां आजादी के इतने दशकों बाद भी एक भी सरकारी नौकरी करने वाला कर्मचारी नहीं है. दरअसल खरिया गांव की आबादी करीब 500 लोगों की है लेकिन यहां आज तक कोई भी सरकारी नौकरी नहीं कर पाया है. लेकिन अब इस गांव की भाई-बहन की एक जोड़ी ने ना सिर्फ इस मिथक को तोड़ा है बल्कि सफलता की नई इबारत गढ़ते हुए अभाव की जिंदगी में भी सफलता के फूल खिलाए हैं. दोनों ही भाई-बहन का चयन राजस्थान में सरकारी शिक्षक के तौर पर हुआ है. इस खबर के बाद से गांववाले भी खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं.
पिता मजदूर, बिन मां के बच्चों ने ऐसे हासिल की सफलता
दरअसल बात कर रहे हैं श्री बालाजी धाम के पास मौजूद छोटे से गांव खारिया की. यहां रहने वाले ओमप्रकाश जाट और उनकी बहन गंगा ने तमाम अभावों औऱ मुश्किलों के बावजूद REET की परीक्षा में 143-143 अंक हासिल कर सफलता प्राप्त की है. दोनों ही भाई-बहन की शिक्षा एक साथ हुई है. दोनों ने साथ ही बीपीएसटीसी भी साथ में पूरी की और अब REET की परीक्षा में समान अंक हासिल किए हैं. इन दोनों के पिता चंपाराम मजदूरी करके घर चलाते थे और मां बचपन में ही दोनों को छोड़कर स्वर्ग सिधार गई थीं. कभी बच्चों को पढ़ाने की वजह से गांववालों के ताने झेलने वाले चंपाराम की आज हर कोई तारीफ कर रहा है.
गंगा बनी गांव की पहली सरकारी शिक्षक
घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी लेकिन दोनों ही भाई-बहन की पढ़ाई को लेकर लगन पक्की थी. दोनों एक ही क्लास में थे तो किताबों के एक ही सेट से दोनों अपनी पढ़ाई करते थे. गंगा के लिए तो ये और भी मुश्किल था. दस साल की नन्ही सी उम्र में घर की रसोई संभाल लेने वाली गंगा गांव की पहली महिला सरकारी शिक्षक है. हर रोज करीब आठ घंटे की पढ़ाई की और अब परिणाम सामने हैं. गांव की सरकारी नौकरी की तरफ रुढ़ीवादी सोच को तोड़ते हुए दोनों भाई-बहन ने एक नई मिसाल कायम की है.