Rajasthan Siyasi Scan: गजेंद्र सिंह शेखावत को हराकर JNVU का अध्यक्ष बना था ये नेता, कभी था CM गहलोत का करीबी आज है 'विरोधी'
Rajasthan: राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी तो सीएम अशोक गहलोत ने अपनी सरकार में हरीश चौधरी को राजस्व मंत्री बनाया था. उनको पंजाब और चंडीगढ़ में संगठन के प्रभारी के रूप में जिम्मेदारी भी दी गई थी.
Rajasthan Assembly Election 2023: हरीश चौधरी (Harish Chaudhary) पश्चिमी राजस्थान (Western Rajasthan) के बाड़मेर (Barmer) जिले के जाट नेता हैं. वो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के काफी करीबी भी माने जाते हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से वो सीएम अशोक गहलोत के OBCआरक्षण के फैसलों का विरोध कर विरोधी खेमे में शामिल हो चुके हैं.
हरीश चौधरी की राजनीति का सफर छात्र राजनीति से शुरू हुआ. वो राजनीति के सफर की शुरुआत से ही हार जीत का सामना कर चुके हैं. विश्वविद्यालय के चुनाव के दौरान छात्र नेता रहते हुए हरीश चौधरी पहला चुनाव NSUI के टिकट पर लड़ा और हार गए. इसके बाद वो 1991 जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में किसान छात्र संघ और स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) के बैनर तले चुनावी मैदान में उतरे प्रतिद्वंदी गजेंद्र सिंह शेखावत को हराकर जीत हासिल की.
पंजाब की हार के बाद राजस्थान में नहीं मिला मंत्रालय
कांग्रेस पार्टी के टिकट पर हरीश चौधरी ने 2009 के लोकसभा चुनाव जीते और मेंबर ऑफ पार्लियामेंट बने. 2014 में वो एक बार फिर मैदान में उतरे, लेकिन इस बार वो हार गए. 2014 लोकसभा चुनाव में यहां से बीजेपी के कर्नल सोनाराम जीते थे. हरीश चौधरी ने चुनाव में हार जीत का सामना कई बार किया. उन्होंने बाड़मेर के बायतु विधानसभा सीट से 2018 में मौजूदा विधायक कैलाश चौधरी के सामने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी तो सीएम अशोक गहलोत ने अपनी सरकार में हरीश चौधरी को राजस्व मंत्री बनाया था. उनके कार्यकाल में पंजाब चुनाव के दौरान हरीश चौधरी को पंजाब और चंडीगढ़ में संगठन के प्रभारी के रूप में जिम्मेदारी मिली. हालांकि पंजाब चुनाव हारने के बाद राजस्थान लौटे, लेकिन उन्हें कोई मंत्रालय नहीं मिला.
कामकाज को लेकर बढ़ गया था टकराव
दरअसल, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता हेमाराम चौधरी और हरीश चौधरी के बीच केयर्न एनर्जी के अंदर कामकाज को लेकर टकराव बढ़ गया था. दोनों के बीच जुबानी जंग मीडिया की सुर्खियां भी बनीं. हरीश चौधरी के राजस्व मंत्री के 3 साल के कार्यकाल के बाद उनको सीएम अशोक गहलोत और कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व ने बड़ी जिम्मेदारी देते हुए पंजाब और चंडीगढ़ का कांग्रेस प्रभारी बनाया. यहां तक तो सब कुछ ठीक था, लेकिन पंजाब चुनाव हारने के बाद हरीश चौधरी के राजस्थान लौटकर सीएम अशोक गहलोत के विरोध में उतर गए.
सीएम गहलोत पर लगाया ये आरोप
राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि, हरीश चौधरी को पंजाब और चंडीगढ़ का कांग्रेस प्रभारी बनाए जाने के बाद जब राजस्थान लौटे, तो उन्हें मंत्रालय नहीं मिला था. राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच गुटबाजी तेज हो गई थी. हरीश चौधरी ने सभा में सीएम गहलोत पर आरोप लगाया कि वो राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की B टीम की तरह काम कर रहे हैं.